Ayodhya News: श्रीराम मंदिर के अंदर-बाहर का लगा रामभक्तों तांता, श्रद्धालु बोले 'भीड़ के बीच भी हमें मिल रही असीम शांति'
सनातन के सूर्योदय से मानो मां सरयू की लहरें स्वर्णिम हो गई हैं और मां रघुकुलनंदन को निहारकर उल्लसित हैं। प्रभु के परमभक्त आंजनेय भी त्रेता युग को निहारकर मुदित हैं। अपने भवभंजक दुखभंजक तारक और बोधक प्रभु राम के श्रीचरणों का वंदन कर अयोध्या नई डगर चल पड़ी है। आने वाले रामभक्तों के चेहरे पर प्रभु से मिलने की व्याकुलता और अयोध्यावासियों में संतुष्टि का भाव नमन योग्य है।
प्रकाश तिवारी, अयोध्या। रामराज की पहली मंगल भोर और भोर के प्रथम स्वर राम। धरती के बैकुंठ अयोध्या के माथे पर ¨सदूरी आभा है। सनातन के सूर्योदय से मानो मां सरयू की लहरें स्वर्णिम हो गई हैं। मां रघुकुलनंदन को निहारकर उल्लसित हैं।
प्रभु के परमभक्त आंजनेय भी त्रेता युग को निहारकर मुदित हैं। अपने भवभंजक, दुखभंजक, तारक और बोधक प्रभु राम के श्रीचरणों का वंदन कर अयोध्या नई डगर चल पड़ी है। बाहर से आने वाले रामभक्तों के चेहरे पर प्रभु से मिलने की व्याकुलता और अयोध्यावासियों में संतुष्टि का भाव नमन योग्य है।
सुबह ही लग गई मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़
रातभर सड़क किनारे ठिठुरकर बिताने वाले भक्त सुबह ही मंदिर में जाने के लिए कतार में लग गए। सूरज के चढ़ने के साथ संख्या और बढ़ती..और बढ़ती चली गई। कुछ ही देर में एक ओर भक्तिपथ तो दूसरी ओर बृहस्पति चौक से ही वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी गई।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में जय सियाराम का उद्घोष पल भर के लिए भी नहीं थम रहा था। जब भी देखो हजारों रामभक्त अपने आराध्य की एक झलक के लिए तीर्थ क्षेत्र में प्रवेश के लिए व्याकुल थे।
नई सुबह में क्या कुछ बदला
अयोध्याजी की इस नई सुबह में क्या कुछ बदला, इस पर यहीं के दर्शननगर के रामभरत पाठक कहते हैं, इस भीड़ के बीच भी हमें एक असीम शांति मिल रही है। संतोष है, संतुष्टि है। अब तक हम अयोध्यावासियों ने वेदना सही है। एक बड़ा सूनापन झेला है। नैराश्य ने जकड़ रखा था। हमें उत्सव मनाने का यह पहला अवसर मिला है। हम आह्लादित हैं। हां, अयोध्या की एक खास बात है। यहां कल भी विनय था, आज भी है और चिरकाल तक रहेगा।
रामलला के दर्शन कर लौट रहे राजस्थान के डिडवाना से आए ज्ञान खंडेलवाल बोले, हम पहले भी आए हैं, लेकिन हर बार मन में कसक लेकर लौटते थे। दुख होता था, लेकिन आज साढ़े तीन घंटे कतार में लगने के बाद भी संतोष और हंसी-खुशी लौट रहे हैं।
मंहत बोले आज वाकई है मंगल
आराध्य आज अपनी जगह विराजमान हो गए। यहां से कुछ ही दूरी पर हनुमानगढ़ी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देख मुस्कुराते हुए महंत राजूदास बोल पड़े, आज वाकई मंगल है। संकटमोचक के इस परिसर में चालीसा का पाठ करने पर कभी लाठियां पड़ती थी।
आज देखिए, यहां भक्त और भगवान में ज्यादा खुश कौन है, अनुमान लगाना मुश्किल है। अगले ही पल कहते हैं.. रामलला के महल में लौट आने पर उनके इस द्वारपाल अंजनीसुत से ज्यादा किसी और को खुशी हो सकती है क्या? विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आमंत्रित देवबंद स्थित दीपांकर थ्यान केंद्र के प्रमुख स्वामी दीपांकर का मानना है कि यह नई अयोध्या है। यह प्रकाशमय है।
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अयोध्या उत्सव व उल्लास की ओर
अब अयोध्या उत्सव की ओर है, उल्लास की ओर है। अपने नवनिर्माण की ओर है। त्रेता में हम नहीं थे, लेकिन उसके वैभव को आज यहां महसूस कर पा रहे हैं। यह थोड़ी-सी अलग अयोध्या है। यह नए फ्लेवर में, नए जेवर में, नए तेवर में राम का स्वागत कर रही है।
अयोध्या के अंदर, यहां आने वाले मार्गों पर अब भी श्रद्धालुओं के वाहन की कतार और पैदल ही आगे बढ़ते रामभक्तों का रेला यह भान करा रहा है कि सनातन संस्कृति के इस शिखर ¨बदु तक पहुंचने की व्याकुलता के ओर-छोर का पता लगा पाना संभव नहीं। अयोध्या की यह नई सुबह संकल्प की सिद्धि का प्रमाण है, परम विश्वास का प्रतिफल है।
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