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    रामलला की प्राण प्रत‍िष्‍ठा से पूर्व बेहद द‍िव्‍य-भव्‍य होगा अयोध्‍या दीपोत्सव, 84 कोसी परिक्रमा मार्ग भी होगा रोशन

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj Mishra
    Updated: Tue, 31 Oct 2023 11:14 AM (IST)

    राजा राम की नगरी अयोध्‍या रामलला की प्राण प्रत‍िष्‍ठा से पूर्व दीपोत्‍सव का द‍िव्‍य और भव्‍य आयोजन क‍िया जा रहा है। इस बार दीपोत्सव के सातवें संस्करण में 84कोसी परिक्रमा मार्ग के पुरास्थल भी शाम‍िल होंगे। अनेक मामलों में दीपोत्सव का सातवां संस्करण विशिष्ट होगा।

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    Deepotsava In Ayodhya: भव्‍य दीपोत्‍सव के ल‍िये तैयार है राजा राम की नगरी

    रघुवरशरण, अयोध्या। रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की भावभूमि पर आयोजित दीपोत्सव का सातवां संस्करण अनेक मामलों में विशिष्ट होगा। इस बार न केवल राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु दीपोत्सव की शोभा बढ़ाएंगी, बल्कि 21 लाख से अधिक दीप के साथ अयोध्या का दीपोत्सव लगातार छठवीं बार गिनीज बुक में दर्ज हो विश्व रिकार्ड बनाने को बेताब है।

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    यद्यपि यह रिकार्ड अकेले रामकी पैड़ी और सरयू के चौधरी चरण सिंह घाट पर जलने वाले दीपों से बनेगा, किंतु दीपोत्सव की आभा से रामनगरी की संपूर्ण 84 कोसी परिधि आलोकित होगी। 84 कोस रामनगरी की वृहत्तर सांस्कृतिक सीमा है और प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा से लेकर जानकी नवमी के बीच 24 दिनों तक इस परिधि से होकर रामनगरी की परिक्रमा भी गुजरती है।

    रामनगरी की इस परिधि की प्रामाणिकता अनेक पौराणिक स्थलों से परिभाषित है। जिस मखौड़ा नामक स्थल से 84कोसी परिक्रमा शुरू होती है, वहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था और इसी यज्ञ के फलस्वरूप राजा को श्रीराम, भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न जैसे यशस्वी पुत्र प्राप्त हुए थे। रामनगरी की 84 कोसी परिधि अयोध्या सहित बस्ती, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और गोंडा जिला में व्याप्त है।

    इस पर न केवल मखौड़ा, बल्कि त्रेतायुगीन रामजानकी मार्ग एवं पुण्य सलिला सरयू को पार करती हुई रामनगरी की 84कोसी सीमा श्रृंगीऋषि आश्रम, तमसा नदी के महादेवाघाट, द्वापर युगीन पौराणिक स्थल आस्तीकन, द्वापर एवं कलियुग की संधि बेला के अवसर पर अहम भूमिका में रहे राजा जन्मेजय के नाम से स्थापित जन्मेजयकुंड, प्राचीन जंबू द्वीप, भगवान विष्णु के वराह अवतार लेने की भूमि सूकरखेत जैसे पुरास्थलों सहित वह राजापुर गांव है, जिसे शोधार्थियों की एक धारा रामचरितमानस के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली मानती है।

    शासन की मंशा के अनुरूप यदि प्रशासन खरा उतरा, तो 11 नवंबर को दीपोत्सव की आभा से यह स्थल भी पहली बार आलोकित होंगे। गत दिनों जिलाधिकारी नितीश कुमार की अध्यक्षता में बैठक के दौरान सांसद लल्लू सिंह ने स्पष्ट किया कि इस बार दीपोत्सव में रामनगरी की पंचकोसी एवं 14 कोसी परिक्रमा सहित 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के धार्मिक स्थल दीपोत्सव से रोशन किए जायं, जो दीपोत्सव के विगत संस्करण में उपेक्षित रह गए थे।

    अयोध्या के फलक पर नए युग का प्रवर्तन

    युगों पूर्व राजा दशरथ के जिस महल में श्रीराम और उनके भाइयों का बचपन बीता, उस महल की विरासत आज भी प्रवाहमान है। साथ ही प्रवाहमान है, उस मखौड़ा धाम की विरासत जहां राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। करीब तीन शताब्दी पूर्व से संतों की जो परंपरा त्रेतायुगीन दशरथमहल को संरक्षित कर रही है, वही महल के दायित्व के अनुरूप मखौड़ा धाम की भी सहेज-संभाल कर रही है। मखौड़ा धाम सहित 84 कोसी परिधि पर दीपोत्सव के औचित्य पर दशरथमहल पीठाधीश्वर महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य कहते हैं, रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा और प्रत्येक संस्करण के साथ नए शिखर का स्पर्श करता दीपोत्सव अयोध्या के फलक पर नए युग का प्रवर्तन है।

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