Updated: Tue, 23 Sep 2025 03:54 AM (IST)
अयोध्या में वकालतखाना की बैठक में गैर-अभ्यासी और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सदस्यता का मुद्दा उठा। अधिवक्ताओं ने पेशे को बदनाम करने वालों की पहचान कर जांच की मांग की। नियमित और गैर-अभ्यासी वकीलों को अलग करने बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू करने और आपराधिक मामलों वाले सदस्यों से शपथ पत्र लेने के सुझाव दिए गए। अध्यक्ष ने समाधान के लिए समिति बनाने की घोषणा की।
जागरण संवाददाता, अयोध्या। सोमवार को वकालतखाना में हुई बैठक में गैर-प्रैक्टिशनरों और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सदस्यता का मुद्दा उठा। अधिवक्ताओं ने एक स्वर में मांग की कि वकालत पेशे को बदनाम करने वालों की पहचान कर उनकी सूची बनाई जाए और उनकी जांच की जाए। प्रस्तावक, पूर्व एल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष श्रवण कुमार मिश्र ने कहा कि अब समय आ गया है कि नियमित प्रैक्टिसनर और गैर-प्रैक्टिशनर को अलग किया जाए।
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इसके लिए एक सीमा तय की जानी चाहिए। राजीव पांडेय ने कहा कि नियमावली में नियमित प्रैक्टिसनर और गैर-प्रैक्टिशनर की पहचान करना मंत्री की जिम्मेदारी है। जो लोग वकील या क्लर्क नहीं हैं, लेकिन वकील के वेश में कचहरी में सक्रिय हैं, वे सीधे तौर पर पेशे की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं और इसका खामियाजा वास्तविक अधिवक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। रामशंकर यादव ने सुझाव दिया कि नियमित जांच होनी चाहिए और वकील के वेश में अवैध रूप से प्रैक्टिस करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके अलावा, पंजीकृत अधिवक्ताओं के नाम पर वकालतनामा जारी करने से गैर-प्रैक्टिशनरों की पहचान काफी हद तक हो सकती है। बैठक में बब्बन चौबे और लालजी गुप्ता ने बताया कि गैर-प्रैक्टिशनरों की सूची पहले ही तैयार कर ली गई है। उन्होंने अध्यक्ष कक्ष में एक शिकायत पेटी रखने का भी सुझाव दिया, जहाँ कोई भी अधिवक्ता गुमनाम रूप से गैर-प्रैक्टिशनरों के बारे में जानकारी दे सके।
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि जिन सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो दोषी हैं या जिनकी अपील लंबित है, उनसे शपथ पत्र लिया जाए। बार में बायोमेट्रिक अटेंडेंस भी लागू की जाए, इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन से अधिवक्ता नियमित रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में केवल प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को ही शामिल किया जाए। अधिवक्ता राजकुमार खत्री ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। पीएन सिंह ने कहा कि यह कदम अधिवक्ताओं के हित में है। आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर अंकुश लगाना जरूरी है, जो पेशे को बदनाम कर रहे हैं। अंत में, बार अध्यक्ष सूर्यनारायण सिंह ने घोषणा की कि इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समिति बनाई जाएगी।
इस समिति के बारे में जानकारी आगामी 25 सितंबर को होने वाली बैठक में दी जाएगी। बैठक में मंत्री गिरीश तिवारी, विवि मिश्रा, सूर्यभान वर्मा, राजकपूर सिंह, प्रदीप चौबे, दिनेश सिंह, सौरभ मिश्रा, वीरेंद्र मिश्रा, अरुण पांडेय, विजय द्विवेदी, विपिन मिश्रा, रामशंकर तिवारी, राजीव शुक्ला, नरेंद्र श्रीवास्तव, कुमुदेश शास्त्री, आफताब खान समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।
अधिवक्ताओं में शुरू हुई कानाफूसी
बैठक के बाद अधिवक्ताओं में कानाफूसी शुरू हो गई है कि क्या वाकई वर्तमान कार्यकारिणी इस गंभीर मुद्दे पर किसी नतीजे पर पहुंच पाएगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब नॉन प्रैक्टिशनर्स और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सदस्यता पर अंकुश लगाने के लिए ठोस पहल शुरू होगी।
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