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    Ram Mandir Ayodhya : हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहेंगी राम मंदिर में लगाई जा रहीं खिड़कियां

    Ram Mandir Ayodhya इसका निर्माण केंद्र सरकार के मिधानी संयंत्र से कराने का भी फैसला लिया गया। हैदराबाद के कंचनबाग में मिधानि की उत्पादन इकाई है। यहां सुपर मिश्रित धातुओं विशेष स्टील्स रक्षा की सामग्रियों अन्य सामरिक सामग्री के उत्पादन और इसकी आपूर्ति की जाती है। आपूर्ति सरकारी संस्थान में भी होती है।

    By Praveen Tiwari Edited By: Dharmendra Pandey Updated: Sun, 29 Jun 2025 06:22 PM (IST)
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    सरकार के मिधानी संयंत्र में जुलाई से निर्मित होंगी राम मंदिर की खिड़कियां

    प्रवीण तिवारी, जागरण, अयोध्या : भव्य और दिव्य राम मंदिर के भू, प्रथम व द्वितीय तलों पर टाइटेनियम की खिड़कियां लगाई जाएंगी। इसकी नापजोख इसी माह में की जा चुकी है। आवश्यकता पड़ने पर कारीगर फिर से यहां आकर दोबारा नाप जोख कर सकेंगे।

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    खिड़कियों का निर्माण जुलाई माह में भारत सरकार के संयंत्र हैदराबाद के मिधानी (मिश्र धातु निगम लिमिटेड) में किया जाएगा। यहीं पर उत्पाादित टाइटेनियम से कारीगर खिड़कियां बनाएंगे। इसका कार्य पूर्ण होने पर सितंबर माह के अंत या फिर अक्टूबर में मंदिर में ये खिड़कियां फिट कर दी जाएगी। इन खिड़कियों पर बारिश, धूप आदि का प्रभाव बिल्कुल नहीं पड़ेगा। ये सभी सदैव चमकदार बनीं रहेंगी।

    दरअसल मंदिर के तीनों तल पर कुल 44 कपाट लगे हैं। इसमें भूतल पर सभी कपाट को स्वर्ण मंडित भी किया गया है। कपाट लगने के बाद ही ट्रस्ट ने तुरंत खिड़कियों को निर्मित कराने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी। इसके पहले मंदिर निर्माण समिति की बैठक में किस धातु की खिड़की लगाई जाए, इस पर विस्तार से विमर्श हुआ।

    अंत में तय हुआ कि ये टाइटेनियम धातु ही इसमें प्रयुक्त है। इसका निर्माण केंद्र सरकार के मिधानी संयंत्र से कराने का भी फैसला लिया गया। हैदराबाद के कंचनबाग में मिधानि की उत्पादन इकाई है। यहां सुपर मिश्रित धातुओं, विशेष स्टील्स, रक्षा की सामग्रियों, अन्य सामरिक सामग्री के उत्पादन और इसकी आपूर्ति की जाती है।

    कार्यदायी संस्था के एक इंजीनियर ने बताया कि टाइटेनियम बहुत कम अभिक्रियाशील है, क्योंकि एल्युमीनियम की तरह ही यह आक्साइड की एक पतली सुरक्षात्मक परत बनाता है, इसलिए यह जंग नहीं खाता। इसका घनत्व लोहे से बहुत कम है, इसलिए टाइटेनियम मिश्र धातु एयरोस्पेस, कृत्रिम अंग उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    उन्होंने बताया कि मंदिर की खिलाड़ियों में जंग न लगे, इसलिए इस धातु से इसे निर्मित किया जा रहा है। मंदिर में सितंबर-अक्टूबर माह तक इसके संयोजित कराने की संभावना है।