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    Ram Mandir: अयोध्या के चार पथ, वेद और युग; रामनगरी आ रहे लोगों को दिखा रहे मोक्ष की राह

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 12 Jan 2024 04:46 AM (IST)

    अयोध्या में चार पथ धर्मपथ रामपथ भक्तिपथ और जन्मभूमिपथ की खूब चर्चा हो रही है। जो आज का रामपथ है पहले ऊबड़-खाबड़ भीड़-भाड़ व जाम का ऐसा नकारात्मक दृश्य उपस्थित करता था कि लोगों के चेहरे तमतमाए चिड़चिड़ाए या उदासीन नजर आते थे। यह स्थिति रोजाना की थी। भगवान में भाव न हो तो लोग एक बार आकर दोबारा न आएं। लेकिन आज सब बदल गया है।

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    अयोध्या के चार पथ रामनगरी आ रहे लोगों को दिखा रहे मोक्ष की राह

    अजय शुक्ला, अयोध्या। अयोध्या में क्या बदला? यह सहज प्रश्न उन लोगों को भी मथ रहा जो अयोध्यावासी हैं और उन्हें भी जो अयोध्या दर्शन के अभिलाषी हैं। उत्तर उन चार पथों से गुजर कर मिल जाएगा जो न केवल सहज दृष्टिगोचर होते हैं, अनुभूत भी होते हैं।

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    रामजन्म भूमि मंदिर तक जाने वाला दो लेन का

    लता मंगेशकर चौक से लखनऊ-गोरखपुर हाइवे को जोड़ने वाला दो किमी लंबा चार लेन का धर्मपथ, सहादतगंज से लता मंगेशकर चौक (नया घाट) को जोड़ने वाला 12.94 किमी लंबा चार लेन का रामपथ, रामपथ से ही लगा शृंगार हाट से हनुमान गढ़ी तक जाने वाला चार लेन का 742 मीटर लंबा भक्तिपथ और इसी तरह रामपथ पर ही सुग्रीव किला बिड़ला धर्मशाला से होते हुए रामजन्म भूमि मंदिर तक जाने वाला दो लेन का 580 मीटर लंबा जन्मभूमिपथ।

    रामपथ पहले ऊबड़-खाबड़ था

    आज का रामपथ पहले ऊबड़-खाबड़, भीड़-भाड़ व जाम का ऐसा नकारात्मक दृश्य उपस्थित करता था कि लोगों के चेहरे तमतमाए, चिड़चिड़ाए या उदासीन नजर आते थे। यह स्थिति रोजाना की थी। भगवान में भाव न हो तो जो एक बार आए दोबारा आने का नाम भी न ले। अब दृश्य बदला है और ऐसा बदला है कि इन पथों पर विचरते हर चेहरे की आभा में ही प्रतिबिंबित होने लगता है।

    इसे लेकर सभी की अपनी मौलिक उद्भा्वनाएं हैं। अयोध्या संवारने में लगे अधिकारी कहते हैं कि योगी सरकार ने चार वेद, चार युग की प्रेरणा से इन चार पथों का नवनिर्माण कराया है। पुरातन वैभव को आधुनिक जीवनशैली के अनुरूप ढालकर अयोध्या में कायाकल्प करने का मार्ग सुनिश्चित किया जा रहा है।

    ईश्वरता में प्रवेश का प्रतीक

    हनुमत निवास के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण इन चार पथों के संदर्भ में कहते हैं कि चतुष्टय विज्ञान के अनुसार इन्हें चार वेद, चार युग ही नहीं चार पुरुषार्थों, चार आश्रमों या चार अवस्थाओं के रूप में भी देख सकते हैं।

    आज के संदर्भ में यदि पुरुषार्थ चतुष्ट्य के धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को लें तो धर्मपथ वह है जो हाईवे से अयोध्या में आपका प्रवेश करा रहा है। यह ईश्वरता में प्रवेश का प्रतीक है। रामपथ आपको अयोध्या में प्रवेश कराता है। राम के जीवन की तरह ही यह सबसे सुदीर्घ पथ है। अयोध्या नौ-द्वार एक पुरी का नाम है और इस शरीर का भी। इसमें भी आठ चक्र और नौ दरवाजे हैं।

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    हर पथ पर राम का जीवन चरित

    रामपथ को लेकर यहां आम लोगों की अपनी-अपनी भावनाएं हैं। वे कहते हैं, धर्म पथ पर पहुंचते ही आपको भगवान श्रीराम के जीवन चरित का चित्रण मिलता है और पावन सरयू तट तक पहुंचते आध्यात्मिक अनुभूति से मन तृप्त होने लगता है। राम पथ पर आपको आध्यात्मिक के साथ आर्थिक समृद्धि के अंश भी दिखने लगेंगे। भगवान श्रीराम हमेशा से भक्तों की कामना की पूर्ति करते ही आए हैं इसलिए भक्तिपथ नाम सार्थक होता है और जिनकी जन्मभूमि है वह तो हैं ही मुक्तिदाता।...मौलिक उद्भावनाएं और भी हैं।