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    अयोध्या राम मंदिर के 161 फीट शिखर पर पीएम मोदी फहराएंगे केसरिया धर्म ध्वज, इस दिन होगा समारोह 

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 07:12 PM (IST)

    अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 161 फीट ऊंचा केसरिया धर्म ध्वज फहराएंगे। राम मंदिर ट्रस्ट इस ऐतिहासिक क्षण की तैयारी में जुटा है। ध्वज स्तंभ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। समारोह की तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी। यह ध्वजारोहण राम मंदिर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

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    राम मंदिर के शिखर पर पीएम नरेन्द्र मोदी फहराएंगे केसरिया धर्म ध्वज।

    जागरण संवाददाता, अयोध्या। राम मंदिर के 161 फीट ऊंचे स्वर्णमंडित शिखर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 नवंबर को धर्म ध्वजा फहराएंगे। यह धर्म ध्वजा केसरिया रंग की होगी। इस पर सूर्यवंश के प्रतीक सूर्य और अयोध्या के राजध्वज के रूप में कोविदार वृक्ष का चिह्न अंकित रहेगा। इसके समन्वय के रूप में ओंकार चिह्न भी उकेरा रहेगा।

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    श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की धार्मिक समिति के अध्यक्ष गोविंददेव गिरि ने कहाकि पांच दिवसीय ध्वजारोहण समारोह अत्यंत मंगलकारी होगा और मंदिरों के पूर्ण होने का प्रतीक होगा।

    21 नवंबर से शुरू होने वाले विविध अनुष्ठानों की पूर्णाहुति राम-सीता विवाह की पंचमी के दिन 25 नवंबर को होगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत भी उपस्थित रहेंगे।

    गत दिनों ध्वजारोहण समारोह की रूपरेखा पर विमर्श के लिए पुणे से रामनगरी पहुंचे ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि ने बताया कि राम मंदिर की धर्म ध्वजा को लेकर निर्णय ले लिया गया है। त्याग, वीरता और धर्म के प्रतीक केसरिया रंग को ही मान्यता दी गई है।

    धर्म ध्वजा की लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट होगी। इस पर अंकित होने वाले तीनों चिह्न धर्म, शक्ति और सत्य के प्रतीक होंगे। राम मंदिर के साथ ही सभी सात पूरक मंदिरों के शिखर पर भी ध्वजा फहराई जाएगी।

    गोविंददेव गिरि ने बताया कि पांच दिवसीय अनुष्ठान में राम मंदिर के साथ भगवान शंकर, भगवान गणेश, भगवान सूर्य, मां दुर्गा, मां अन्नपूर्णा, हनुमानजी व शेषावतार लक्ष्मण जी के मंदिरों में भी पंचायतन पद्धति के अनुसार विशेष पूजन-अर्चन व हवन का क्रम चलता रहेगा।

    ध्वजारोहण समारोह के उपरांत रामजन्मभूमि परिसर में अन्य कार्य जैसे कार्यालय, सभागार आदि का निर्माण तो गतिशील रहेंगे, परंतु मंदिरों का कोई कार्य अवशेष नहीं रहेगा। इस समारोह को पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रखा जाएगा।

    इसमें अयोध्या व अवध क्षेत्र पर विशेष जोर दिया जा रहा है। प्रयास यह है कि इस क्षेत्र के प्रमुख संत-धर्माचार्यों के साथ सभी समाज के प्रतिनिधि ध्वजारोहण समारोह के सहभागी बनें। उन्हें आमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है।