Chandra Grahan 2025: चंद्रग्रहण सात को, अयोध्या में दोपहर बाद के सभी दर्शन पास निरस्त, बंद रहेगा राम मंदिर
Chandra Grahan 2025 in Ayodhya ग्रहण रात्रि में लगभग दस बजे लगेगा परंतु सूतक काल नौ घंटे पहले दोपहर 1257 बजे ही शुरू हो जाएगा। यह ग्रहण मध्यरात्रि तक रहेगा इसलिए रामलला की शयन आरती नहीं कराई जाएगी। अगले दिन आठ सितंबर को सुबह रामलला की दिनचर्या पूर्ववत रहेगी और साढ़े छह बजे से दर्शन प्रारंभ होगा।

लवलेश कुमार मिश्र, जागरण अयोध्या : रामनगरी में चंद्रग्रहण Chandra Grahan 2025को सात सितंबर को दोपहर बाद राम मंदिर में रामलला का दर्शन नहीं हो सकेगा। मध्याह्न बंदी के बाद रामजन्मभूमि पथ से दर्शनार्थियों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया जाएगा और मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सात सितंबर को चंद्रग्रहण के कारण दोपहर बाद के चारों स्लाटों के दर्शन पास और रात्रि में होने वाली शयन आरती का पास निरस्त कर दिया है। ग्रहण रात्रि में लगभग दस बजे लगेगा, परंतु सूतक काल नौ घंटे पहले दोपहर 12:57 बजे ही शुरू हो जाएगा। यह ग्रहण मध्यरात्रि तक रहेगा, इसलिए रामलला की शयन आरती नहीं कराई जाएगी।
अगले दिन यानी आठ सितंबर को सुबह रामलला की दिनचर्या पूर्ववत रहेगी और सुबह 6.30 बजे से दर्शन प्रारंभ होगा। चंद्रग्रहण व सूर्यग्रहण के समय मंदिरों में विराजे देवों का पूजन-पाठ व आरती नहीं करने का विधान है। ऐसा ग्रहण के पूर्व शुरू होने वाले सूतक काल से ही किया जाता है और मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते हैं। रामनगरी के विभिन्न मंदिरों में इस परंपरा का निर्वहन सदियों से किया जा रहा है। अब जबकि सात सितंबर को चंद्रग्रहण लगने जा रहा और यह पूरे देश में दृश्य होगा तो राम मंदिर ट्रस्ट ने भी पुरानी परंपरा का पालन करते हुए सूतक काल से ही मंदिर बंद रखने का निर्णय लिया है।
महासचिव चंपतराय की ओर से इसकी घोषणा भी कर दी गई है। दूसरी ओर, राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव ने बताया कि सात सितंबर को दोपहर से सूतक काल शुरू हो जाने से 12.30 बजे से डी-वन प्वाइंट (रामजन्मभूमि पथ) से दर्शनार्थियों का प्रवेश बंद कर दिया जाएगा। अगले दिन मंदिर के कपाट खुलेंगे, इस कारण आठ सितंबर की सुबह से दर्शन भी प्रारंभ होगा।
उन्होंने बताया कि मंदिर बंद होने से दोपहर एक से तीन बजे, तीन से पांच बजे, पांच से सात बजे और सात से रात नौ बजे की दर्शन स्लाट के सभी पास निरस्त कर दिए गए हैं। ग्रहण काल होने से शयन आरती नहीं संपन्न होगी, इसलिए इसका पास भी निरस्त रहेगा। विहिप पदाधिकारी ने बताया कि यात्री सेवा केंद्रों से सात सितंबर के पास नहीं जारी किए जाने का निर्देश दे दिया गया है। पहले से जो पास बन गए हैं, वह स्वत: निरस्त माने जाएंगे। आठ सितंबर की सुबह भगवान के जागरण के साथ ही दिनचर्या सामान्य हो जाएगी और मंगला व श्रृंगार आरती के उपरांत दर्शन प्रारंभ होगा।
इस कारण नहीं होता दर्शन
अयोध्या में सिद्धपीठ हनुमन्निवास के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण बताते हैं, चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी पर आने वालीं चंद्र किरणों पर राहु-केतु का स्पर्श हो जाने से इसकी छाया प्रत्येक मनुष्य पर पड़ती है। इस कारण वह अशुद्ध माना जाता है और पूजन-पाठ के योग्य नहीं रह जाता है। चंद्रग्रहण के नौ घंटे पूर्व और सूर्यग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक काल प्रारंभ होता है। इस दौरान मंदिरों में पूजन-पाठ निषिद्ध हो जाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।