Ayodhya Ram Mandir: रामजन्मभूमि परिसर में देवों के साथ वास्तु -शिल्पकला का भी होगा दिव्य दर्शन
Ayodhya Ram Mandir: परकोटे की आंतरिक और वाह्य दीवारों पर आइकनोग्राफी के माध्यम से चित्ताकर्षक नक्काशी कराई गई है। दोनों ओर की आंतरिक दीवारों पर लगभग 8 ...और पढ़ें

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बड़ी ही दिव्यता और भव्यता के साथ निर्मित कराया
लवलेश कुमार मिश्र, जागरण, अयोध्या : रामजन्मभूमि परिसर के प्रत्येक प्रकल्पों को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बड़ी ही दिव्यता और भव्यता के साथ निर्मित कराया है। रामलला का धाम तो अपनी सुंदरता और दिव्यता से हर श्रद्धालु को आकर्षित करता ही है, इसके पूरक रूप में निर्मित सात देवी देवताओं के मंदिर और रामायणकालीन सात ऋषियों मुनियों के मंदिर भी आस्था के साथ भव्यता के प्रतिमान गढ़ते हुए दिखेंगे। अब जबकि परिसर में पहुंचने वाले भक्तों को इन पूरक प्रकल्पों का भी दर्शन सुलभ हो सकेगा तो वह इसकी आकर्षक नक्काशी और वास्तुकला का भी दर्शन कर सकेंगे।
राम मंदिर के साथ अब सभी मंदिरों के निर्माण से जुड़ा कार्य संपूर्ण हो गया है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर सहित सभी सात पूरक मंदिरों के शिखर पर ध्वजारोहण कर पूर्णता का संदेश देंगे, तो इसके अगले दिन से श्रद्धालुओं को परिसर के सभी प्रकल्पों का दर्शन मिलने लगेगा। साथ ही अपने आराध्य की परिक्रमा के इच्छुक श्रद्धालु लगभग साढ़े सात सौ मीटर लंबे परकोटे के माध्यम से यह साध भी पूरी कर सकेंगे।
परकोटे में ही छह देवों के मंदिरों का निर्माण होने से इनमें दर्शन भी चलता रहेगा। दर्शन और परिक्रमा निर्विघ्न चलती रहे, इसके लिए भी ट्रस्ट ने प्रबंध किए हैं। परकोटे की चारों दिशाओं में प्रवेश मंडप निर्मित कराया गया है। प्रवेश मंडप की सीढ़ियों से होकर भक्तगण किसी भी तरफ से बाहर निकल कर जा सकेंगे। इससे परिक्रमा में कोई व्यवधान नहीं पड़ेगा।
परकोटे की आंतरिक और वाह्य दीवारों पर आइकनोग्राफी के माध्यम से चित्ताकर्षक नक्काशी कराई गई है। दोनों ओर की आंतरिक दीवारों पर लगभग 85 ब्रॉन्ज म्यूरल्स लगाए गए हैं, जिनमें धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण कराया गया है। सभी प्रवेश मंडपों पर शिखर निर्मित है, इन शिखरों पर भी उड़ीसा, असम, कर्नाटक, राजस्थान व देश के अन्य राज्यों से आए कारीगरों ने अपने कला कौशल का अद्भुत प्रदर्शन किया है।
परकोटे और प्रवेश मंडपों का निर्माण कार्य हाल ही में पूरा हुआ है। इनमें भी उन्हीं गुलाबी पत्थरों का प्रयोग हुआ है, जिनसे मंदिरों को निर्मित कराया गया है। सूर्य की रश्मियों का प्रकाश पड़ते ही इन प्रकल्पों की दिव्यता और भव्यता हर किसी का आकर्षण बनती हैं। अब जबकि इनमें दर्शन प्रारंभ होगा तो श्रद्धालु अपनी आस्था की पूर्ति के साथ नागर शैली की वास्तु और शिल्पकला को भी देख सकेंगे। परिसर के सभी प्रकल्पों का निर्माण ट्रस्ट ने नागर शैली में ही कराया है।

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