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    राम मंदिर ध्वजारोहण: अयोध्या में होगा आध्यात्मिक-सांस्कृतिक वैभव का संगम, 367 कलाकार लेंगे हिस्सा

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 03:06 PM (IST)

    अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजारोहण की तैयारी धूमधाम से चल रही है। इस अवसर पर 367 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे, जिससे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वैभव का अनूठा संगम होगा। पूरे शहर को सजाया गया है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

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    अयोध्या में होगा आध्यात्मिक-सांस्कृतिक वैभव का संगम।

    महेन्द्र पाण्डेय, अयोध्या। श्रीराम मंदिर ध्वजारोहण समारोह में सोमवार से आध्यात्मिक-सांस्कृतिक वैभव का संगम होने जा रहा है। दो दिनों तक प्रदेश के 367 कलाकार साकेत कॉलेज से नया घाट और एयरपोर्ट से भरतकुंड तक गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां देंगे।

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    वे रामनगरी की आध्यात्मिक गरिमा, परंपरागत सांस्कृतिक पहचान के साथ प्रदेश की समृद्ध लोककला विरासत का भव्य प्रदर्शन मंच पर करेंगे। इसमें संगीत, नृत्य, लोक कलाओं के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियां मुख्य आकर्षण होंगी।

    सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए रविवार को मंचों को मूर्त रूप दिया गया। प्रधानमंत्री के आगमन से एक दिन पूर्व से लेकर भव्य शोभायात्रा तक लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां होंगी।

    मयूर से कथक तक लोक एवं शास्त्रीय कलाएं प्रदर्शित की जाएंगी। संगीत और गायन की शृंखलाबद्ध प्रस्तुतियां आध्यात्मिक वातावरण को नई ऊंचाई प्रदान करेंगी।

    भजन गायन से लेकर ब्रज की पारंपरिक लोक धुनों तक और प्रदेश के विभिन्न अंचलों के लोक गायन दल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सुरों में पिरोकर प्रस्तुत करेंगे। शहनाई, सारंगी, पखावज, बांसुरी, सरोद और सितार जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की विशेष प्रस्तुतियां आयोजन को अतुलनीय आध्यात्मिक आभा से आलोकित करेंगी।

    ध्वजारोहण कार्यक्रम के साक्षी बन रहे लोगों को प्रदेश के पारंपरिक लोक नृत्य और शास्त्रीय कलाओं की अद्भुत छटा देखने को मिलेगी।

    उत्तर प्रदेश के विविध सांस्कृतिक रंग एक भव्य शोभायात्रा के रूप में नजर आएंगे। मयूर, राई, फरुवाही, बधावा, अवधी, करमा, ढेढिया, धोबिया, कहरवा, वनटांगिया और बारह सिंहा जैसे लोकनृत्य इस आयोजन के विशेष आकर्षण होंगे तो कथक की मनोहारी प्रस्तुति दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगी। इन सभी प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदेश की लोक-संस्कृति का व्यापक वैभव प्रदर्शित होगा।

    आज यहां होंंगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

    संस्कृति निदेशालय की अपर निदेशक डा. सृष्ट धवन ने बताया कि सोमवार को तुलसी स्मारक परिसर में सूफी, भजन व ब्रज के लोकगायन के साथ अयोध्या के लोक नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी। भरतकुंड में चित्रकूट के कलाकार भजन तो अयोध्या के गायक लोक गीत प्रस्तुत करेंगे।

    इसके साथ भजन, लोक नृत्य एवं कथक से भी मंच सजेगा। राम की पैड़ी पर भजन, सुगम व लोक गायन के साथ कथक नृत्य नाटिका प्रदर्शित की जाएगी।

    साकेत महाविद्यालय के पास दो मंचों के साथ, हरजेश पेट्रोल पंप के दाईं ओर, बृहस्पति कुंड के पास, सहारा इंटर प्राइजेज के निकट, लकी आर्ट व गेट नंबर 11 और महर्षि वाल्मीकि हवाई अड्डे पर भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
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    लाइव झलक दिखाएंगी 50 से अधिक एलईडी स्क्रीन : भव्य ध्वजारोहण कार्यक्रम शहर में 50 से अधिक एलईडी स्क्रीन पर प्रसारित किया जाएगा। सूचना विभाग ने एलईडी स्क्रीन और एलईडी वैन की व्यवस्था की है। जिला सूचना अधिकारी संतोष द्विवेदी ने बताया कि पोस्ट आफिस, तुलसी स्मारक भवन, कारसेवकपुरम, टेढ़ी बाजार, रेलवे स्टेशन, सूर्यकुंड, गुप्तारघाट, राम कथा पार्क, मीडिया सेंटर में स्क्रीन लगाई गई है। बस स्टैंड, सहादतगंज, देवकाली बाईपास, उदया सहित कई अन्य स्थानों पर भी एलईडी वैन तैनात की जाएंगी।
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    अयोध्या बेहद सुंदर, यह मोदी के प्रयासों का परिणाम : समारोह को लेकर संत समुदाय में भी उत्साह है। संतों ने ध्वजारोहण समारोह में पीएम नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति को करोड़ों राम भक्तों के लिए गौरव का क्षण बताया है। तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगत गुरु परमहंस आचार्य महाराज ने कहा कि यह आयोजन गहन सांस्कृतिक और सभ्यतागत महत्व रखता है। प्रधानमंत्री मोदी युगपुरुष हैं। उन्होंने न केवल अयोध्या के स्वरूप को संवारा है, बल्कि उसे त्रेता युग जैसी दिव्य आभा प्रदान की है। आज यहां आने वाला हर व्यक्ति इस परिवर्तन को महसूस कर सकता है। वेदों और पुराणों में जिस अयोध्या धाम का वर्णन है, वह आज पुनर्जीवित होता दिख रहा है। बाबरी मस्जिद मामले के पूर्व वादी इकबाल अंसारी ने भी पीएम मोदी की इस यात्रा का स्वागत किया। उन्होंने कहा, आज अयोध्या बेहद सुंदर है और यह प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का परिणाम है। यहां सभी धर्मों के लोग सौहार्द के साथ रहते हैं। हमें लगता है कि प्रधानमंत्री का ध्वजारोहण करना सौभाग्य की बात है। हमें ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ सुनिश्चित करे। हिंदू-मुस्लिम के बीच शांति और भाईचारा बना रहना चाहिए।