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    Ayodhya: अयोध्या के ‘सुदामा’ की तंगी दूर कर रहे रामलला, दिव्यांग के लिए आसान नहीं था रोजगार मिलना; पढ़ें पूरी कहानी

    सुदामा इसे राम की कृपा मानते हैं। यह उनके लिए किसी अभिलाषा के पूर्ण होने से कम नहीं था क्योंकि दोनों पैरों से दिव्यांग सुदामा के लिए रोजगार मिलना आसान नहीं था। उन्होंने ई रिक्शा चलाने की सोची लेकिन पैरों की कमजोरी के कारण साहस नहीं जुटा सके। उनका सोचना भी ठीक था आखिर इस काम में उनको अपने साथ यात्रियों की भी सुरक्षा भी देखनी थी।

    By Jagran News Edited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 11 Jan 2024 05:05 AM (IST)
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    मिथिलेश गुप्त के कारखाने में तैयार रामलला को अर्पित होने वाला इलायचीदाना का पैकेट

    रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या। द्वापर में भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा के अभाव को दूर किया तो रामलला कलयुग के सुदामा की तंगी दूर कर रहे हैं। यह सुदामा दर्शन नगर निवासी उस व्यक्ति का नाम है, जो रामलला का प्रसाद तैयार करने में अपना योगदान देते हैं। इस सुदामा की दीन दशा भी द्वापर के सुदामा की ही भांति थी, लेकिन रामलला के लिए इलायचीदाना बनाने में रम गए सुदामा को इस कार्य से इतना मिल रहा है कि वह परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं और किसानी के लिए अवकाश भी मिल जाता है। 

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    अब, जबकि रामलला अपने नए भवन में आने वाले हैं, ऐसे में यह जानना भी रोचक है कि करुणानिधि की कृपा से उनकी सेवा एवं सत्कार से जुड़े लोगों का कष्ट भी दूर हो रहा है। सुदामा इसे राम की कृपा मानते हैं।

    यह उनके लिए किसी अभिलाषा के पूर्ण होने से कम नहीं था, क्योंकि दोनों पैरों से दिव्यांग सुदामा के लिए रोजगार मिलना आसान नहीं था। उन्होंने ई रिक्शा चलाने की सोची, लेकिन पैरों की कमजोरी के कारण साहस नहीं जुटा सके। उनका सोचना भी ठीक था, आखिर इस काम में उनको अपने साथ यात्रियों की भी सुरक्षा भी देखनी थी।

    बहन की शादी की जिम्मेदारी भी पहाड़ की भांति सामने है। ऐसे में जब कोई रास्ता नहीं मिल रहा तो उनके समक्ष रामकाज कर रहे मिथिलेश गुप्त एक उम्मीद की किरण के रूप में सामने आए। सुदामा की आवश्यकता और आर्थिक तंगी को देखते हुए उन्होंने रोजगार के रूप में सहारा दिया।

    हैदरगंज निवासी मिथिलेश और उनका परिवार मिलकर रामलला का प्रसाद तैयार करते हैं। भगवान राम की भांति मिथिलेश का भी चार भाइयों का संयुक्त परिवार है और सभी मिलकर रामलला का प्रसाद तैयार करते हैं। 

    यह परिवार सुदामा की भांति 40 परिवारों को रोजगार देकर उनके जीवन से अभाव रूपी अंधेरा दूर कर रहा है। कारखाने से जुड़े नाम भी कम रोचक नहीं हैं। कारखाने का संचालन मिथिलेश के नाम का अर्थ राजा जनक से जुड़ा और श्रम करने वालों में एक व्यक्ति का नाम सुदामा है, जो भगवान राम के उत्तरवर्ती श्रीकृष्ण के परम मित्र के नाम का स्मरण कराते हैं।

    मिथिलेश गुप्त के कारखाने में तैयार रामलला को अर्पित होने वाला इलायचीदाना का पैकेट 

    सामान्य से अधिक बड़ा यहां अर्पित होने वाला इलायची दाना रामलला के प्रसाद के रूप में मिलने वाला इलायची दाना सामान्य इलायची दाने से बड़ा होता है। इसमें अच्छी गुणवत्ता वाली इलायची का उपयोग किया जाता है। एक पैकेट में 25 से 30 ग्राम इलायची दाना होता है, जो संख्या में 12 से 15 तक हो सकता है।

    इस बात का ध्यान रखकर पैकिंग की जाती है कि एक परिवार के लिए पर्याप्त प्रसाद रहे। हर तीसरे दिन करीब दस क्विंटल इलायची दाना प्रसाद के लिए भेजा जा रहा है, लेकिन जिस प्रकार भविष्य में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है, उस आधार पर प्रतिदिन इतनी मात्रा में इलायची दाना मंदिर में आपूर्ति करने की संभावना व्यक्त की जा रही है। मिथिलेश रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं।