राम मंदिर ध्वजारोहण से पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे ब्रह्मकुंड, ऐतिहासिक गुरुद्वारा में टेका माथा
राम मंदिर में ध्वजारोहण से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अयोध्या के ब्रह्मकुंड पहुंचे और ऐतिहासिक गुरुद्वारा में मत्था टेका। उनका यह दौरा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने ऐतिहासिक गुरुद्वारा में टेका माथा।
संवाद सूत्र, अयोध्या। राम मंदिर के ध्वजारोहण समारोह की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत राम मंदिर परिसर से दो सौ मीटर दूर ही स्थित गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड पहुंचे। उनके आगमन से श्रद्धा और सम्मान का अद्भुत माहौल देखने को मिला।
गुरुद्वारा प्रबंधक ज्ञानी गुरजीत सिंह व महंत बलजीत सिंह ने बताया कि यह हमारे लिए बड़े हर्ष और गौरव की बात है कि श्रीगुरु तेगबहादुर जी महाराज के बलिदान दिवस पर आरएसएस प्रमुख ने गुरुद्वारा आकर श्रद्धा प्रगट की। हमने उनका विशेष सम्मान भी किया।
इस अवसर पर बावन मंदिर पीठाधीश्वर महंत वैदेहीवल्लभशरण, बधाई भवन के महंत राजीवलोचनशरण भी उपस्थित रहे। सभी ने मिल कर गुरु तेगबहादुर के बलिदान और विश्व मानवता के प्रति उनके योगदान को याद किया।
गुरुद्वारा परिसर में संघ प्रमुख की उपस्थिति धार्मिक सौहार्द, एकता और श्रद्धा का अद्भुत संदेश देती नजर आई। संघ प्रमुख ने पालकी साहब के सम्मुख माथा टेकने के साथ गुरुओं की उपस्थिति भी अनुभूत की। गुरुद्वारा प्रबंधन से जुड़े चरनजीत सिंह के अनुसार संघ प्रमुख की यात्रा बहुत स्वागतयोग्य थी।
ब्रह्मकुंड का रामजन्मभूमि मुक्ति से खास लगाव
गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड ऐतिहासिक है। यहां 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच प्रथम गुरु नानकदेव जी, नवम गुरु तेगबहादुर एवं दशम गुरु गोविंद सिंह आए। कालांतर में कश्मीर से आए संत गुलाब सिंह ने इस स्थल की सहेज-संभाल की। इन्हीं गुलाब सिंह की छठवीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी ज्ञानी गुरुजीत सिंह ने मंदिर आंदोलन से भी गुरुद्वारा की परंपरा जोड़ रखी है।
यहां तक कहा जाता है कि गुरुओं का आगमन राम मंदिर के चलते जुड़ा था। 1499 में हरिद्वार से पुरी जाते हुए प्रथम गुरु यहां आए और कुछ ही दूर स्थित रामजन्मभूमि पर भी सिर नवाया। गुरुजीत सिंह और उनके पूर्वज भी रामजन्मभूमि मुक्ति के अभियान से जुड़े रहे।

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