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    श्रद्धा से सर्प का दर्शन किए इंसान

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    Updated: Mon, 12 Aug 2013 12:45 AM (IST)

    आमजगढ़ : पूरे जिले में श्रद्धा, मनोरंजन और उत्साह का संगम दिखा नागपंचमी पर। चेहरे पर कहीं से भय नहीं बल्कि नागदेव के प्रति श्रद्धा का भाव दिखा। सुबह स्नान के बाद नागदेव की पूजा और उसके बाद रोज के दिनों से अलग पकवान का आनंद लेने के बाद कहीं झूले की ओर भागती महिलाएं और बच्चे तो कहीं अखाड़ों की ओर जाते युवा। कहीं झूला झूलने को लेकर उत्साह तो कहीं पहलवानी के प्रदर्शन। सावन माह के पहले त्योहार पर हर तरफ दिखा गजब का उत्साह।

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    सुबह स्नान के बाद लोगों ने सबसे पहले नागदेव की पूजा की गई। उनके नाम से पूरे घर में दूध और धान के लावा का छिड़काव किया गया। तक्षक और मंशा देवी के नाम से अलग से दूध और लावा अर्पित किया। साथ ही लोगों ने निवेदन किया कि हे नाग देवता हम अपने ज्ञान के मुताबिक आपका स्मरण कर रहे हैं। हमारे परिवार की रक्षा करना। परंपरा के मुताबिक तमाम घरों में कुल देव की भी पूजा की गई। मंशा देवी के नाम से भी दूध चढ़ाया गया। फिर शिव मंदिरों में लोगों ने धान का लावा और दूध का अर्पण कर शिव से प्रार्थना की कि अपने आभूषण को अपने गले में ही रखना।

    कुछ लोगों ने ग्राम देवता के रूप में डीह, काली और समय पहर की देवी सम्मो माता की भी पूजा की और क्षेत्र में रहने वाले परिवारों की सुरक्षा की कामना की। सांपों को देखकर दूर भागने वाले और लाठी लेकर दौड़ पड़ने वाले समाज ने नाग पंचमी पर सापों का नजदीक से दर्शन किया और उनकी पूजा भी की। परंपरा से परिचित संपेरे भी सुबह से ही गलियों-मोहल्लों में पिटारे में सांप लेकर घूमने लगे थे।

    इस दौरान कहीं अखाड़ों में पहलवानों ने दांव आजमाए तो कहीं बच्चों ने कबड्डी खेली। हीरापट्टी स्थित स्व. राना अक्षयवर सिंह के अखाड़े में कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ राना भानु प्रताप सिंह ने किया। राना धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने पहलवानों का स्वागत किया। इस अवसर पर प्रभुनाथ सिंह, परमहंस सिंह, उज्ज्वल सिंह, पुजारी सिंह, हरिहर सिंह, नगीना सिंह, मनीष सिंह, अजय, पियूष, मनोज आदि उपस्थित थे। इसी क्रम में रानी की सराय में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता का शुभारंभ विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने पहलवानों से हाथ मिलाकर किया।

    उधर महिलाओं ने घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए और परिवार के लोगों को परोसने के बाद हाथों में मेंहदी रचाई। ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही लोगों में त्योहार को लेकर उत्साह का माहौल था। बच्चे सुबह से ही झूले की ओर भागने लगे थे। पेड़ों पर पड़े झूलों पर अपनी बारी का इंतजार करने के बाद बच्चों को झूलने का अवसर मिल रहा था। दोपहर बाद झूलों पर महिलाओं की संख्या बढ़ी और कजरी के स्वर गूंजने लगे। फूलपुर प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र में नदी-सरोवरों एवं देवालयों पर पहुंचकर लोगों ने धान का लावा, दूध, पान, फूल के साथ नाग देव की पूजा की और अपने घरों में दूध-लावा का छिड़काव किया। छोटे-छोटे बच्चे पेड़ की डाल पर टायर के सहारे झूले का आनंद ले रहे थे।

    कदम नहीं पर डाल पर पड़े झूले

    आजमगढ़ : एक ओर जहां शिवालयों में भक्तों की भीड़ शिव पूजा के लिए उमड़ी वहीं लोगों ने नागदेव का दर्शन-पूजन किया लेकिन दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में त्योहार को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखा। कदम की डाल तो नहीं लेकिन जो भी पेड़ मजबूत डाली वाला रहा उस पर झूले डाले गए। यही नहीं जहां मोटी रस्सी नहीं मिली वहां लोगों ने पुराने टायरों और बांस के सहारे पेड़ों पर झूले डाले। सुबह से ही लोग झूले का आनंद ले रहे थे और महिलाएं कजरी गा रही थीं। कहीं पुरानी कजरी तो कहीं सामाजिक स्थिति को कजरी के माध्यम से बयां किया जा रहा था। एक तरफ 'झूला पड़े कदम की डारी झूलें कृष्ण मुरारी ना..' की धुन तो वहीं पत्‍‌नी की अपेक्षा को केन्द्रित करती 'लेडी साइकिल तू मंगा दा हमके चौकवा घुमा दा' के स्वर भी सुनाई दे रहे थे। वहीं कुछ स्थानों पर कजरी के माध्यम से सास-बहू के बीच की शिकायत को भी व्यक्त किया गया। 'सासू हमके सबेरे न जगावल करीं रार जिन मचावल करीं ना' के बोल ने हर किसी को आकर्षित किया।

    मुबारकपुर प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र में पहले की तरह झूले को लेकर उत्साह नहीं दिखा। एक दशक पहले तक पूर्वाह्न दस बजे के बाद पेड़ के आसपास का माहौल कजरी की धुन से गुलजार हो जाता था लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही। केवल परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। कुल मिलाकर आस्था, भक्ति और मनोरंजन के बीच नाग पंचमी का त्योहार लोगों ने उत्साह के साथ मनाया गया।

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