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    'बुद्ध, जैन, सिख सबके एक ईश्वर', दत्तात्रेय होसबाले ने RSS के 100वें स्थापना दिवस पर दिया ये संदेश

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 11:57 AM (IST)

    अयोध्या में आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हिंदू धर्म समन्वय का विचार है। रामराज्य और हिंदू राष्ट्र अलग नहीं हैं। उन्होंने विजयदशमी को धर्म स्थापना का उत्सव बताया और संघ की लंबी यात्रा को प्रेरणादायी कहा। होसबाले ने व्यक्ति निर्माण से चरित्र एवं राष्ट्र निर्माण को संघ का उद्देश्य बताया। कार्यक्रम के बाद स्वयंसेवकों का पथ संचलन निकला जिसमें कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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    प्रभु राम भारत ही नहीं, मानव जाति के आदर्श : दत्तात्रेय।

    जागरण संवाददाता, अयोध्या। यहां कई पंथ संप्रदाय हैं, जो सब हिंदू धर्म का ही कार्य कर रहे हैं। बुद्ध, जैन, सिख सबके एक ईश्वर हैं। हिंदुत्व समन्वय का विचार है। रामराज्य और हिंदू राष्ट्र अलग-अलग नहीं है। प्रभु राम केवल भारत भूमि के नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति के लिए आदर्श हैं।

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    यह उद्गार हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का। वह सरयू तट स्थित रामकथापार्क में संघ के सौवें स्थापना दिवस पर हजारों स्वयंसेवकों, संभ्रांतजनों एवं संतों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया, विजयदशमी धर्म स्थापना का मंगल उत्सव है और देश इस अवसर पर अधर्म पर धर्म की, अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की जीत की कामना करता है।

    सर कार्यवाह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सुदीर्घ यात्रा को को अद्भुत एवं प्रेरणादायी बताया। कहा, आज देश के किसी भी सीमा के अंतिम गांव में संघ की शाखा लगती है। संघ के स्वयंसेवक देश व विदेश में भी रहकर मानवता की सेवा में निरंतर कार्य कर रहे हैं।

    संघ समाज को एक ध्येय मार्ग पर संगठित करने का संकल्प लेकर कार्य कर रहा है। उन्होंने 45 मिनट के उद्बोधन में कुछ सूत्र सुझाते हुए आह्वान किया, स्वार्थी हिंदू को सेवाभावी हिंदू बनाओ। अकर्मण्य हिंदू को पुरुषार्थ वाला बनाओ। बिखरे हुए हिंदू को संगठित हिंदू बनाओ। राष्ट्रभक्ति, सेवा, अनुशासन के मार्ग पर चलते हुए, देश सेवा के लिए सामने आएं।

    चरित्र एवं राष्ट्र निर्माण संघ का उद्देश्य

    सर कार्यवाह ने अपने 45 मिनट के उद्बोधन में संघ की मौलिकता भी उद्घाटित की। कहा, व्यक्ति निर्माण से चरित्र एवं राष्ट्र निर्माण करना ही संघ का उद्देश्य है। इस अभियान का श्रीगणेश 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के ही अवसर पर संघ की स्थापना के साथ हुआ था।

    उद्बोधन से पूर्व शस्त्र पूजन

    उद्बोधन से पूर्व सरकार्यवाह ने सत्र की अध्यक्षता कर रहे दिगंबर जैन तीर्थ कमेटी के अध्यक्ष रवींद्रकीर्ति स्वामी के साथ ध्वजारोहण, श्रीराम के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन तथा शस्त्र पूजन किया।

    संगच्छध्वं संवदध्व-

    कार्यक्रम के बाद पथ संचलन निकला, जो राम कथा पार्क से तुलसी उद्यान होते हुए राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक सामने बिड़ला मंदिर पर समाप्त हुआ। विशेष घोष के साथ पूर्ण गणवेश में कदम से कदम मिलाते हुए वेदवाक्य ‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’ का अनुसरण करते हुए स्वयंसेवकों ने अपने ‘स्व’ यानी अनुशासन का परिचय देते हुए आम जनमानस को अपनी ओर आकृष्ट किया। जगह-जगह स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की गई।

    संत, संभ्रांतजनों एवं संघ के नेतृत्व समागम

    समारोह में रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, हनुमानगढ़ी के सरपंच महंत रामकुमारदास, अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता एवं हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत गौरीशंकरदास, हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास, दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सचिव विजयकुमार जैन, जैन युवा परिषद के अध्यक्ष डा. जीवनप्रकाश सहित विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपतराय, राम मंदिर के व्यवस्था प्रमुख गोपाल राव, तीर्थ क्षेत्र के सदस्य डा. अनिल मिश्र, क्षेत्र प्रचारक अनिलकुमार, प्रांत प्रचारक कौशल, प्रांत प्रचार प्रमुख अशोक द्विवेदी, विभाग सह संघ चालक मुकेश तोलानी, डा. शैलेंद्र, महानगर प्रचारक सुदीप, महानगर संघचालक विक्रमाप्रसाद पांडेय महानगर कार्यवाह देवेंद्र एवं राहुल आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।