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    Ram Mandir Holi: राम रंग में रंगी अयोध्या, रामलला के गालों पर लगा खास गुलाल; अवध की मंडली ने गाया फाग

    Updated: Tue, 26 Mar 2024 08:14 PM (IST)

    Ram Mandir Holi अयोध्या में एक दिन पहले होली हो चुकी है लेकिन मंगलवार को रामलला के समक्ष हो रहे रंगोत्सव में मानो पूरी नगरी सिमट आई हो। पावन सलिला सरयू जी ने भी मानो विविध रंगों को एकसार कर लिया है। कभी वे शांत होती हैं तो कभी लहरों का उछाल जैसे राम को रंगने को उद्यत दिखता है।

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    राम रंग में रंगी अयोध्या, रामलला के गालों पर लगा खास गुलाल

    पवन तिवारी, अयोध्या। रामलला का नव्य-भव्य प्रासाद राम रंग में आकंठ डूबा है और भक्तजन कल्पनाओं में जैसे त्रेता युग पहुंच गए हों। सुकोमल श्यामल मुखमंडल पर केसरी गुलाल में पगी सी थाप। बाल रूप राम खिलखिलाते हुए ठुमक-ठुमक कर आंगन में अठखेलियां करते, गिरते-उठते रहे होंगे। होरियाये जाने से बचने का उपक्रम करते रहे होंगे। नौनिहाल का फाल्गुनी शृंगार देख अयोध्या की माताएं निहाल हो गई होंगी। कैसा मोहक रूप, अद्भुत सौंदर्य..।

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    आज वैसा दृश्य भले ही न सजीव हो, लेकिन श्रीरामलला का भव्य मंदिर भावनाओं से भरा है। भक्त असीम ऊर्जा से सराबोर हैं। आखिर, लगभग पांच सदी बाद रामलला के अपने आंगन में रंग बरस रहे हैं।

    रामलला के रंगोत्सव में उमड़े श्रद्धालु

    अयोध्या में एक दिन पहले होली हो चुकी है, लेकिन मंगलवार को रामलला के समक्ष हो रहे रंगोत्सव में मानो पूरी नगरी सिमट आई हो। पावन सलिला सरयू जी ने भी मानो विविध रंगों को एकसार कर लिया है। कभी वे शांत होती हैं, तो कभी लहरों का उछाल जैसे राम को रंगने को उद्यत दिखता है।

    रामलला का आंगन था होली के रस में सराबोर

    रंगोत्सव का प्रारंभ प्रात: काल 6:15 बजे शृंगार आरती के पूर्व रामलला को गुलाल अर्पित करके हुआ। वहां रखे पुष्प से संतों, पुजारियों ने होली खेली। इन्हीं पुष्पों से दर्शनार्थ आए भक्तों ने भी फागुन का आनंद लिया। रामलला का आंगन होली के रस में सराबोर था। मंगलवार होने के कारण रामलला को लाल रंग के वस्त्र धारण कराये गए। परंपरानुसार रामलला के कपोल, हथेली के अग्रभाग और चरण कमल पर गुलाल अर्पित किया गया।

    ढाई क्विंटल गुझिया का लगाया गया भोग

    कैसी छवि है प्रेम और भाव के रंग में रचे बाल रूप राम की, अपने नवीन धाम में प्रतिष्ठापित होने के बाद उनके राम पर कैसा चटख रंग चढ़ा है? यही भाव और जिज्ञासा लिये लखीमपुर से पधारे 82 साल के व्हील चेयर पर बैठे राम उजागिर की आंखें नम हो आईं। पूरे देश की आस्था खिंचकर राम के प्रांगण में चली आई। ऐसा जनसैलाब कि सरसों छींट दें तो भूमि तक न पहुंचे। मध्याह्न राजभोग में ढाई क्विंटल गुझिया का भोग लगाया गया। भोग के बाद भक्तों में गुझिया का प्रसाद वितरित किया गया।

    मंगलवार को खेली जा रही है अयोध्या

    श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र बताते हैं कि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा का मुहूर्त उदया तिथि में होने से रामलला की होली मंगलवार को खेली जा रही है। उधर, हनुमानगढ़ी में भी तिल रखने की जगह नहीं बची थी। परंपरा के अनुरूप होली पर्व के बाद पड़ने वाले मंगलवार को भक्तजन श्री हनुमान जी को हरा चना पौध सहित (होरहा) अर्पित करते हैं। इनमें बड़ी संख्या में कठिन श्रम करने वाले सेवकगण होते हैं। भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंदिर के मंडप में फाग भी चल रहा है।

    स्थानीय फाग गायकों ने बांधा समा

    स्थानीय फाग गायकों की टोली में हारमोनियम पर मिथिला बिहारी दास, तबले पर सिया लाडली शरण के साथ लालजी मलिक का जोश पूरे परिसर पर छाया हुआ है। मंदिर की व्यवस्था से जुड़े फूलकांत कहते हैं कि फाग गायन से पूरे मंडप में उमंग के रंग बिखर जाते हैं। ये पंक्तियां तो जन-जन को कंठस्थ हैं- होली खेलैं रघुबीरा अवध में होली खेलैं रघुबीरा.. केकरे हाथे कनक पिचकारी केकरे हाथे अबीरा अवध में रामजी के हाथे कनक पिचकारी लक्ष्मण हाथे अबीरा अवध में.

    विशिष्ट है गुलाल

    राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) ने कचनार और गोरख नाथ पीठ में अर्पित पुष्पों से बना गुलाल रामलला को अर्पित किया गया। कचनार त्रेता युग में अयोध्या का राजवृक्ष था। विरासत को वर्तमान से जोड़ने के उद्देश्य से इसी के पुष्प से गुलाल बनाया गया। पादप विज्ञानी कहते हैं कि कचनार के पुष्प में औषधीय गुण होते हैं।

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