प्रभु के आशीष से संतृप्त होंगे 10 लाख परिवार, श्रीरामलला अयोध्या जी सेवा समिति रिटर्न गिफ्ट भेज रही
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए दान देने वाले दस लाख परिवारों को श्रीरामलला अयोध्या जी सेवा समिति रिटर्न गिफ्ट के रूप में रामलला रक्षा यंत्र भेज रही है। समिति के अध्यक्ष डा. राजानंद शास्त्री 2029 तक इस लक्ष्य को पूरा करना चाहते हैं। उनका उद्देश्य राम मंदिर के साथ राष्ट्र मंदिर की स्थापना करना और पूरे देश को रामलला रक्षा यंत्र का आध्यात्मिक कवच प्रदान करना है।

जागरण संवाददाता, अयोध्या। देश के दस लाख परिवारों ने राम मंदिर निर्माण के लिए दान दिया था और अब इतने ही परिवारों तक श्रीरामलला अयोध्या जी सेवा समिति की ओर से ‘रिटर्न गिफ्ट’ भेजा जा रहा है।
यह उपहार रामलला रक्षा यंत्र के रूप में है और समिति इसे डाक से राम भक्तों तक पहुंचा रही है। समिति के अध्यक्ष डा. राजानंद शास्त्री को उम्मीद है कि 22 जनवरी 2029 को नव्य मंदिर में रामलला के पांचवें प्रतिष्ठा पर्व तक लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।
वह चाहते हैं कि राम मंदिर के साथ राष्ट्र मंदिर भी भव्यता से स्थापित हो और इसी लक्ष्य के अनुरूप वह संपूर्ण देश को रामलला रक्षा यंत्र का आध्यात्मिक कवच प्रदान करना चाहते हैं। रक्षा यंत्र का निर्माण राम रक्षा स्तोत्र से प्रेरित है।
श्रीराम जैसे आराध्य प्राय: उच्चादर्शों, आत्म त्याग और लौकिकता से विमुख समर्पित भक्ति के संवाहक हैं, किंतु ‘आपदामपहर्तारं दातारं सर्व संपदाम्/ लोकाभिरामम् श्रीरामम् भूयो-भूयो नमाम्यहम’ जैसे 38 श्लोकों से युक्त रामरक्षा स्तोत्र श्रीराम को परलोक के साथ इहलोक की सिद्धि देने वाले नायक के रूप में प्रतिष्ठित करता है और परवर्ती आचार्यों ने श्रीराम के इसी वैशिष्ट्य को राम रक्षा यंत्र के रूप में उसे और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
गत वर्ष रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर उन्हें ज्ञात हुआ कि स्वयं रामलला को राम रक्षा यंत्र पर प्रतिष्ठापित किया गया है और इसी के बाद से ही उनके मन में राम भक्तों के घरों को भी रामलला के आशीष स्वरूप रामलला रक्षा यंत्र से युक्त करने का भाव जगा।
उन्होंने तय किया कि राम मंदिर के लिए 10 लाख परिवारों ने निधि समर्पित की, तो कम से कम इतने ही परिवारों तक रामलला रक्षा यंत्र पहुंचना चाहिए। उन्हें विश्वास है कि रामलला रक्षा यंत्र से यह घर-परिवार भी राम मंदिर की तरह पावन, प्रतिष्ठित, अजेय तथा सब तरह से समृद्ध होंगे और इस आशीष के साथ जो पीढ़ी संरक्षित होगी, वह श्रीराम के मूल्यों-आदर्शों को आत्मसात करने में भी सक्षम होगी।
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