Ayodhya: जन्मभूमि के प्रासाद में देवों संग विराजे राजा राम, अद्वितीय संयोग में प्रथम तल पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा
गंगा दशहरा तथा द्वापर युग के प्रारंभ की पावन तिथि अभिजित मुहूर्त की शुभ घड़ी इन सभी पुण्य अवसरों के संगम पर गुरुवार को राममंदिर में त्रिदिवसीय द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। अपने जन्मदिन पर इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे भारत की आत्मा की प्रतिष्ठा बताते हुए कहा राम दरबार केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं हमारे शासकीय आदर्श और पारिवारिक मूल्य का प्रतीक है।
अम्बिका वाजपेयी, अयोध्या। राम जन्मभूमि पर निर्मित भव्य-दिव्य मंदिर के भूतल पर जब 22 जनवरी, 2024 को बालक राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई तब पौष मास की द्वादशी तिथि थी। गुरुवार को प्रथम तल पर राम दरबार संग सप्त देवों (भोलेनाथ, शेषावतार, सूर्यदेव, माता अन्नपूर्णा, माता दुर्गा, गणेश जी, बजरंगबली) की प्राण प्रतिष्ठा का जब द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ तो ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि। दोनों तिथियों के बीच 498 दिवस का अंतराल..., लेकिन रामनगरी उसी कालखंड में ठहरी प्रतीत हुई जब 498 वर्षों की तपस्या के पश्चात रामलला अपनी जन्मभूमि पर विराजे थे। गंगा दशहरा तथा द्वापर युग के प्रारंभ की पावन तिथि, अभिजित मुहूर्त की शुभ घड़ी, इन सभी पुण्य अवसरों के संगम पर गुरुवार को राममंदिर में त्रिदिवसीय द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई।
अपने जन्मदिन पर इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे भारत की आत्मा की प्रतिष्ठा बताते हुए कहा, "राम दरबार केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, हमारे शासकीय आदर्श और पारिवारिक मूल्य का प्रतीक है।" श्रीराम दरबार और शेषावतार के साथ जिन मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा हुई, उनमें परकोटा के ईशान कोण पर शिव मंदिर, अग्निकोण में गणेशजी, दक्षिणी भुजा के मध्य में हनुमानजी, नैऋत्य कोण में सूर्यदेव, वायव्य कोण में मां भगवती के साथ परकोटा की उत्तरी भुजा के मध्य में अन्नपूर्णा माता प्रतिष्ठित हैं। मुख्य यजमान के रूप में राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल कुमार मिश्र ने सीएम के साथ समस्त अनुष्ठान संपन्न किए।
राम दरबार तथा अन्य मंदिरों में दर्शन के लिए अभी प्रतीक्षा करनी होगी, इस संबंध में सात जून को होने वाली बैठक में निर्णय लिया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान सुबह आवाहित देवताओं के पूजन के साथ प्रारंभ हुआ। काशी के यज्ञाचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी के नेतृत्व में आचार्यों ने मंत्रोच्चार के बीच प्रतिष्ठा के अनुष्ठान प्रारंभ किए। मंत्रोच्चारण के बाद विग्रहों की आंखों में बंधी पट्टी खोल कर दर्पण दिखाया गया। 11 बजकर 25 मिनट से 11:40 तक रहे अभिजित मुहूर्त में विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। मंत्रोच्चार और हवन के साथ राम दरबार सहित सभी देवताओं का आह्वान करके यथास्थान प्रतिष्ठित किया गया। परिसर वैदिक मंत्रों और रामनाम संकीर्तन से गुंजायमान रहा।
इस अवसर पर राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि, सदस्य वासुदेवानंद सरस्वती, उडुपी पीठाधीश्वर माध्वाचार्य विश्वेष प्रसन्नतीर्थ, कांचीकामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती, महंत दिनेंद्रदास, राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव सहित अन्य अतिथि उपस्थित रहे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद योगी ने नगर निगम के दो वर्ष पूरे होने पर रामकथा पार्क में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन काफी महत्वपूर्ण है। इसके लिए मैं अयोध्यावासियों को हृदय से बधाई देता हूं। मुख्यमंत्री योगी ने 3038.50 लाख रुपये की लागत के 50 कार्यों का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने 3508.81 लाख के 92 विकास कार्यों का शिलान्यास किया।
मूर्तियों में हर भाव जीवंत
मकराना के सफेद संगमरमर से जयपुर में निर्मित रामदरबार में भगवान राम, मां सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ हनुमानजी की मूर्तियां हैं। भगवान राम और सीता मां सिंहासन पर विराजमान हैं तो भरत और हनुमान उनके चरणों के पास बैठे हैं। यह स्वरूप भक्तों के लिए केवल दर्शन नहीं, आदर्शों का जीवंत पाठ है। राम दरबार की मूर्तियों में हर भाव जीवंत है। श्रीराम की मुखमुद्रा में मर्यादा और करुणा, सीता में शांति, लक्ष्मण में समर्पण और हनुमान में भक्ति और बल का संयोजन दर्शनीय है। यह मूर्तियां जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण ने निर्मित की हैं। मूर्तियों को सोने के छत्र, रेशम से बने वस्त्रों तथा आभूषणों से सजाया गया है। सिंहासन समेत राम दरबार की मूर्ति की ऊंचाई साढ़े सात फीट है। सिंहासन तीन फीट ऊंचा है, जबकि सीताराम का विग्रह साढ़े चार फीट ऊंचा है। वहीं हनुमान व भरत की मूर्ति बैठी मुद्रा में है, जिनकी ऊंचाई ढाई फीट है। लक्ष्मण व शत्रुघ्न की मूर्ति खड़ी मुद्रा में है, इसकी ऊंचाई तीन-तीन फीट है।
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