Ayodhya: अयोध्या में चौक घंटाघर का होगा कायाकल्प, अब टिक-टिक करेगी घड़ी
Heritage Clock in Ayodhya: यह घंटाघर महज एक मीनार नहीं, बल्कि नवाबों के शहर फैजाबाद की विशिष्ट पहचान हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ-साथ संरक्षण के अभाव में घंटाघर को भी खराब समय झेलना पड़ा।

अयोध्या में चौक का ऐतिहासिक घंटाघर : जागरण
रविप्रकाश श्रीवास्तव, जागरण अयोध्या : रामनगरी का हृदय एकबार फिर धक-धक करेगा। अयोध्या कैंट जोन (फैजाबाद शहर) का हृदयस्थल कहे जाने वाले चौक घंटाघर की घड़ी फिर टिक-टिक करके लोगों को समय से अवगत कराएगी। दशकों से यह घड़ी बंद पड़ी है, जिस पर अब नगर निगम का ध्यान गया है।
घंटाघर की ऐतिहासिकता का अनुमान उसके निर्माण के कालखंड से ही लगाया जा सका है। इसका निर्माण वर्ष 1890 में नगर पालिका परिषद ने कराया था। यानी यह घंटाघर करीब 135 वर्ष पुराना है, तब ब्रिटिश काल हुआ करता था। यह घंटाघर महज एक मीनार नहीं, बल्कि नवाबों के शहर फैजाबाद की विशिष्ट पहचान हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ-साथ संरक्षण के अभाव में घंटाघर को भी खराब समय झेलना पड़ा।
तत्कालीन पालिकाध्यक्ष विजय गुप्त ने वर्ष 2015 में पुरानी घड़ी को बदल कर नई घड़ी लगवाई थी। जुलाई 2017 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद इसकी ओर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके बाद यह बंद हो गई। अब नगर निगम ने इसके कायाकल्प का निर्णय लिया है। वार्ड के पार्षद एवं नगर निगम के उपसभापति राजेश गौड़ ने महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी के समक्ष घंटाघर के कायाकल्प का प्रस्ताव रखा था, जिसे स्वीकृति दे दी गई है। इसका टेंडर भी हो चुका है।
रामपथ के भवनों की भांति घंटाघर का भी रंग-रूप तय किया जाएगा। दुकानों के रंग एवं लाइटें समान डिजाइन की होंगी। बंद पड़ी घड़ी को बदला जाएगा एवं उसके मीनार का भी रंगरोगन किया जाएगा। घंटाघर के कायाकल्प के लिए यहां के दुकानदारों का भी सहयोग लिया जाएगा। घंटाघर की गोल परिधि में कई दुकानें हैं। योजना के अनुसार दुकानों पर लगे सभी बोर्ड एक ही तरह के होंगे, जिससे यहां का मूल स्वरूप छिपने न पाए। फसाड लाइटों भी लगाई जाएंगी। उपसभापति ने बताया कि घंटाघर के कायाकल्प को लेकर महापौर ने काफी रुचि दिखाई है।

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