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    जिसे चाहो हराम कर दो, जिसे भी चाहो हलाल कर दो…, विश्वविद्यालय की करतूत पर क्यों नाराज हुए कर्मचारी-शिक्षक

    By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Tue, 21 Nov 2023 08:19 PM (IST)

    अपील भी तुम दलील भी तुम गवाह भी तुम वकील भी तुम जिसे चाहो हराम कर दो जिसे भी चाहो हलाल कर दो..। उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी का ये शेर यूं ही नहीं याद आया। आज इसके केंद्र में आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली है। अधिकारियों की करतूत से कर्मचारी-शिक्षकों की जुबान पर यह शेर आ गया है। वे इसे गुनगुना रहे हैं।

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    विश्वविद्यालय की करतूत पर क्यों नाराज हुए कर्मचारी-शिक्षक

    प्रवीण तिवारी, अयोध्या। अपील भी तुम, दलील भी तुम, गवाह भी तुम, वकील भी तुम, जिसे चाहो हराम कर दो, जिसे भी चाहो हलाल कर दो..। उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी का ये शेर यूं ही नहीं याद आया। आज इसके केंद्र में आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली है। अधिकारियों की करतूत से कर्मचारी-शिक्षकों की जुबान पर यह शेर आ गया है। वे इसे गुनगुना रहे हैं।

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    यह है पूरा मामला

    दरअसल, यहां तैनात एक ही प्रकृति के कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया गया। पहले कुछ कर्मचारियों को सेवानिवृत्त कर दिया गया तो बाद में इसी प्रकृति के कर्मचारी पर दरियादिली दिखाते हुए उन्हें पदोन्नति दे दी गई। इसमें शासनादेश की अनदेखी हुई तो शासन ने पदोन्नति ही निरस्त कर दी।

    आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय में अस्सी के दशक से ही नियुक्तियों में गड़बड़झाला प्रारंभ हुआ। बिना पद सृजन के ही नियुक्ति की गई, जिससे विवि आर्थिक तंगी में भी पहुंचा।

    कर्मियों को शिक्षक पद का लाभ न दिए जाने की बात

    वर्तमान कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह व निदेशक प्रशासन एवं परिवीक्षण डॉ. एके सिंह की कार्यप्रणाली भी इसके घेरे आ गई। ताजा प्रकरण लगभग 16 माह पूर्व का है, जिसमें एक आदेश जारी करके गैर-शैक्षणिक संवर्ग के कर्मियों को शिक्षक पद का लाभ न दिए जाने की बात है। इसका शासनादेश भी है। 

    इसी शासनादेश के अनुपालन में तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय की सभी परियोजनाओं में कार्यरत ऐसे कार्मिकों को गैर-शैक्षणिक संवर्ग में घोषित करते हुए उन्हें 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का आदेश जारी कर दिया था। कई कर्मी 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर रिटायर किये गए। इस दायरे में लगभग 40 कर्मचारी बताए गए। 

    शासन ने निरस्त कर दी पदोन्नति

    आश्चर्य की बात यह है कि जिस शासनादेश के अनुपालन में उक्त कार्यवाही की गई, ठीक इसके विपरीत उसी संवर्ग में कार्यरत दर्जनों कर्मियों को बीते माह शिक्षक संवर्ग का उच्च वेतनमान देते हुए इनकी पदोन्नति कर दी गई। जब इस दोहरे मापदंड की शिकायत शासन की गई तो शासन ने पदोन्नति ही निरस्त कर दी। 

    न्याय मिलने तक संघर्ष करूंगा: डॉ. रामप्रताप

    यह शिकायत शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामप्रताप सिंह ने की, जो इससे प्रभावित हैं। उन्हें शिक्षक संवर्ग से गैर-शिक्षक संवर्ग में करके रिटायर किया जा चुका है। डॉ. सिंह ने विवि प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया है। कहा न्याय मिलने तक संघर्ष करूंगा। शासन ने अपनी जांच में यह पाया कि पदोन्नति शासनादेश के विपरीत मनमाने तरीके से की गई है।

    निदेशक से स्पष्टीकरण

    उत्तर प्रदेश कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अनुभाग में विशेष सचिव अजय कुमार द्विवेदी ने पत्र लिख कर विश्वविद्यालय प्रबंध परिषद से अनुमोदित पदोन्नति के निर्णय को निरस्त करने की सूचना दी। निदेशक प्रशासन एवं वित्त नियंत्रक से कड़ी नाराजगी जताई। निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा।

    इन्होंने कहा...

    वित्त नियंत्रक नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि जिनकी पदोन्नति निरस्त हुई है, उनके वेतन को रोक कर नियमानुसार वेतन बनाने को कहा गया है। कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह व निदेशक प्रशासन एवं परिवीक्षण डॉ. एके सिंह का मोबाइल न उठने से पक्ष नहीं लिया जा सका।