Exclusive : 'नरेंद्र मोदी तीसरी बार बनेंगे प्रधानमंत्री', रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले जगद्गुरु रामभद्राचार्य की भविष्यवाणी
Jagadguru Rambhadracharya रामभद्राचार्य आज हर्षित-मुदित हैं वह कहते हैं कि अपने घर में श्रीराम लला के आने से निश्चित रूप से रामराज्य के आदर्श हमारे देश में आएंगे।22 जनवरी को अपराह्न 12 बजकर 29 मिनट पर इस जगत में त्रेता की छाया पड़ेगी। अब मुहूर्त आ रहा है जिसमें रामजी का प्राकट्य हुआ था। जगद्गुरु रामभद्राचार्य से दैनिक जागरण के संवाददाता महेन्द्र पाण्डेय ने विस्तृत बातचीत की।
महेंद्र पांडेय, लखनऊ। जेआरएचयू (जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय) के कुलाधिपति। संस्कृत के विद्वान संग 22 भाषाओं के ज्ञाता। 200 से अधिक पुस्तकों के लेखक और पद्म विभूषण सम्मान से अलंकृत। यह संक्षिप्त परिचय है जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का। उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक रामलला अपने मंदिर में विराजमान नहीं होंगे, वह अयोध्या में श्रीराम कथा नहीं करेंगे।
अपने संकल्प पर अडिग रहने वाले रामभद्राचार्य आज हर्षित-मुदित हैं कि उनका प्रण पूरा हो रहा है। रामभद्राचार्य कहते हैं कि अपने घर में श्रीराम लला के आने से निश्चित रूप से रामराज्य के आदर्श हमारे देश में आएंगे।
22 जनवरी को अपराह्न 12 बजकर 29 मिनट पर इस जगत में त्रेता की छाया पड़ेगी। अब वो मुहूर्त आ रहा है, जिसमें रामजी का प्राकट्य हुआ था। जगद्गुरु रामभद्राचार्य से दैनिक जागरण के संवाददाता महेन्द्र पाण्डेय ने विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:
सवाल: श्रीराम लला नव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। आप कैसा अनुभव कर रहे हैं?
मैं वही अनुभव कर रहा हूं जो रामजी के वनवास समाप्त होने के बाद उनके अयाेध्या आने पर रामनगरीवासियों ने किया था। मेरा यह सुखद अनुभव है। मैं अपनी तपस्या को फलवती होते देख रहा हूं। हमने कल्पना भी की थी और भविष्यवाणी भी। मैंने कह दिया था कि छह दिसंबर 2019 के पहले निर्णय आ जाएगा और जनवरी 2024 तक भगवान अपने घर में विराजमान हो जाएंगे। आज वही हो रहा।
सवाल: आपको भविष्यवाणी की यह प्रेरणा कैसे हुई? क्या प्रभु आपको स्वप्न में आकर बताते हैं या फिर कथा सुनाते समय आपको आभास होता है?
मुझे यह प्रेरणा भगवान से हुई। प्रभु मुझे स्वप्न में नहीं, प्रत्यक्ष बताते हैं। जो-जो मैंने कहा, वो सब बातें सत्य निकलीं। मेरी एक भी बात गलत नहीं निकली। मैंने कहा था कि 370 धारा (जम्मू कश्मीर से) हटेगी। 35-ए भी हटेगी। वही हुआ। मैंने यह भी कहा था कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक पास होगा। वह भी हुआ। मैंने कहा कि नरेन्द्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे। वह पीएम बने। अब फिर कह रहा हूं कि मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
सवाल: पहले तो राम जन्मभूमि की मुक्ति असंभव प्रतीत होती थी। अगर यह सब रामजी की कृपा से हाे रहा है तो क्या राम मंदिर टूटा भी था रामजी की इच्छा से?
नहीं। हमने ऐसा कभी नहीं सोचा कि राम जन्मभूमि की मुक्ति नहीं होगी। रही बात मंदिर टूटने की तो वो हमारी परीक्षा ली जा रही थी।
सवाल: आज राम मंदिर का निर्माण पूरा हो रहा है। क्या इसमें संतों का ही योगदान है या किसी और का भी?
इसमें संतों का योगदान है। जब आंदोलन आरंभ किया गया था तो मैं भी था। उसमें पांच-छह लोग थे। इनमें अशोक सिंहल, महंत अवैद्यनाथ, रामचंद्रदास परमहंस और गिरिराज भी थे। राम मंदिर निर्माण आंदोलन में तब शौर्य चाहिए था, लेकिन धैर्य के साथ अब भी शौर्य चाहिए।
सवाल: श्रीराम मंदिर निर्माण पर राजनीति की बातें की जा रही हैं। क्या आपको लगता है कि राम मंदिर के निर्माण के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति आवश्यक थी?
श्रीराम मंदिर निर्माण पर राजनीति करना गलत है। संतों का जब प्रबल संकल्प हो जाता है तब राजनीतिक इच्छाशक्तियां अपने आप उनका सहयोग करने लगती हैं। जो लोग यह कहते हैं कि आधे-अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं, उनको ज्ञान ही नहीं है। गर्भगृह की बात थी, वो पूरा हो चुका है। वो तो आगे राम दरबार के लिए ऊपरी तल बना रहे हैं।
सवाल: एक समय वह भी था जब राम के अस्तित्व का प्रमाण मांगा जाता था। उन दिनों को अब किस तरह से याद करते हैं?
उन दिनों को याद करता हूं तो मुझमें राेमांच हो जाता है। वास्तव में ऐसे-ऐसे प्रश्न होते थे कि कोई वहां टिक नहीं पाता था। अन्य जगद्गुरुओं ने कहा कि था कि मेरे ठाकुरजी मना कर रहे हैं, पर मैंने ऐसा नहीं कहा। मैंने ठान लिया था कि न्यायमूर्ति काे अपने उत्तर से संतुष्ट करूंगा। मुझे अपनी प्रतिभा पर विश्वास था और वही हुआ। जब उन्होंने प्रमाण मांगे। मैंने ऋग्वेद से लेकर हनुमान चालीसापर्यंत 441 प्रमाण दिए। जब श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर उत्खनन किया गया तो 437 प्रमाण सही निकले। केवल चार प्रमाण धूमिल रहे। अंत में वे भी मेरे पक्ष में गए। मैं अन्य गवाहों पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, पर ये निश्चित है कि मैंने अपनी प्रतिभा से न्यायमूर्ति को चकित कर दिया था।
सवाल: आपकी दृष्टि में राजराज्य क्या है? क्या आपको लगता है कि श्रीराम जी के अपने घर में विराजमान होने से रामराज्य आएगा?
रामराज्य है- ''''सब कर धरम सहित हित होई''''। धर्मानुकूल आचरण हो। भ्रष्टाचार समाप्त हो। कदाचार का विलय हो। अत्याचार न हो, यही तो रामराज्य है। दूसरी बात, राम मंदिर के साथ रामराज्य की स्थापना होने की बात मैं नहीं कह रहा, लेकिन यह अवश्य कहता हूं कि निश्चित रूप से रामराज्य के आदर्श भारत में आएंगे। आपको जानकार को अच्छा लगेगा कि 22 जनवरी को दोपहर 12.29 बजे इस जगत में त्रेता की छाया पड़ेगी। वही मुहूर्त आ रहा है, जिसमें रामजी का प्राकट्य हुआ था। लोगों के हृदय में प्रेम-करुणा की छाया निश्चित ही आएगी। सद्गुणी और सात्विक रहेंगे, सदाचरण और सद्अनुकरण करेंगे तो आप महसूस कर पाएंगे कि आपके हृदय में रामजी वास करते हैं।
सवाल: आपने संकल्प लिया था कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं होता, आप अयोध्या में राम कथा नहीं सुनाएंगे। अब तो मंदिर में राम जी विराजमान होने जा रहे हैं और आप श्रीराम कथा भी कर रहे हैं? अब कैसा अनुभव कर रहे हैं?
मैंने अपने संकल्प का पालन किया। राम मदिर बन रहा है तो मैं कथा भी कर रहा हूं। कथा के पांच दिन पूरे हो गए हैं। मैंने तो यह भी संकल्प किया है कि मथुरा में जब तक प्रकरण का निराकरण नहीं हो जाता तब तक वहां कथा करूंगा, लेकिन श्रीकृष्ण जन्मभूमि का दर्शन नहीं करूंगा। अब तो काशी और मथुरा में निपटारा होने ही जा रहा है।
सवाल: नव्य-भव्य मंदिर से जन-जन को क्या संदेश लेना चाहिए?
सभी को रामवत आचरण-व्यवहार करना चाहिए, न कि रावणवत। राम मंदिर के निर्माण को लेकर रावण के वंशज भले ही हतोत्साहित हों, पूरी दुनिया के रामभक्त उत्साहित हैं।