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    Ayodhya News: 70 से अधिक कैमरों के बावजूद भी कचहरी में पहुंचे असलहे, सुरक्षा तंत्र पर उठे सवाल

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:40 AM (IST)

    अयोध्या कचहरी परिसर में लावारिस बैग से अवैध तमंचे मिलने से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। 2007 के विस्फोट के बाद भी ऐसी घटना सुरक्षा में सेंध है। अधिवक्ताओं में रोष है क्योंकि सीसीटीवी कैमरों के बावजूद हथियार परिसर में पहुंचे। जांच जारी है और पुलिस-प्रशासन संयुक्त बैठक में सुरक्षा पर विचार करेंगे।

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    70 से अधिक सीसी कैमरों की आंख में धूल झोंक कचहरी में पहुंचे असलहे। फाइल फोटो

    संवाद सूत्र, अयोध्या। कचहरी परिसर में लावारिस बैग से अवैध तमंचों का मिलना सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती है। वर्ष 2007 में सीरियल ब्लास्ट के बाद, जिस कचहरी की सुरक्षा के लिए नए-नए प्रबंध किए गए, उसमें असलहों का मिलना निश्चित रूप से सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी सेंध कही जाएगी।

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    शेड नंबर-पांच में, जहां लावारिस बैग से तमंचे मिले हैं, उसी से सटे शेड में वर्ष 2007 में बम विस्फोट हुआ था, जिसमें एक अधिवक्ता सहित चार लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में फिर उसी स्थान के पास असलहा-कारतूस का मिलना प्रशासन और सुरक्षा तंत्र के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है।

    सुरक्षा में लापरवाही ने अधिवक्ताओं में भी रोष है। कचहरी परिसर की निगरानी में तैनात 70 से अधिक सीसी कैमरों की आंख में धूल झोंक कर बदमाश असलहों बैग में रखकर परिसर में छोड़ गया। इस लापरवाही को लेकर अभी तक किसी की जवाबदेही तय नहीं हुई है।

    हालांकि, इस प्रकरण को लेकर चल रही जांच में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य अवश्य पुलिस को मिले हैं। जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी के अनुसार असलहों वाला बैग सुबह आठ से नौ बजे के बीच परिसर में पहुंचने की आशंका है।

    यह वह समय होता है, जब कचहरी परिसर का एक गेट सफाई करने वालों के लिए खोला जाता है। पुलिस सीसी कैमरों की पड़ताल कर रही है, जिसमें संदिग्ध मिल रहे लोगों से पूछताछ भी की जा रही है। बैग में दो तमंचा, चार कारतूस, पेंचकस के अतिरिक्त शर्ट, पैंट के साथ बीड़ी का बंडल मिला है।

    असलहों का संबंध किसी आपराधिक वारदात के साथ ही तस्करी से भी जुड़े होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इस घटना के बाद परिसर के साथ ही न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं एवं वादकारियों की सुरक्षा को लेकर नए सिरे से मंथन शुरू हो गया है।

    सोमवार को इस विषय पर पुलिस-प्रशासन, न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें सुरक्षा को लेकर नए समीकरण तय किए जा सकते हैं।

    अधिवक्ताओं में रोष

    अधिवक्ता राजीव शुक्ल ने बताया कि कचहरी गेट पर तैनात पुलिसकर्मी अक्सर मोबाइल फोन पर व्यस्त रहते हैं। अधिवक्ता मनोज कुमार गौड़ ने बताया कि परिसर में प्रवेश करने वाले सभी गेटों पर मेटल डिटेक्टर लगा है, इसके बावजूद हथियार अंदर आना सुरक्षा में बड़ी चूक है।

    अधिवक्ता रामशंकर यादव ने बताया कि लगभग तीन हजार अधिवक्ता और इससे कई गुना वादकारियों से भरी कचहरी में ऐसी घटना सुरक्षा को तार-तार करने वाली है। अधिवक्ता दिनेश तिवारी ने बताया कि वर्ष 2014 में उनके पक्षकार तत्कालीन ब्लाक प्रमुख यशभद्र सिंह मोनू पर बम से हमला हुआ था। हमले मे एक की मौत हो गई थी।

    संयोगवश शुक्रवार को ही उनकी पेशी गैंगस्टर कोर्ट पर पेशी थी। अधिवक्ता ने आशंका जताई कि उन पर पूर्व में हुए हमले के मद्देनजर यह हथियारों की बरामदगी किसी साजिश का हिस्सा हो सकती है।

    न्यायिक अधिकारों व पुलिस अधिकारियों के साथ हुए निरीक्षण में मौके की स्थिति को देखते हुए परिसर के सभी गेटों पर फोर्स बढ़ाए जाने, गेट पर लगे सीसी कैमरों की जांच की जाएगी। इसके बाद उन्हें चलायमान बनाए जाने तथा सोमवार से परिसर में अनधिकृत रूप से प्रवेश कर रहे वाहनों पर प्रतिबंध लगाए जाने पर सहमति बनी। पास या विकलांग अधिवक्ताओं या वादकारियों को ही वाहन लाने की अनुमति होगी। -सूर्यनारायण सिंह, अध्यक्ष, फैजाबाद बार एसोसिएशन।

    घटना से जुड़े बड़े सवाल

    मेटल डिटेक्टर और कड़ी सुरक्षा के बावजूद असलहा-कारतूस अंदर कैसे पहुंचा?

    निगरानी में चूक के लिए जिम्मेदार कौन?

    घटना की साजिश के पीछे कौन?

    घटना किसी व्यक्ति विशेष को फंसाने की साजिश तो नहीं?