Ram Mandir Flag Hoisting: सदियों का इंतजार खत्म! 'अवरोह' के शून्य से 'आरोह' के स्वर्ण शिखर पर रामनगरी
अयोध्या को बिगड़ने में देर नहीं लगी, पर बनने में सदियाँ लगीं। बाबर के सेनापति मीर बाकी ने रामजन्मभूमि मंदिर को तोपों से ध्वस्त कर दिया था। 497 वर्ष बाद, प्रधानमंत्री मोदी भव्य राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। राम जन्मभूमि मुक्ति का संघर्ष साहस और निराशा का प्रतीक रहा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मंदिर बनने पर संदेह था। राम मंदिर के साथ अयोध्या विश्व स्तरीय सांस्कृतिक नगरी बन रही है।

तस्वीर क्रेडिट- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (एक्स)।
रघुवरशरण, अयोध्या। रामनगरी की बिगड़ने में तो देर नहीं लगी, किंतु बनने के लिए उसे सदियों तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। एक मार्च 1528 को वह चंद घंटे का अभियान था, जब बाबर के सेनापति मीर बाकी ने तोप के गोलों से रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को ध्वस्त किया और इसी के बाद से अस्मिता पर आघात से खोया गौरव वापस पाने का शुरू हुआ अभियान अनेक उतार-चढ़ावो से गुजरता हुआ सुदीर्घ काल तक चला।
497 वर्ष सात माह और 22 दिन बाद मंगलवार को राम भक्तों के लिए वह स्वर्णिम और निर्णायक घड़ी आएगी, जब भव्य राम मंदिर के स्वर्ण शिखर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों ध्वजारोहण के साथ रामनगरी की बिगड़ी शत-प्रतिशत पूर्णता के साथ संवरेगी।
रामजन्मभूमि मुक्ति का सुदीर्घ संघर्ष अदम्य साहस और सतत प्रतिबद्धता के साथ ऊबन, घुटन और हताशा का भी उदाहरण प्रस्तुत करने वाला रहा है। नौ नवंबर 2019 को रामलला के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के कुछ पूर्व तक भी अंतिम रूप से यह नहीं कहा जा सकता था कि मंदिर बनेगा ही।

तस्वीर क्रेडिट- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (एक्स)।
तथापि मंगलवार को ध्वजारोहण के अति भव्य समारोह के साथ जिस मंदिर की निर्मिति पूर्ण होने की वैश्विक उद्घोषणा होगी, वह भव्यता का प्रतिमान गढ़ने वाला है। सदियों तक उस भूमि को निरापद रखने का संकट था, जहां कोटि-कोटि श्रद्धालुओं के आराध्य ने जन्म लिया था।
464 वर्ष बाद छह दिसंबर 1992 को मस्जिद का बाना पहनाए गए बिखंडित भवन से मुक्ति तो मिली, किंतु बाद के 27 वर्ष तक रामलला को तंबू-कनात के अस्थायी मंदिर में रहना पड़ा। ऐसे में भव्य मंदिर की बात तो दूर, रामलला के लिए कामचलाऊ मंदिर की परिकल्पना भी राम भक्तों को राहत देने लगी थी।

तस्वीर क्रेडिट- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (एक्स)।
यद्यपि रामजन्मभूमि न्यास ने 1989 में ही रामजन्मभूमि पर नागर शैली के भव्य मंदिर का मानचित्र तैयार करा लिया था, किंतु लंबी प्रतीक्षा के चलते इस पर अमल होने का विश्वास डगमगा रहा था। मानचित्र के अनुरूप तराशी गई शिलाओं पर काई जमने लगी थी।
अवरोह की घुटन भरी घाटियों से गुजरी रामनगरी आज इस सत्य की परिचायक बन कर प्रतिष्ठित हुई है कि पतन-प्रतिकूलता से उबर कर अनुकूलता और वैभव के किस शिखर पर पहुंचा जा सकता है।
न केवल रामजन्मभूमि न्यास ने साढ़े तीन दशक पूर्व जिस मंदिर की कल्पना की थी, उससे भी विशाल और भव्य मंदिर निर्मित हुआ है, बल्कि भव्य राम मंदिर के साथ विश्व स्तरीय सांस्कृतिक नगरी के रूप में रामनगरी भी दिव्य आकार ले रही है।

तस्वीर क्रेडिट- श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (एक्स)।
गत 55 माह में एक-एक कर आकार ग्रहण करते राम मंदिर के शिखर-उप शिखर के साथ रामनगरी ने भी भव्यता के अनेक शिखर-उप शिखर प्रशस्त किए हैं।
महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, वैश्विक स्तर का अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन, राम पथ, भक्ति पथ, धर्म पथ एवं अनेक उपरिगामी सेतु से युक्त मार्गों के अति उन्नत प्रबंधन सहित 50 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की परियोजनाओं के साथ आज रामनगरी के बारे में राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होंगी, ‘देख लो साकेत नगरी है यही स्वर्ग से मिलने गगन को जा रही।’

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