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    9 साल पुराने हत्याकांड में कोर्ट का फैसला, दोषी को आजीवन कारावास; पिता की आंखों के सामने गोली मार छीनी थी बेटे की जिंदगी

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 07:10 PM (IST)

    अयोध्या में नौ साल पहले हुई हत्या के मामले में अदालत ने दोषी सूर्यकुमार यादव उर्फ मुलायम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मृतक के पिता के अनुसार मरने से पहले बेटे ने मुलायम द्वारा गोली मारने की बात कही थी। पुरानी रंजिश के चलते जितेंद्र तिवारी की हत्या हुई थी जिसमें मुलायम और नान्हू यादव शामिल थे।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    संवाद सूत्र, अयोध्या। ‘मेरे बेटे ने मरने से पहले कहा था- पापा, मुलायम ने मुझे गोली मारी है, नान्हू ने पकड़ा था...।’ न्यायालय में पिता की गवाही व अन्य साक्ष्यों को देखते हुए अपर जिला सत्र न्यायाधीश अष्टम प्रतिभा नारायण ने नौ साल पहले हुई इस हत्या में दोषी सूर्यकुमार यादव उर्फ मुलायम को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई।

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    उस पर 30 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। साथ ही, अवैध तमंचा रखने और इस्तेमाल करने के अपराध में तीन साल की कैद व तीन हजार रुपये की सजा अलग से सुनाई है।

    पुरानी रंजिश ने छीन ली जिंदगी

    शासकीय अधिवक्ता सुधाकर मिश्र व ज्ञानेशचंद्र पांडेय के अनुसार 13 मार्च 2016 की शाम करीब पौने सात बजे हरिश्चंद्र तिवारी अपने बेटे जितेन्द्र तिवारी, पत्नी अमरावती और भतीजे राजेंद्र तिवारी के साथ बाजार से घर लौट रहे थे।

    रास्ते में घात लगाए बैठे सूर्यकुमार यादव उर्फ मुलायम और नान्हू यादव ने उनके बेटे जितेन्द्र को रोक लिया और उन्हीं की आंखों के सामने मुलायम ने जितेन्द्र का हाथ पकड़ कर सीने में गोली मार दी। गोली लगते ही जितेन्द्र जमीन पर गिर पड़ा। स्वजन उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं।

    राजनेताओं के दबाव में दर्ज कराई झूठी तहरीर

    घटना के बाद थाने में वादी (पिता) पहुंचे तो वहां पहले से ही तत्कालीन कैबिनेट मंत्री अवधेश प्रसाद और विधायक आनंदसेन बैठे थे। वादी का आरोप था कि उन्हीं के दबाव में पुलिस ने पहले से तैयार तहरीर पर जबरन डाट-डपट कर हस्ताक्षर करा लिए और असली हत्यारों को बचाने की कोशिश की।

    बाद में जब हरिश्चंद्र तिवारी ने एसडीएम और डीआइजी से गुहार लगाई, तब तीन अप्रैल को दूसरी तहरीर दर्ज हुई और असली आरोपित का नाम सामने आया। 18 अगस्त 2016 को पुलिस ने आरोपित मुलायम को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर महुए के पेड़ के नीचे दबा कर रखा गया तमंचा और कारतूस बरामद किये।

    मौके पर मुलायम ने स्वीकार किया कि इसी तमंचे से उसने जितेन्द्र को गोली मारी थी। वादी हरिश्चंद्र तिवारी, उनकी पत्नी अमरावती समेत कई गवाहों ने न्यायालय में बयान दर्ज कराया कि उन्होंने कार की रोशनी में मुलायम और नान्हू को पहचान लिया था।

    मरते वक्त बेटे ने भी बताया कि उस पर किसने हमला किया। इन बयानों ने अभियोजन पक्ष को और मजबूत कर दिया। नौ साल चली सुनवाई के बाद आरोपित को धारा 302 आइपीसी में आजीवन कठोर कारावास 30 हजार रुपये जुर्माना।

    धारा 3/25 आयुध अधिनियम में तीन साल कैद व तीन हजार रुपये लगाया। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। जुर्माना न देने पर अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। मामले में एक अन्य आरोपित नान्हू की पत्रावली अलग कर दी गई थी।