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    रामनगरी अयाेध्या में प्रधानमंत्री Narendra Modi ने दिया शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव का संकेत

    By Rama Sharan Awasthi Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Wed, 26 Nov 2025 04:45 PM (IST)

    PM Narendra Modi in Ayodhya: पीएम ने तमिलनाडु के एक गांव में स्थित एक हजार वर्ष पुराने शिलालेख का उल्लेख करते हुए कहाकि उस पर अत्यंत सुंदर शब्दों में तत्कालीन लोकतांत्रिक व्यवस्था का विवरण मिलता है। मोदी ने देश में रामत्व को नकारे जाने को भी गुलाम मानसिकता का एक और उदाहरण बताया

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     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और अत्यंत महत्वपूर्ण संकल्प व्यक्त किया

    जागरण संवाददाता, अयोध्या: राम मंदिर पर धर्म ध्वजा के माध्यम से मंदिर निर्माण के संकल्प की सिद्धि के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक और अत्यंत महत्वपूर्ण संकल्प व्यक्त किया। यह संकल्प देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलाने का है।

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    प्रधानमंत्री माेदी ने अगले दस वर्षों में मैकाले की शिक्षा पद्धति से उपजी मानसिकता के समूल नाश का आह्वान किया। उन्होंने याद दिलाया कि 190 वर्ष पहले 1835 में एक अंग्रेज ने भारत को उसकी जड़ों से उखाड़ने के लिए गुलामी की मानसिकता के बीज बोये थे। मैकाले ने भारतीय समाज को उसकी समृद्ध सांस्कृतिक चेतना से विमुख करने के लिए जिस शिक्षा पद्धति का सूत्रपात किया, उसने हमें गुलामी की मानसिकता में ढकेल दिया।

    उन्हाेंने कहा कि आज जब राम मंदिर पर धर्म ध्वजा के माध्यम से देश अपनी सांस्कृतिक चेतना के एक और उत्कर्ष बिंदु का साक्षी बन रहा है, तो इस अवसर पर हमें इस मानसिकता के खात्मे का संकल्प भी लेना होगा। दस वर्ष बाद मैकाले की शिक्षा पद्धति के दो सौ साल पूरे हो जाएंगे। तब तक हमें इस मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति पानी होगी। प्रधानमंत्री के इस आह्वान को देश की शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आजादी तो मिली लेकिन गुलामी की मानसिकता में ढल जाने के कारण हम हीन भावना से नहीं उबर सके। हमें विदेश की हर चीज अच्छी लगती है और अपनी हर चीज में खोट नजर आती है। मोदी ने कहा कि यह गुलामी की मानसिकता का ही असर है कि हमारे संविधान को भी विदेश से प्रेरित बताया गया,जबकि सच यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी (मदर आफ डेमाक्रेसी) है।

    पीएम ने तमिलनाडु के एक गांव में स्थित एक हजार वर्ष पुराने शिलालेख का उल्लेख करते हुए कहाकि उस पर अत्यंत सुंदर शब्दों में तत्कालीन लोकतांत्रिक व्यवस्था का विवरण मिलता है। मोदी ने देश में रामत्व को नकारे जाने को भी गुलाम मानसिकता का एक और उदाहरण बताया।

    उन्होंने कहाकि यदि हम ठान लें तो दस वर्ष में इस मानसिकता से मुक्ति पाना कठिन नहीं है। इसके बाद एक ऐसी ज्वाला प्रज्वलित होगी जो हमें आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत कर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ने का मार्ग दिखायेगी।