अयोध्या में आस्था का नया प्रतिमान गढ़ेंगे PM Modi, राम मंदिर के 732 मीटर लंबे परकोटे में ऐसा क्या है खास?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के 732 मीटर लंबे परकोटे का अनावरण करेंगे। यह परकोटा भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है, जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाएगा। यह श्रद्धालुओं को शांत वातावरण प्रदान करेगा और अयोध्या को धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।

यहां विराजित हैं शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, दुर्गा, अन्नपूर्णा, लक्ष्मण सहित सप्तर्षियों के विग्रह
रघुवरशरण, अयोध्या। राम मंदिर के स्वर्ण शिखर पर मंगलवार को ध्वजारोहण के लिए आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य मंदिर के गर्भगृह में विराजे रामलला के अतिरिक्त राम जन्मभूमि परिसर में बने 14 पूरक मंदिरों में भी दर्शन-पूजन करेंगे।
राम मंदिर तो आस्था के शीर्षस्थ केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित है ही, उसके पूरक मंदिर भी आस्था के पर्याय हैं और इनमें सनातन परंपरा के सभी प्रमुख देवी-देवताओं सहित त्रेतायुगीन प्रेरक पात्रों के विग्रह प्रतिष्ठित हैं।
161 फीट ऊंचे शिखर और पांच उप शिखर से युक्त राम मंदिर परस्पर प्रतिस्पर्धी प्रतीत होते कई अन्य शिखरों की श्रृंखला से सज्जित है और इसमें सबसे करीबी वे छह पूरक मंदिर हैं, जो मुख्य मंदिर के परकोटे में ही हैं। यह पूरक मंदिर समान ऊंचाई के और समान अधिष्ठान पर निर्मित हैं।
राम मंदिर की शैली और कला के पूरक के रूप में इनमें वैदिक पंच देव की परंपरा के शिव, गणेश, सूर्य तथा आदि शक्ति मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है, जबकि परकोटा की दक्षिणी भुजा के मध्य में श्रीराम के परम प्रिय दूत हनुमान तथा उत्तरी भुजा के मध्य में अन्नपूर्णा माता का मंदिर स्थापित है। 732 मीटर लंबे, किंतु आयताकार परकोटे के आग्नेय कोण पर सप्तर्षि मंडप में सप्तर्षियों के सात मंदिर हैं।
इनमें वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र एवं अगस्त्य ऋषि सहित वनगमन के दौरान श्रीराम को गंगा पार कराने वाले निषादराज, राम भक्ति का पर्याय शबरी और श्रीराम की उदारता तथा करुणा की परिचायक देवी अहिल्या की प्रतिमा स्थापित है। प्रधानमंत्री सप्तर्षि मंदिरों में स्थापित ऋषियों तथा त्रेतायुगीन पात्रों को शिरोधार्य कर सामाजिक समरसता का संदेश भी देंगे।
सच यह है कि रामजन्मभूमि परिसर स्वयं में सामाजिक ही नहीं, सृष्टिगत समरसता का भी परिचायक है। इसकी मार्मिकता राम मंदिर के शिखर के समानांतर झलकती गिद्धराज जटायु की प्रतिमा से उद्घाटित होती है। जटायु वही थे, जिन्होंने माता सीता को अपह्रत कर लंका ले जाते रावण का सशक्त प्रतिरोध किया था और अपने प्राण न्योछावर किए थे।
गिद्धराज का यह बलिदान राम मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित कुबेर टीला पर उनकी विशाल और नयनाभिराम प्रतिमा के रूप में शिरोधार्य है। संभावना है कि प्रधानमंत्री जटायु को नमन करने के लिए कुबेर टीला पर भी पहुंचें।
रामजन्मभूमि परिसर श्रीराम के प्रिय अनुज लक्ष्मण यानी शेषावतार के भी भव्य और आकर्षक मंदिर से युक्त है। रामजन्मभूमि परिसर में करीब तीन घंटा के प्रवास में प्रधानमंत्री का आस्था के इस केंद्र पर भी श्रद्धावनत होना स्वाभाविक माना जा रहा है।

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