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    Ayodhya Ram Mandir: रामलला सोने के कटोरे में पांच बार ग्रहण करते मधुपर्क, इस वजह से भोग में शामिल किया गया दही

    Updated: Fri, 05 Apr 2024 08:11 AM (IST)

    Ayodhya Ram Mandir राम मंदिर में भगवान का जागरण भोर में चार बजे प्रार्थना पूर्वक कराया जाता है। शृंगार आरती के पहले मधुपर्क रबड़ी व मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। मौसमी फल संतरा सेब और मेवा निवेदित करने की परंपरा है। तत्पश्चात प्रात नौ बजे उन्हें बाल भोग में मधुपर्क के साथ ही दलिया हलवा खीर आदि व्यंजन अर्पित होते हैं।

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    नवनिर्मित मंदिर में विराजमान रामलला। सौ. : श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट

     प्रवीण तिवारी, अयोध्या। Ayodhya Ram Mandir पांच सदी की प्रतीक्षा के बाद जब रामलला नव्य व भव्य मंदिर में विराजित हुए हैं तो उनका पूजन-अर्चन, राग भोग भी निरंतर पुष्ट होता जा रहा है। ग्रीष्म ऋतु के दृष्टिगत अब उनके भोग में भी परिवर्तन किया गया है। गर्मी से भोग में दही भी शामिल किया गया है।

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    यहां पहली बार भगवान को मधुपर्क (मधु, दही, घी और जल का मिश्रण) का अर्पण किया जाने लगा है। आराध्य के सम्मुख नित्य पांच बार सोने के कटोरे में इस विशेष पेय पदार्थ को निवेदित किया जाता है। इसकी शुरुआत भोर में मंगला आरती से पूर्व इसका अर्पण होता है।

    दिन में जब भी आरती होती है या आराध्य को बालभोग (जलपान) अर्पित किया जाता है तो पहले मधुपर्क प्रस्तुत किया जाता है। अर्चकों के प्रशिक्षण की भावभूमि तैयार करने वाले युवा शास्त्रज्ञ आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण कहते हैं कि मधुपर्क मांगल्य व माधुर्य का प्रतीक है।

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    प्रभु को सतत निवेदित करने का विधान है। अर्चक बताते हैं कि तीर्थ क्षेत्र के संयोजन में रामलला की पूजा पद्धति व राग भोग विधि पूर्वक संपादित हो रहा है। वह मानते हैं कि जब भगवान टेंट में थे या वैकल्पिक गर्भगृह में भी विराजित थे, तो पूजा पाठ, राग भोग का संक्षिप्त विधान था, जो अब वृहत्तर है।

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    भगवान का जागरण भोर में चार बजे प्रार्थना पूर्वक कराया जाता है। शृंगार आरती के पहले मधुपर्क, रबड़ी व मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। मौसमी फल संतरा, सेब और मेवा निवेदित करने की परंपरा है। तत्पश्चात प्रात: नौ बजे उन्हें बाल भोग में मधुपर्क के साथ ही दलिया, हलवा, खीर आदि व्यंजन अर्पित होते हैं।

    मध्याह्न 12 बजे की आरती के पहले मधुपर्क के बाद दाल, रोटी, चावल, दही, दो प्रकार की सब्जी व तस्मई प्रस्तुत की जाती है। संध्या आरती में मधुपर्क, लड्डू, फल, मेवे तथा शयन आरती के पहले मधुपर्क अर्पित कर उन्हें पूड़ी, सब्जी, तस्मई का भोग लगता है।