राम मंदिर के निकासी पथ पर 200 मीटर में कैनोपी की जरूरत, बारिश में भीगते श्रद्धालुओं का छलका दर्द
अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई कदम उठा रहा है जैसे कि आरओ वाटर कूलर और दर्शन पथ पर कैनोपी लगाई गई है। लेकिन मंदिर के अंदर और बाहर कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ धूप और बारिश से भक्तों को परेशानी होती है। भक्त यात्री सुविधा केंद्र से रामपथ तक शेड लगाने की मांग कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में विस्तार कर रहा है। जगह-जगह आरओ युक्त वाटर कूलर तथा गर्मी व बारिश से बचाव के लिए दर्शन पथ पर कैनोपी लगाई गई है। पर अभी मंदिर के भीतर से लेकर बाहर तक कई ऐसे स्थान हैं, जहां से जाते समय श्रद्धालुओं की मुश्किल बढ़ जाती है।
यहां तेज धूप से उनके पैरों में छाले पड़ जाते हैं। बारिश भी भिगो देती है। यह समस्या रामलला का दर्शन कर वापस आने वाले श्रद्धालुओं की है। यहां निकासी मार्ग पर तो लगभग दो सौ मीटर दूरी में श्रद्धालुओं को धूप व बरसात से बचने का कोई प्रबंध नहीं है। भक्ताें ने ही यात्री सुविधा केंद्र से लेकर रामपथ तक शेड लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि यहीं पर सबसे अधिक कष्ट होता है। यह पथ गत चौदहकोसी परिक्रमा के दौरान प्रारंभ हुआ था।
दरअसल मंदिर में रामलला के भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ही गत कुछ माह में बिड़ला धर्मशाला के सामने से लेकर मंदिर के प्रवेश द्वार तक कैनोपी लगा दी गई है। यह कैनोपी धूप व बरसात में दर्शनार्थियों को बचाती है। परिसर में यात्री सुविधा केंद्र से अंगद टीला के बगल नया निकासी मार्ग बना है, जो रामपथ पर मिलता है।
यात्री सुविधा केंद्र से बाहर निकल कर आने वाले भक्तों का अपना-अपना दर्द है। बावजूद इसके सभी रामलला के दर्शन से अह्लादित हैं। सोमवार को बारिश में दर्शन कर वापस लौट रहे दिल्ली के रमेश मेघवाल कहते हैं कि ट्रस्ट ने बहुत सुंदर मंदिर निर्मित कराया, जब यह बन कर तैयार हो जाएगा तो विश्व का श्रेष्ठतम मंदिर होगा।
उन्होंने कहा, श्रीराम अस्पताल से रामपथ को जाेड़ने वाले इस निकासी मार्ग पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर शेड लगा दिया जाय तो यह समस्या बिल्कुल समाप्त हो जाए।
केरल के राजेंद्र एन विक्रम कहते हैं कि जिस तरह मंदिर कैनोपी है, उसी तरह बचे रास्तों पर भी लगा दी जाए, जिससे बारिश में भक्त इसी के नीचे रुककर स्वयं को बचा सके। गोरखपुर की आस्था चौहान कहती हैं कि मंदिर में बहुत चलना पड़ता है, यदि शेड बना कर बैठने के लिए कुर्सियां लगा दी जाएं तो बेहतर होगा।
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