'मेरे जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई', राम मंदिर के साथ पूरी अयोध्या में लहरा रहा आस्था का ध्वज
अयोध्या में राम मंदिर के ध्वजारोहण के साथ पूरे शहर में आस्था का माहौल है। एक भक्त ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उसकी जीवन की अभिलाषा आज पूरी हो गई। पूरे अयोध्या में उत्साह और श्रद्धा का माहौल है।

राम मंदिर के साथ पूरी अयोध्या में लहरा रहा आस्था का ध्वज।
महेन्द्र पाण्डेय, अयोध्या। कल-कल प्रवाहित होतीं सरयू और मंदिरों में प्रात:काल घंटे एवं शंख की गूंंज। पक्षियों की चहचहाहट के साथ ही प्रकृृति के खूबसूरत दृश्य। यह प्राचीन अयोध्या का संक्षिप्त वर्णन ही नहीं, बल्कि श्रीरामनगरी का वर्तमान परिदृश्य भी है। आज केवल श्रीराम मंदिर ही नहीं, समूची अयोध्या में आस्था का ध्वज लहरा रहा है।
अयोध्या के दर्शन की अनुभूति अद्भुत, अभूतपूर्व और अवर्णनीय है। इसी युगांतकारी क्षण की जन-मन को प्रतीक्षा थी। भाव विह्वल करने वाले इस दृश्य के साक्षी बन देश-विदेश के लोग आह्लादित, उल्लसित हैं। उनके मन में भाव-भक्ति की अभिव्यक्ति अनुपम है।
ध्वजारोहण समारोह को लेकर सुबह से कदम-कदम पर सुरक्षा का घेरा है, लेकिन श्रद्धावानों को इस बात का संतोष है कि जिस प्रभु ने बुलाया है, अब उनका दर्शन कर सकेंगे। हैदराबाद से आए शिवेंद्र कहते हैं, सबके राम अपने धाम में पहले ही शोभायमान-विराजमान हो गए थे, किंतु आज ध्वजारोहण की प्रतीक्षा भी पूरी हो गई।
हमारे साथ आए लोगों की भी इच्छा बस इतनी है, कैसे भी प्रभु को जीभर निहार लें। अपने धाम में पुनर्प्रतिष्ठित होकर पांच वर्ष के राघव ने भक्तों में जो अभूतपूर्व आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया था, ध्वजारोहण के बाद अयोध्या जी के कण-कण में अप्रतिम उल्लास है।
भावुक, आह्लादित, मर्यादित, संतुष्ट और नि:शब्द... श्रीराम लला के दर्शन के लिए अकुलाए जन-जन में ऐसा भाव है, मानों उनकी आत्मा में अयोध्याजी का वास है।
आंध्र प्रदेश से शिवाराम सोमवार रात में अयोध्या पहुंचे। सिविल लाइन चौराहे पर पूछ रहे हैं, श्रीराम जन्मभूमि किधर से जाएं? उप निरीक्षक ने संकेत किया, जिस मार्ग पर पताकाएं फहर रही हैं, उधर ही प्रुभ का द्वार है। पिट्ठू बैग लादे शिवाराम राम पथ पर बढ़ते चले जा रहे हैं। कहते हैं, बस एक ही उत्कंठा है प्रभु और उनके धाम को जीभर निहारने की। यहां आ गए हैं तो वो साध भी पूरी हो जाएगी।
बेंगलुरु से आए राजर्षि कोट्टारी भी साथियों संग पहुंचे हैं। कहते हैं, मैं प्रभु के प्राण प्रतिष्ठा की शुभ घड़ी भी का साक्षी रहा। ध्वजारोहण समारोह के समय भी अयोध्या जी में रहने का सौभाग्य पाकर आनंदित हूं। भगवान के दर्शन से मेरा रोम-रोम पुलकित है। मन मुदित है। ऐसा लग रहा है, जैसे मेरे जीवन की अभिलाषा पूरी हो गई। मैं कितना आनंदित हूं, सोच नहीं पा रहा, कैसे व्यक्त करूं। मेरे साथ चार लोग और आए हैं, अब उन्हें भी राघव के दर्शन कराने के बाद यहां से जाऊंगा।
आस्था का ज्वार पूरी अयोध्या में एक समान है। शीतल, मंद और सुगंधित पवन के संस्पर्श से जड़-चेतन सब आनंद से डूब गए हैं। सिद्धपीठ हनुमान गढ़ी में वार ही नहीं, वातावरण भी मंगल है। प्रवेश और निकास द्वार पर प्रफुल्लित भीड़ हनुमंत लाल संग श्रीराम लला के जयघोष के साथ अपूर्व उत्साह को व्यक्त कर रही है।
महाराष्ट्र से आए जयनेंद्र सनातन संस्कृति की पताका को लहराते देख कहते हैं, सदियों के संघर्ष का सुफल सामने है। धोती पहन कर दर्शन करने को अपनी परंपरा बताते हुए वह कहते हैं, राम भक्तों के तप, त्याग और बलिदान ने हमें यह सुअवसर प्रदान किया है। मेरी आकांक्षा आज पूरी हो गई। तभी भीड़ बढ़ती है और विवेकानंद नवीन उत्साह के साथ बढ़ जाते हैं।
लता चौक पर वीणा के साथ अपनी तस्वीर ले रहे कर्नाटक के अमेंद्र हर्षित हो रहे हैं। कहते हैं, श्रीराम केवल सनातन धर्म के आराध्य ही नहीं, हमारे चिंतन और दर्शन भी हैं। श्रीराम ही रीति-प्रकृति और प्रज्ञा हैं। राम हमारी संस्कृति का हस्ताक्षर हैं। वह शक्ति, भक्ति और स्तुति हैं। श्रीराम भारतीय हैं और उनसे ही भारतीयता है। इसलिए ध्वजारोहण दिवस भारतवर्ष का उत्सव के रूप में मनाया जा है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।