Ayodhya Ram Mandir: रामनाम से कट रहीं विपन्नता की बेड़ियां, आध्यात्मिक नगरी अब बन रही रोजगार के सृजन का केंद्र
Ayodhya Ram Mandir राम से बड़ा राम का नाम। इस ब्रह्मवाक्य का दर्शन यहां पग-पग पर हो रहा है। वृद्धजन मोक्ष की कामना लिए रामलला का दर्शन करने आ रहे हैं तो कई स्वयं व स्वजनों के कल्याण व मोक्ष के लिए। श्रद्धालुओं की सेवा सत्कार के लिए गेस्ट हाउस भोजनालय यातायात में ई-रिक्शों जलपान रामनाम अंकित वस्त्रों की दुकानों की बाढ़ है। होम स्टे तेजी से बढ़े हैं।

प्रवीण तिवारी, अयोध्या। राम से बड़ा राम का नाम। इस ब्रह्मवाक्य का दर्शन यहां पग-पग पर हो रहा है। वृद्धजन मोक्ष की कामना लिए रामलला का दर्शन करने आ रहे हैं तो कई स्वयं व स्वजनों के कल्याण व मोक्ष के लिए। यूं भी राम नाम में रमे भक्तों के दुख तो कटते ही हैं, अब यहां कइयों की विपन्नता की बेड़ियां भी टूट रही हैं।
इसका माध्यम प्राण प्रतिष्ठा के बाद नगरी में सृजित छोटे से लेकर बड़े रोजगार हैं। इसमें लगे लोग स्वयं के साथ नगरी की आर्थिकी भी बदल रहे हैं। कई दूसरे जिलों के हैं तो कई दूसरे प्रांतों के। सभी अच्छी खासी आय अर्जित कर रहे हैं।
इन विधाओं में डूब कर लोग कर रहे अपना उद्धार
श्रद्धालुओं की सेवा सत्कार के लिए गेस्ट हाउस, भोजनालय, यातायात में ई-रिक्शों, जलपान, रामनाम अंकित वस्त्रों की दुकानों की बाढ़ है। होम स्टे तेजी से बढ़े हैं। रामकोट क्षेत्र में होम स्टे संचालित करने वाले प्रियेश दुबे बताते हैं कि कम से एक हजार गेस्ट हाउस व होम स्टे चल रहे हैं। इस तरह का व्यवसाय करने वाले पहले 25 हजार रुपये अर्जित करने में परेशान हो जाते थे, अब आराम से प्रतिमाह 50 हजार से अधिक कमा रहे हैं। बस्ती जिले के राम प्रवेश ई-रिक्शा चलाते हैं। कहते हैं कि नित्य तीन हजार रुपये की बचत हो जाती है। अलीगढ़ के महेश पॉपकॉर्न का ठेला लगाते हैँ। ढाई हजार कमाते हैं। जो स्थानीय लोग नित्य मेहनत मजदूरी कर पांच सौ रुपये कमाते थे, अब रामपथ पर घूम घूम कर रामनाम का चंदन लगा हजार रुपये तक कमा लेते हैं।
नित्य बढ़ रहा है काम
मथुरा के योगेश गुप्ता ढाई माह से रामनगरी में हैं। वह राम नाम अंकित वस्त्र बेचते हैं। बताते हैं यहां जिस तरह का वातावरण हैं, नित्य धंधा बढ़ रहा है। आठ सहयोगी हैं। 10 से 12 हजार रोज की सेल है। पानी की बोतल बेचने वालों की भरमार है। तुलसी उद्यान के समीप मौर्या मोबाइल सेंटर के संचालक ने डिमांड को देखते हुए भोजनालय शुरू कराया। रामलला के नाम का प्रसाद खूब बिक रहा है। इसी तरह लोग आनडिमांड भोजन की आपूर्ति भी करते हैं।
हजार हाथों में सुसज्जित रामलला की अनुकृति
प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की अनुकृति की तेजी से डिमांड हुई। इसकी बिक्री करने वालों की संख्या भी हजार से कम नहीं है। चाय, पानी, रेस्टोरेंट, चंदन सहित अन्य प्रतिष्ठानों पर रामलला की छोटी से लेकर बड़े फ्रेम वाला चित्र सुलभ है। रामपथ पर घूमकर इसे देखा जा सकता है। यहां के सभी प्रिंटिंग प्रेस रामलला के चित्र की कापी निकालने में व्यस्त हैं। दिल्ली से लेकर गुजरात तक की फर्में चित्रों को उपलब्ध करा रही हैं।
राम मंदिर के अंदर मिलती है व्हील चेयर की व्यवस्था
गाजियाबाद के उमेश ने यहां किराये पर कमरा ले लिया। वह रामलला का छोटा फ्रेम का चित्र थोक भाव में दुकानों पर सप्लाई करते हैं। राम मंदिर के भीतर व्हील चेयर की सुलभता पहले से है। पर अब तेजी से नगरी के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए भी इसकी व्यवस्था है। पांच सौ में वृद्धजन किराया देकर इसी सेम दर्शन करते देखे जाते हैं।
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