Raja Bimlendra Mohan Pratap Mishra: विहिप के करीबी थे राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन होते ही कमिश्नर ने सौंपा था प्रभार
Raja Vimlendra Mohan Pratap Mishra Of Ayodhya राम मंदिर निर्माण के लिए 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने जब श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया तो सबसे पहले राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के नाम की घोषणा की। तुरंत ही मंडलायुक्त ने उन्हें मंदिर का संपूर्ण प्रभार भी सौंपा था। दरअसल इसके पहले यहां के कमिश्नर के पास ही मंदिर के रिसीवर का दायित्व था।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। अयोध्या राज परिवार के मुखिया विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का बीती शनिवार की रात में निधन हो गया। 71 वर्षीय विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के निधन की सूचना मिलते ही राजसदन में आवास पर शुभचिंतकों के साथ ही जिला के आलाधिकारियों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। रातभर राजसदन में लोगों का आना जाना लगा रहा।
रविवार सुबह नगरी के साधु संतों का राजसदन पहुंचना शुरू हुआ, सभी उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते रहे। क्या छोटा क्या बड़ा सभी इंटरनेट मीडिया पर उनसे जुड़ी अपनी स्मृतियां साझा कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं। बड़ी संख्या में विशिष्टजनों के साथ ही सामान्यजन भी श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में मौजूद रहे।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन में सबसे पहला नाम
राम मंदिर निर्माण के लिए 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने जब श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया तो सबसे पहले राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के नाम की घोषणा की। तुरंत ही मंडलायुक्त ने उन्हें मंदिर का संपूर्ण प्रभार भी सौंपा था। दरअसल इसके पहले यहां के कमिश्नर के पास ही मंदिर के रिसीवर का दायित्व था। वह विहिप के बेहद करीबी रहे। मंदिर आंदोलन के समय ही राजा साहब ने शिलाओं की गढाई के लिए रामघाट में कार्यशाला की भूमि विहिप को दान में दी थी।
बसपा से 2009 में लड़े थे लोकसभा का चुनाव
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और राजसदन अयोध्या के मुखिया विमलेंद्र प्रताप मोहन मिश्र पप्पू भैया ने 2009 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सके थे। अयोध्या राजवंश के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुडी कड़ी में स्वर्गीय महारानी विमला देवी के दो पुत्र विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और शैलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र हुए। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के बड़े होने के कारण उन्हें इस राजवंश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और उन्हें राजा अयोध्या के रूप में जाना जाने लगा।
हर कोई राजा साहब कहकर पुकारता
राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र सहज व सरल व्यक्तित्व के धनी थे। स्थानीय लोग उन्हें पप्पू भैय्या कहकर पुकारते थे। उनका नाम लोग नहीं लेते थे। आदर से सभी उन्हें राजा साहब कहते थे।
रामायण मेला समिति के संरक्षक
राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र वर्षों से संचालित रामायण मेला समिति के संरक्षक थे। साथ ही राजा जगदम्बिका प्रताप नारायण सिंह एजुकेशन ट्रस्ट व विमला देवी न्यास फाउंडेशन के अध्यक्ष रहे। साकेत कालेज के निर्माण में उनकी अहम भूमिका थी। आज भी वर्षभर एक निर्धारित धनराशि साकेत कालेज के संचालन को राजपरिवार उन्हीं के नेतृत्व में देता रहा।
बेहतरीन खिलाड़ी व खेल के शौक ने बनाया अलग
राजा साहब की खेलो में गहरी रुचि थी। क्रिकेट के साथ ही साथ लॉन टेनिस भी खेलते थे। इनके साथ ही वॉलीबाल भी उनका प्रिय खेल था। उन्होंने राजसदन परिसर में ही एक क्रिकेट एकेडमी भी वर्षों तक संचालित कराई। राज सदन क्रिकेट क्लब बनाया था। लॉन टेनिस के विशेषज्ञ खिलाड़ी रहे।
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