Avadh University: इंजीनियरिंग कॉलेज को लेकर बढ़ी मुश्किलें, फीस को लेकर हो रही जांच की जांच
अयोध्या के अवध विश्वविद्यालय (Avadh University) में इंजीनियरिंग कॉलेज की पहले की जांचों की फिर से जांच होगी। दैनिक जागरण में छपी खबर के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने मामले का संज्ञान लिया है। पूर्व कुलपतियों ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की थी और कार्रवाई से परहेज किया था। कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने अब एक नई समिति गठित कर गहन जांच के आदेश दिए हैं।
प्रवीण तिवारी, अयोध्या। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (Avadh University) प्रशासन की मुश्किल बढ़ी है, उसे इंजीनियरिंग कालेज में पूर्व की दो बार की जांच की भी जांच करानी पड़ रही है। दरअसल गत दिनों दैनिक जागरण ने अवध विवि के इंजीनियरिंग कालेज में पूर्व में हुई दो बार की प्रमुख जांचों, उनकी रिपोर्ट व उन पर हुई कार्रवाई को लेकर समाचार का प्रकाशन किया था।
इन प्रकरणों में एक जांच तत्कालीन कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह व दूसरी जांच निवर्तमान कुलपति प्रो. प्रतिभा गोयल के कार्यकाल में हुई थी, पर कार्रवाई से दोनों ने परहेज किया। रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की।
यह जरूर है कि प्रो. गोयल ने निदेशक को हटा कर उसकी जगह अपने करीबी माने जाने वाले गणित विभाग के प्रो. एसएस मिश्र को नया निदेशक बनाया था, तबसे वह निदेशक बने हुए हैं। अभी तक पूर्णकालिक निदेशक की तैनाती नहीं हो सकी है।
इन प्रकरणों को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री के सूचना प्रकोष्ठ ने जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। साथ ही आख्या तलब की है। यह समाचार गत 17 अगस्त को प्रकाशित हुआ था। कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने इस प्रकरण को गंभीरता को लेते हुए जांच संस्था के निदेशक प्रो. एसएस मिश्र, एलएलएम विभाग के समन्वयक व विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. एके राय को शामिल किया।
वहीं, बायोकमेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. फारुख जमाल व उप कुलसचिव दिनेश कुमार मौर्य को शामिल कर एक समिति गठित कर दी व गहनता से प्रकरण की जांच कराने का निर्देश दिया।
इंजीनियरिंग कालेज तब सुर्खियों में आया जब यहां वर्षों पूर्व विद्यार्थियों के शुल्क को लेकर अनियमितता की खबर सामने आई। इसमें प्रवेशित छात्रों के सापेक्ष कम शुल्क जमा हुआ। इसकी भी जांच हुई।
एक लिपिक सहित कुछ लोग जांच के दायरे में आए थे। इसके बाद प्रो. रविशंकर के कुलपति रहते ही क्वालिटी इम्प्रूवमेंट के लिए कालेज को मिली राशि के खर्च में अनियमितता के आरोप की जांच हुई। जांच रिपोर्ट का पता नहीं है।
इसी तरह प्रो. प्रतिमा गोयल ने कुलपति का कार्यभार ग्रहण करते ही जांच शुरू कराई, लेकिन संपूर्ण कार्रवाई से परहेज किया। निदेशक से सवाल जवाब किए बिना ही उन्हें बाहर जाने को मजबूर कर दिया। अभी इस गठित कमेटी ने जांच प्रारंभ नहीं की है।
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