Ayodhya Pran Pratistha 2: खत्म हुआ संशय, शेषावतार मंदिर में भी होगी लक्ष्मण जी की प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में राम दरबार छह पूरक मंदिरों के साथ शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। मंदिर निर्माणाधीन होने पर भी गर्भगृह बनने के बाद प्रतिमा स्थापित की गई। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सामूहिक रूप से पांच जून को प्राण प्रतिष्ठा कराएगा जिसके अनुष्ठान तीन जून से शुरू होंगे। मंदिर का शिखर बनना बाकी है प्रतिमा सोमवार शाम को स्थापित हुई।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। राम दरबार व परकोटे के मध्य निर्मित देवी-देवताओं के छह पूरक मंदिरों के साथ शेषावतार मंदिर में भी लक्ष्मण जी की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसको लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा संशय समाप्त हो गया है।
यह मंदिर भले अभी निर्माणाधीन है, परंतु गर्भगृह का निर्माण पूरा हो जाने के कारण ट्रस्ट की ओर से इसमें लक्ष्मण जी की वनवासी मुद्रा वाली प्रतिमा स्थापित करा दी गई है। यद्यपि मंदिर का शिखर अभी नहीं निर्मित हो सका है, इसका अभी लगभग दस प्रतिशत कार्य शेष है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से रामजन्मभूमि परिसर के छह पूरक मंदिरों के साथ राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा सामूहिक तौर पर पांच जून को कराई जाएगी। इसके लिए अनुष्ठानों का आरंभ तीन जून से ही हो गया है। इस सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा मेें शेषावतार मंदिर के सम्मिलित होने को लेकर संशय था।
इस संबंध में ट्रस्ट का कोई पदाधिकारी भी कुछ बोलने से बच रहा था। गत दिनों प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन के विवरण की जानकारी देते समय भी ट्रस्ट महासचिव चंपतराय ने कहा था कि शेषावतार मंदिर का अभी लगभग दस प्रतिशत कार्य शेष है।
मंदिर का संपूर्ण निर्माण जुलाई माह तक ही पूरा हो सकेगा, परंतु गर्भगृह का निर्माण हो गया था इसलिए ट्रस्ट ने वैदिक विद्वानों से राय लेकर इसमें लक्ष्मण जी की प्रतिमा स्थापित करा दी है। सूत्रों ने बताया कि प्रतिमा की स्थापना सोमवार शाम की गई है। राम दरबार के साथ जयपुर से शेषावतार की प्रतिमा भी लाई गई थी।
इसे तत्समय रामजन्मभूमि परिसर में स्थित वैकल्पिक गर्भगृह में रखवा दिया गया था। शेषावतार मंदिर का निर्माण ट्रस्ट ने राम मंदिर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में कराया है। इसकी ऊंचाई राम मंदिर के भूतल पर स्थापित रामलला के विग्रह की ऊंचाई के समान है। इसमें लगभग 16 हजार घनफीट पत्थरों का प्रयोग हुआ है। अब इसका शिखर ही बनना शेष है।
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