Ayodhya News: आस्था का प्रतिमान गढ़ रही रामकोट की परिक्रमा, एक माह में तीन हजार से अधिक श्रद्धालु
अयोध्या में रामकोट की नित्य परिक्रमा एक नया उदाहरण बन रही है जिसमें रामजन्मभूमि कनकभवन और हनुमानगढ़ी जैसे स्थल शामिल हैं। एक महीने में तीन हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया है। हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास का कहना है कि यह परिक्रमा जल्द ही कामदगिरि और गोवर्द्धन जैसी प्रतिष्ठा पाएगी। यह परिक्रमा प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में शुरू होती है और चार किलोमीटर की दूरी तय करती है।

जागरण संवाददाता, अयोध्या। रामजन्मभूमि, कनकभवन, दशरथमहल, हनुमानगढ़ी जैसे आस्था के अनेक महनीय केंद्रों से समाविष्ट रामकोट की नित्य परिक्रमा का प्रयाेग प्रतिमान गढ़ रहा है।
शुरुआत के समय यह भी आशंका थी कि परिक्रमा में कोई ऐसा भी दिन आएगा कि इसकी संकल्पना करने वाले रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य डा. अनिल मिश्र एवं उनके अभिन्न सहयोगी तथा सेवानिवृत्त जिला होम्योपैथिक अधिकारी डा. चंद्रगोपाल पांडेय सहित राम मंदिर के व्यवस्था प्रमुख गोपाल राव को ही यह परंपरा आगे बढ़ानी होगी, किंतु रामलला और बजरंगबली के प्रताप से यह नौबत नहीं आई।
परिक्रमा के प्रति उद्घाटन महोत्सव में जो उत्साह था, वह माह भर बाद भी सतत प्रवहमान है। परिक्रमा की सूत्रधार त्रयी सहित हनुमानगढ़ी के प्रधान पुजारी रमेशदास, रामजन्मभूमि परिसर की व्यवस्था से जुड़े नरेंद्र तथा कुछ और संतों के समंवय से यह परंपरा न केवल आगे बढ़ रही है, बल्कि भविष्य के प्रति संभावनाएं भी पैदा कर रही है।
नित्य शताधिक श्रद्धालुओं के हिसाब से नित्य ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली रामनगरी के पवित्रतम परिधि की परिक्रमा में अब तक जहां तीन हजार से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है, वहीं इसमें शामिल होने वालों में कई ऐसे नाम हैं, जो आस्था के पथ के प्रेरक हैं।
ऐसे परिक्रमार्थियों में भानपुरा पीठ मंदसौर के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ, अति प्रतिष्ठित बावन मंदिर के महंत वैदेहीवल्लभशरण, अयोध्या नगर निगम के पूर्व महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, रामाश्रम के महंत जयरामदास, महंत सत्येंद्रदास, भाजपा के महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव, पूर्व महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, जीएसटी के सेवानिवृत्त अपर निदेशक इंद्रप्रकाश तिवारी, जिला शासकीय अधिवक्ता रामकुमार राय, धीरेश्वर वर्मा, सुशील जायसवाल, श्रीप्रकाश पाठक आदि शामिल हैं, जिनका समाज पर व्यापक प्रभाव है और जो अपने-अपने क्षेत्र के प्रेरक हैं।
परिक्रमा यात्री सेवा केंद्र से प्रतिदिन प्रातः शुरू होकर टेढ़ी बाजार चौराहा, गोकुलभवन, अशर्फीभवन, डाकखाना तिराहा होती हुई और चार किलोमीटर की दूरी तय करती हुई रामजन्मभूमि के दर्शन मार्ग पर समाप्त होती है।
‘कामदगिरि एवं गोवर्द्धन जैसी प्रतिष्ठा मिलेगी’
पुजारी रमेशदास के अनुसार वह दिन दूर नहीं, जब अयोध्या की यह अंतर्गृही परिक्रमा कामदगिरि (चित्रकूट) और गोवर्द्धन (मथुरा) जैसी परिक्रमा का स्वरूप प्राप्त करेगी।
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