Ayodhya: अति महनीय योग में होगी राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा, 120 आचार्य रहेंगे; ये हैं खास तैयारियां
अयोध्या के राम मंदिर के पहले तल पर 5 जून को राम दरबार सहित अन्य देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह तिथि गंगा अवतरण की तिथि है और ट्रस्ट द्वारा गहन विचार के बाद चुनी गई है। अनुष्ठान 2 जून से शुरू होंगे और 5 जून को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होगी। परकोटा के शिव मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा 31 मई को होगी।

रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार सहित पूरक मंदिरों में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिष्ठा पांच जून को प्रस्तावित है। यह तारीख अति महनीय योग में पड़ रही है और इसके पीछे मात्र संयोग नहीं, बल्कि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गहन विचार-विमर्श का परिणाम है।
पांच जून को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी की तिथि है और यह तिथि पवित्र-पूज्यनीय नदी गंगा के इस धरा पर अवतरण की तिथि मानी जाती है। इसी तिथि पर द्वापर युग का प्रारंभ भी माना जाता है। महनीय योग का चयन मात्र प्राण प्रतिष्ठा के ही लिए नहीं निर्धारित किया गया है, बल्कि गत 30 अप्रैल को जब निर्माण के बाद प्रतिमाओं को जयपुर से लाकर संबंधित मंदिरों में रखा गया, तब भी अक्षय तृतीया का बहुत ही शुभ योग था।
यह पहला अवसर नहीं है, जब प्राण प्रतिष्ठा में योग एवं मुहूर्त का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। गत वर्ष 22 जनवरी को मंदिर के भूतल में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पौष शुक्ल द्वादशी यानी भगवान विष्णु के कूर्मावतार के दिन हुई थी। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मुहूर्त, योग एवं तिथि के साथ पूजन के विधि-विधान के अनुपालन को लेकर भी पूरी तरह सजग-संवेदनशील है।
प्राण प्रतिष्ठा की घोषित तिथि तो तीन से पांच जून के मध्य प्रस्तावित है, किंतु दो जून को प्रायश्चित कर्म एवं जल यात्रा से ही प्राण प्रतिष्ठा का आरंभ हो जाएगा। तीन जून को पंचांग पूजन से अनुष्ठान विधि-विधान पूर्वक आरंभ होगा। इसी दिन यज्ञ मंडप पूजन, देवताओं का पूजन, ग्रह यज्ञ, अग्नि स्थापन, हवन तथा प्रतिमाओं का जलाधिवास आरंभ होगा।
चार जून को आवाहित देवताओं का पूजन, प्रतिमाओं का अन्नाधिवास, हवन, देवस्नान, प्रासाद स्थानापन्न, ग्राम प्रदक्षिणा तथा सायं प्रतिमाओं का शैयाधिवास संयोजित है। पांच जून को अभिजित मुहूर्त यानी पूर्वाह्न 11:25 बजे से 11:40 बजे के बीच स्थिर माने जाने वाले सिंह लग्न और सिंह नवमांश में मुख्य पूजन के साथ प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न होगा। प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराने में 120 आचार्य संलग्न होंगे। इनमें से सौ अयोध्या के ही, बाकी काशी, प्रयाग और अन्य तीर्थ क्षेत्रों के होंगे। प्राण प्रतिष्ठा के प्रमुख आचार्य पं. प्रवीण शर्मा एवं इंद्रदेव आचार्य हैं।
शिव लिंग की प्राण प्रतिष्ठा 31 मई को ही
जहां राम मंदिर के प्रथम तल पर रामदरबार सहित शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण एवं परकोटा के पांच एवं परकोटा के बाहर सप्त मंदिरों में सात देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा पांच जून को होगी, वहीं परकोटा के शिव मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा 31 मई को ही कर दी जाएगी। आचार्यों के अनुसार शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा में शिववास का योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है और पांच जून की जगह शिववास का योग 31 मई को ही मिल रहा है।
प्रतिमाओं का होगा प्रतीकात्मक अधिवास
प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में प्रतिमाओं का अधिवास महत्वपूर्ण कर्मकांड होता है और जलाधिवास, अन्नाधिवास या शैयाधिवास के लिए संबंधित प्रतिमाओं को नख से शिख तक जल, अन्न अथवा शैय्या पर अधिवास कराया जाता है, किंतु प्रतिमाएं पहले से ही यथास्थान स्थापित हो चुकी हैं, इसलिए अधिवास का कर्मकांड प्रतीकात्मक होगा और संबंधित प्रतिमाओं को सूत से जोड़ कर अधिवास कराया जाएगा।
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