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    22 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, आरोपित दोषमुक्त; 2003 में बस-कार की टक्कर में पांच यात्रियों की हुई थी मौत

    अयोध्या में 22 साल पहले हुई एक सड़क दुर्घटना के मामले में बस चालक प्रभाकर शुक्ल को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है। महाराष्ट्र से आ रही एक सूमो कार की बस से टक्कर में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और दो घायलों ने बाद में दम तोड़ दिया। न्यायालय ने गवाहों के विरोधाभासी बयानों के कारण यह फैसला सुनाया।

    By Rajesh Kumar Srivastava Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Wed, 11 Jun 2025 08:15 PM (IST)
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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

    संवाद सूत्र, अयोध्या। महाराष्ट्र से अयोध्या में दर्शन के लिए आ रहे सवारी वाहन सूमो कार की रोडवेज बस से टक्कर के मामले में आरोपित बस चालक प्रभाकर शुक्ल को न्यायालय ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 22 साल बाद दोषमुक्त कर दिया है।

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    यह आदेश न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय प्रत्यूष आनंद मिश्र ने पत्रावली में मौजूद गवाहों के विरोधाभासी बयानों को देखते हुए दिया है। घटना में सूमो कार चालक रमेश सिंह व महेंद्र त्रिवेदी सहित महाराष्ट्र के एक परिवार के तीन लोगों की मृत्यु हो गई थी।

    वादी जितेंद्र कुमार ने तीन जून 2006 को कोतवाली अयोध्या में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में कहा गया था कि बूथ नंबर चार तकपुरा ओवरब्रिज के पास एक रोडवेज बस से फैजाबाद की ओर से आ रही टाटा सूमो कार की टक्कर हो गई। जिसमें तीन लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई।

    घटना में घायल दो घायलों की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। आरोपित प्रभाकर शुक्ल के अधिवक्ता दीपक कुमार श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि आरोपित बस चालक पूरी सावधानी के साथ अपनी ही दिशा में मध्यम गति से बस को चला रहा था, जबकि कार चालक गलत दिशा से तीव्र गति से आ रहा था। घटना के सभी गवाहों का बयान अभियोजन से मेल नहीं खा रहा है।