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    Ram Mandir News: इन दिनों मैंगो शेक पी रहे रामलला, गर्मी के कारण भोग-राग में बदलाव, कभी-कभी लस्सी व छाछ भी अर्पित

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 09:17 AM (IST)

    अयोध्या में गर्मी बढ़ने के कारण रामलला के भोग-राग में बदलाव किया गया है। अब उन्हें सुपाच्य भोजन के साथ मैंगो शेक अर्पित किया जा रहा है। दोपहर की आरती में मैंगो शेक नियमित रूप से दिया जा रहा है और कभी-कभी लस्सी व छाछ भी अर्पित की जाती है। मधुपर्क जो मधु घी और दही का मिश्रण है भी भोग में शामिल है।

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    इन दिनों मैंगो शेक पी रहे रामलला।

    Ram Mandir News: इन दिनों मैंगो शेक पी रहे रामलला, गर्मी के कारण रामलला के भोग-राग में बदलाव

    रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। भीषण गर्मी में रामलला का भोग राग बदल गया है। इस समय सुपाच्य भोजन के साथ ही मौसमी फल, आम व इससे बना शेक प्रभु को अर्पित किया जा रहा है। 

    लगभग नित्य ही आराध्य को दोपहर बाद चार बजे लगने वाले बाल भोग में मैंगो शेक दिया जाता है। अभी दशहरी आम से मैंगो शेक बनाया जा रहा है। इसके अलावा इन दिनों कभी-कभी लस्सी व छाछ भी अर्पित किया जाता है। 

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    आराध्य की नित्य पांच बार की आरती के पहले दीप, धूप व नैवेद्य के साथ मधुपर्क का भोग लगता है। मधुपर्क मधु, घी व दही का मिश्रण है। इनका अनुपात क्रमशः 3:2:1 होता है। 

    एक ट्रस्टी ने बताया कि इस समय आम का मौसम है, इसीलिए भगवान को कभी मैंगों शोक तो कभी आम का पना तो कभी समूचे आम का भोग लगता है। भोग व्यवस्था से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि इस समय मैंगो शेक का भोग लगता है। सिर्फ उत्सव पर ही पूड़ी-कचौड़ी, पक्का भोजन अर्पित किया जाता है।

    रामलला की पूजा-अर्चना के क्रम में नित्य अर्चक मंदिर में भोर तीन बजे पहुंचते हैं। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रभु को जगाते हैं। इसी के बाद कुछ तैयारी के साथ ही ब्रह्ममुहूर्त में चार बजे प्रभु को आम, सेब, केला व अन्य फलों का भोग लगाकर मंगला आरती की जाती है। 

    आरती के पहले फिर धूप, दीप, नैवेद्य, मधुपर्क दिया जाता है। इसके बाद लगभग साढ़े चार बजे से रामलला का श्रृंगार प्रारंभ होता है। इसमें भगवान को स्नान व नए वस्त्र धारण कराने के बाद छह बजे छिले हुए फल एवं मधुपर्क का अर्पण कर उनकी श्रृंगार आरती की जाती है। 

    इसके पहले भी धूप-दीप व मधुपर्क का अर्पण होता है। इसके साथ श्रद्धालुओं के लिए दर्शन प्रारंभ कर दिया जाता है। फिर सुबह नौ बजे बाल भोग में कभी दलिया, कभी पराठा, आलू की टिक्की, तहरी तो कभी पोहा का भोग लगाया जाता है।

    दिन के 12 बजे प्रभु को दाल-चावल, रोटी-सब्जी व दही, नारियल का पानी, लस्सी, अनार का जूस, मुसम्मी के जूस का भोग लगा मध्याह्न आरती की जाती है। इसके बाद गर्भगृह का पट बंद कर आराध्य को शयन कराया जाता है। 

    एक बजे पुन: रामलला को जागरण कराकर उन्हें मधुपर्क, दीप धूप व नैवेद्य अर्पित कर दर्शन के लिए पट खोल दिया जाता है। शाम चार बजे बाल भोग में इस समय प्रायः: मैगों शेक दिया जाता है। इसी में कभी लस्सी, छाछ का अर्पण होता है। 

    शाम सात बजे प्रभु को भोग लगाकर संध्या आरती की जाती है। इस दौरान मधुपर्क व लड्डू, पेड़ा का भोग लगाया जाता है। रात्रि साढ़े नौ बजे दाल-चावल, रोटी-सब्जी, दही आदि का भोग लगाकर उनकी शयन आरती की जाती है।