सोने की तारों से बनी भगवान राम की ड्रेस, तैयार करने में लगा एक साल; सर्दियों में खास तरह की शॉल ओढ़ेंगे रामलला
अयोध्या में राम विवाह और ध्वजारोहण के दिन रामलला स्वर्ण जड़ित पीतांबरी और पश्मीना शाल धारण करेंगे। इन विशेष वस्त्रों को बनाने में एक वर्ष लगा। विवाह पंचमी के लिए रामलला सहित सभी देवी-देवताओं के लिए सिल्क के वस्त्र बनाए गए हैं, जिन पर सोने के तार जड़े हैं। सर्दियों के लिए रामलला को पीला पश्मीना शाल ओढ़ाया जाएगा।

प्रवीण तिवारी, अयोध्या। राम विवाह और ध्वजारोहण के दिन रामलला स्वर्ण जड़ित पीताबंरी पर पश्मीना का शाल धारण करेंगे। उनके लिए विशेष वस्त्र तैयार करने की प्रक्रिया एक वर्ष से चल रही थी।
ध्वजारोहण के दिन यानी 25 नवंबर को विवाह पंचमी भी है, इसके लिए रामलला, तीनों भाइयों भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न, माता सीता, हनुमान सहित मंदिर के परकोटे में स्थापित भगवान शिव, हनुमान, गणेश, माता दुर्गा, अन्नपूर्णा व भगवान सूर्य देव के लिए भी सिल्क के वस्त्र बनाए गए हैं।
रामलला के लिए स्वर्ण जड़ित पीतांबरी वस्त्र बनाने में एक वर्ष का समय लगा। इसकी बुनाई के लिए दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के सत्य साई जिले के धर्मावरम में हथकरघा लगा है, जिस पर रामलला के वस्त्र बुने जाते हैं। यहां के बुनकरों ने एक वर्ष पूर्व ही भगवान राम के लिए विवाह पंचमी के दिन धारण करने के लिए वस्त्र तैयार किए।
प्रख्यात डिजाइनर अंबेडकरनगर के मनीष तिवारी ने इसकी डिजाइन तैयार की थी। मनीष ने बताया कि कि बुनकरों ने तैयार डिजाइन के अनुरूप वस्त्रों को तैयार किया है। रेशम से बने रामलला व माता सीता के वस्त्रों पर स्वर्ण के तार लगे हैं।
दक्षिण भारत में बुने गए सिल्क पर कढ़ाई दिल्ली में की गई। सभी भगवत विग्रहों के वस्त्रों पर भिन्न-भिन्न डिजाइन है। सभी के वस्त्र पर सोने के तारे जड़े हैं।
मनीष ने बताया कि माता अन्नपूर्णा व दुर्गा माता के लिए सिल्क की साड़ी तैयार की गई है। सर्दी का मौसम होने के कारण रामलला को पीले रंग का पश्मीना का शाल ओढ़ाया जाएगा। सभी देवी देवता अलग-अलग रंग के पश्मीना शाल धारण करेंगे।
मनीष ने बताया कि जिस तरह राम मंदिर संपूर्ण देश की एकता का प्रतीक बना है, उसी तरह रामलला के वस्त्रों ने भी देश के काेने-कोने के सिल्क को नई पहचान दी।
अलग अलग अवसरों पर देश के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के सिल्क से रामलला के वस्त्र तैयार किए जाते हैं। जैसे दीपोत्सव पर गुजरात के पाटन पटोला सिल्क से बना वस्त्र पहनाया गया था।

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