Ayodhya Ram Mandir: मंदिरों के शिखर पर फहराए ध्वजाओं के पीछे की गहन शास्त्रीयता
Ayodhya Ram Mandir DharamDhwaja: प्राचीन काल से ध्वज सत की असत पर विजय का प्रतीक माना गया है। धार्मिक ध्वज फहराना बताता है कि धर्म, सत्य और सद्गुण की शक्ति सदैव विजयी होती है।

ध्वजारोहण को लेकर भक्तों में उल्लास
जागरण संवाददाता, अयोध्या : जन्म भूमि पर बने नव्य, भव्य और दिव्य राम मंदिर पर होने वाले ध्वजारोहण को लेकर भक्तों में उल्लास, उत्सुकता एवं उत्साह स्वाभाविक है किंतु यह जानना भी रुचिकर है कि किसी भी मंदिर के शिखर पर विराजित ध्वज में गहरी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक चेतना निहित है।
ध्वज को ऊर्जा का केंद्र भी माना जाता है। यह आत्म गौरव के साथ श्रद्धा, विनम्रता और समर्पण का परिचायक है। यह स्थान, संस्था या समुदाय की आध्यात्मिक पहचान भी बताता है यथा- मंदिरों में भगवा ध्वज, गुरुद्वारों में निशान साहिब, जैन मंदिरों में पंचरंगी ध्वज ये सभी अपने-अपने गौरव, मर्यादा और पवित्रता दर्शाते हैं। सामान्य तौर पर ध्वजरोहण त्योहारों, आराधना के दिनों या विशेष आध्यात्मिक अवसरों पर किया जाता है, जो संकेत देता है कि आज का दिन पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है।
प्राचीन काल से ध्वज सत की असत पर विजय का प्रतीक माना गया है। धार्मिक ध्वज फहराना बताता है कि धर्म, सत्य और सद्गुण की शक्ति सदैव विजयी होती है। ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण शर्मा के अनुसार मंदिर के ध्वज के दर्शन करने मात्र से ही भक्तों को संपूर्ण मंदिर के दर्शन का पुण्य प्राप्त हो जाता है, ऐसा हमारे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है।
ध्वज उस मंदिर या स्थान के देवता का दृश्यमान प्रतिनिधि है। जहां तक राम मंदिर के ध्वज के आकार और रंग का सवाल है, उसके पीछे सुविचारित शास्त्रीयता और नियोजन है। राम मंदिर के अनेकानेक अनुष्ठान से जुड़े रहे प्रख्यात कथाव्यास एवं प्रतिष्ठित पीठ रामकुंज के महंत रामानंददास के अनुसार केसरिया रंग का ध्वज नियत करने के पीछे न केवल सनातन परंपरा की पसंद है बल्कि श्रीराम की सूर्यवंशीय पृष्ठभूमि भी है और इसका त्रिकोणात्मक आकार भी अग्नि अथवा तेज का परिचायक है। केसरिया ध्वज सूर्य की अजस्र ऊर्जा का परिचायक है और इस पर अंकित कोविदार अयोध्या के उन यशस्वी सूर्यवंशीय नरेशों के राज चिह्न का परिचायक है, श्रीराम जिनके वंशज थे।

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