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    Ayodhya News: वैकल्पिक गर्भगृह ही नहीं, खोदाई में मिली प्राचीन शिलाओं को भी सहेजेगा ट्रस्ट, एएसआई ने किया निरीक्षण

    रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के वैकल्पिक गर्भगृह को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट संरक्षित करेगा। मंदिर निर्माण के दौरान मिली प्राचीन शिलाओं को भी सहेजा जाएगा। एएसआई टीम ने निरीक्षण कर संरक्षण के सुझाव दिए। ट्रस्ट भविष्य में इन शिलाओं के दर्शन की अनुमति दे सकता है। राम मंदिर निर्माण के समय नींव खुदाई में मिले पत्थरों को भी संरक्षित किया जाएगा।

    By lavlesh kumar mishra Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 11 Jun 2025 09:52 AM (IST)
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    श्रीराम)) वैकल्पिक गर्भगृह ही नहीं, खोदाई में मिली प्राचीन शिलाओं को भी सहेजेगा ट्रस्ट

    लवलेश कुमार मिश्र, अयोध्या। रामजन्मभूमि परिसर के जिस वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला लगभग चार वर्षों तक विराजमान रहे, उस मंदिर को तो श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट संरक्षित करेगा ही, राम मंदिर निर्माण के दौरान यत्र-तत्र पाई गईं प्राचीन शिलाओं को भी सहेजा जाएगा। 

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    इसी उद्देश्य के तहत ट्रस्ट के अनुरोध पर गत दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम ने परिसर का निरीक्षण किया है। एएसआई के सदस्यों ने प्राचीन शिलाओं को देख कर ट्रस्ट सदस्यों को यह सुझाया कि उन्हें किस तरह से संरक्षित किया जाए। ट्रस्ट की ओर से भविष्य में वैकल्पिक गर्भगृह के साथ इन शिलाओं के भी दर्शन की अनुमति प्रदान की जा सकती है।

    पांच अगस्त 2020 को रामजन्मभूमि पर राम मंदिर के भूमि पूजन से पूर्व विराजमान रामलला को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 मार्च 2020 को परिसर में ही निर्मित वैकल्पिक गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया था। जब तक मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ, तब तक इसी स्थान पर रामलला की पूजा होती रही। 

    22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलला को राम मंदिर में प्रतिष्ठित किया था। ट्रस्ट की ओर से इस मंदिर को संरक्षित किए जाने और भविष्य में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ अनुमति दिए जाने की योजना है। 

    इसी के साथ राम मंदिर निर्माण के समय नींव खोदाई और विभिन्न प्रकल्पों के निर्माण के दौरान कई प्राचीन पत्थर पाए गए हैं। ट्रस्ट ने इन्हें परिसर में ही एक स्थान पर सुरक्षित रखवाया है। 

    अब इन्हीं प्राचीन शिलाओं को वैकल्पिक गर्भगृह के साथ संरक्षित किए जाने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए ट्रस्ट ने एएसआइ से राय लेने के लिए टीम को आमंत्रित किया था। गत दिनों एएसआइ के दो सदस्यों ने प्राचीन शिलाओं को देख कर ट्रस्ट पदाधिकारियों को सलाह दी है। 

    राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव बताते हैं, नींव खोदाई के समय मिलीं सभी शिलाओं को संरक्षित किया जाएगा। इससे पूर्व न्यायालय के निर्देश पर जब एएसआइ की टीम ने रामजन्मभूमि परिसर की खोदाई की थी, तो उस समय मिले प्राचीन पत्थरों व अन्य साक्ष्यों को पहले ही संरक्षित किया गया है।