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    'हम बंटेंगे तो खामियाजा धर्मस्थलों को...,' रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर बोले सीएम योगी

    पांच सदी के इंतजार के बाद अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि राष्ट्र की एकता और गौरव का प्रतीक है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि श्रीराम और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी बनाने के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।

    By Raghuvar Sharan Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sat, 11 Jan 2025 06:21 PM (IST)
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    अयोध्या में राम मंदिर राष्ट्र की एकता और गौरव का प्रतीक- योगी। (तस्वीर जागरण)

    रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। पांच सदी की प्रतीक्षा के बाद रामजन्मभूमि पर बना नव्य-भव्य मंदिर श्रीराम का ही नहीं, राष्ट्र का भी मंदिर है। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे सीएम योगी ने अपने संबोधन से इस अवधारणा को और पुष्ट किया।

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    रामजन्मभूमि परिसर से लगे अंगद टीला के प्रांगण में हजारों रामभक्तों, मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों, जन प्रतिनिधियों एवं तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों को सीएम ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि श्रीराम और राष्ट्र एक-दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। श्रीराम हैं तो राष्ट्र है और राष्ट्र है तो श्रीराम हैं।

    इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पूर्व मुख्यमंत्री प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में स्थापित पौष शुक्ल द्वादशी की उस तिथि की महिमा का बखान कर रहे थे। भारतीय पंचांग के अनुसार, जिस तिथि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में एक वर्ष पूर्व रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी।

    विभाजन के चलते अपमान का सामना करना पड़ा- योगी

    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिष्ठा द्वादशी वस्तुत: राष्ट्रीय एकात्मता की कड़ी मजबूत करने वाली होगी, ताकि हिंदू समाज जाति, क्षेत्र, भाषा के आधार पर विभाजित न हो सके। उन्होंने याद दिलाया कि ऐसे ही विभाजन के चलते रामजन्मभूमि सहित हिंदू अस्मिता के पर्याय अनेक धर्म स्थलों को सदियों तक अपमान का सामना करना पड़ा। उन्होंने सावधान भी किया कि यदि हिंदू समाज जाति और संकीर्ण वादों-विचारों के नाम पर विभाजित हुआ, तो हमारे गौरव के पर्याय धर्म स्थलों को पुन: अपमान का सामना करना पड़ेगा।

    मुख्यमंत्री ने भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी बनाए जाने के अपने प्रयासों को भी साझा किया और कहा कि आज दुनिया का कोई भी व्यक्ति अयोध्या आता है, तो अभिभूत हो जाता है और एक-दो साल बाद जब राम मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के साथ अयोध्या को श्रेष्ठतम बनाए जाने का प्रयास पूर्ण होगा, तब तक अयोध्या दुनिया की सबसे वैभवशाली नगरी होगी।

    सीएम योगी के साथ ये लोग भी रहे मौजूद

    इस अवसर पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपतराय, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र, गोपाल राव, महंत दिनेंद्रदास, हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत धर्मदास, गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह, प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी, जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, रामचंद्र यादव, अभय सिंह, एवं डॉ. अमित सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने इससे पूर्व हनुमानगढ़ी में बजरंगबली तथा रामजन्मभूमि पर विराजे रामलला का दर्शन पूजन किया।

    यह नए उत्तर प्रदेश की नई अयोध्या

    मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार के प्रयासों पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए यह नारा भी दिया, ‘यह नए भारत का नया उत्तर प्रदेश है और यह नए उत्तर प्रदेश की नई अयोध्या है।

    प्रधानमंत्री के प्रति ज्ञापित की कृतज्ञता

    मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन से की। उन्होंने कहा कि आज हम लोग रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ का जो उत्सव मना रहे हैं, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच के चलते संभव हो सका। यदि वह सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की नियमित सुनवाई का मार्ग प्रशस्त न करते तो राम मंदिर के लिए अभी और प्रतीक्षा करनी पड़ती।

    पांच सौ वर्षों के इतिहास का कराया स्मरण

    मुख्यमंत्री ने रामजन्मभूमि मुक्ति के पांच सौ वर्षों के इतिहास का स्मरण कराया। इस दौरान उन्होंने जन्मभूमि पर रामलला के प्रकटीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले अपने पर गुरु महंत दिग्विजयनाथ से लेकर महंत अभिरामदास, रामचंद्रदास परमहंस एवं अशोक सिंघल को नमन किया। साथ ही याद दिलाया कि शैया पर अंतिम सांसें गिन रहे गुरु महंत अवेद्यनाथ ने मिलने पहुंचे अशोक सिंघल से किस तरह रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की आकांक्षा व्यक्त की थी।

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