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    राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा : दिव्य पालकी में विराजे देवी-देवताओं ने किए रामलला के दर्शन

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 11:07 PM (IST)

    Ram Darbar Pran Pratishtha in Ayodhya सुबह मंदिर भ्रमण के लिए आचार्यों ने ही पुष्पों से पालकियों को सज्जित किया। इन पर राम दरबार शिव शेषावतार मां अन्नापूर्णा मां दुर्गा भगवान सूर्यदेव गणेशजी व हनुमानजी की उत्सव प्रतिमाओं को विराजित कर रामलला के मंदिर का भ्रमण कराया गया। सिंहद्वार से पालकी गुजरी तो भक्तों का उल्लास शीर्ष पर था।

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    राम मंदिर परिसर के पूरक मंदिरों में पूजन के लिए मंडप में स्थापित कलश: जागरण

    जागरण संवाददाता, अयोध्या : प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दूसरे दिन बुधवार को राम मंदिर परिसर में भक्ति का उल्लास पग-पग बिखरता रहा। समस्त देव विग्रहों का विभिन्न जीवनदायी द्रव्यों में अधिवास हुआ। उत्सव विग्रह पालकी पर बैठकर भ्रमण के लिए निकले। रामलला का दर्शन किया।

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    भ्रमण की शुरुआत यज्ञ मंडप से हुई, जहां से सज्जित दो पालकियों को आचार्यों ने कंधे पर उठाया। भक्तों ने श्रीराम जय राम जय जय राम... का संकीर्तन करते हुए पहले मंडप की प्रदक्षिणा की। इसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल रहे। शाम को देव विग्रहों का संबंधित मंदिरों में ही शैय्याधिवास कराया गया। यज्ञाचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी के निर्देशन में पूजा का क्रम अनवरत चला।

    अनुष्ठान के दृष्टा ज्योतिषाचार्य पंडित प्रवीण शर्मा सहित सभी आचार्यों ने पूजा संपन्न कराई। दोपहर दो से तीन बजे के मध्य ही सभी देवी-देवताओं की उत्सव मूर्तियों का परिसर भ्रमण हुआ। दिन भर वेद की ऋचाएं गूंजती रहीं। हनुमान चालीसा का पारायण होता रहा। त्रिदिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अंतिम दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रथम तल पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। संयोग से गुरुवार यानी पांच जून को योगी का जन्मदिन भी है।

    सुबह मंदिर भ्रमण के लिए आचार्यों ने ही पुष्पों से पालकियों को सज्जित किया। इन पर राम दरबार, शिव, शेषावतार, मां अन्नापूर्णा, मां दुर्गा, भगवान सूर्यदेव, गणेशजी व हनुमानजी की उत्सव प्रतिमाओं को विराजित कर रामलला के मंदिर का भ्रमण कराया गया। सिंहद्वार से पालकी गुजरी तो भक्तों का उल्लास शीर्ष पर था। यज्ञमंडप के अलावा प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित मंदिरों का भी विधान पूर्वक पूजन हुआ।

    इससे पहले मुख्य यजमान डा. अनिल कुमार मिश्र व उनकी पत्नी ऊषा मिश्र सहित अन्य यजमानों ने प्रातः साढ़े छह बजे से यज्ञमंडप में दो घंटे तक आवाहित देवी-देवताओं का पूजन किया। यज्ञ कुंडों में आहुतियां डालीं। इस दौरान प्रतिमाओं का भी प्रतीकात्मक अन्नाधिवास कराया गया। यह विधान सुबह नौ से साढ़े नौ बजे तक संपन्न हुआ।

    हवन के बाद देव विग्रहों को स्नान करा कर प्रासाद स्नापन (देवविग्रहों का स्नान व तत्संबंधित प्रासाद का पवित्रीकरण) किया गया। परिसर भ्रमण के बाद दूसरे प्रहर के तीन से साढ़े चार बजे तक शैय्याधिवास का क्रम शुरू हुआ।

    अधिवास के क्रम में देव प्रतिमाओं का घृताधिवास, जलाधिवास, पुष्पाधिवास, शर्कराधिवास कराया गया। इसके अतिरिक्त शाम साढ़े चार से पांच बजे तक समस्त देवालयों का यजमानों ने वास्तु पूजन किया। प्रत्येक मंदिर में दो-दो संत उपस्थित रहे। फिर शाम को पूरक मंदिरों से लौट कर यजमानों ने यज्ञशाला में हवन किया और बाद में आरती के साथ ही दिन की पूजा का समापन हो गया।