गोपालक का अजब गजब पशु प्रेम, बेटी की तरह पाल रहा, जन्मदिन आने पर केक काट किया सेलिब्रेट
औरैया के भरसेन गाँव में एक गोपालक ने अपनी गाय की बछिया का पहला जन्मदिन धूमधाम से मनाया। रामशंकर पाल नामक इस किसान ने बछिया को बेटी मानकर केक काटा और ग्रामीणों को मिष्ठान खिलाया। उन्होंने बताया कि घर में अकेला होने के कारण वे बछिया को बेटी की तरह मानते हैं और उसका पालन-पोषण करते हैं। महिलाओं ने बछिया का तिलक लगाकर पूजन भी किया।
जागरण संवाददाता, औरैया। औरैया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सप्ताह के दौरान एक अजब गजब मामला सामने आया है। एक भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। एक गोपालक बछिया को न सिर्फ बेटी की तरह पाल रहा बल्कि उसका जन्मदिन भी उसी तरह से उत्सव के रूप में मनाया। गोपालक की इस भाव की गांव में प्रशंसा हो रही है।
सदर ब्लाक क्षेत्र के गांव भरसेन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सप्ताह में बुधवार को एक गोपालक ने गाय की बछिया को बेटी मानकर पहला जन्मदिन हर्ष उल्लास के साथ मनाया। ग्रामीणों को बुलाकर मिष्ठान वितरण किया। औरैया के भरसेन गांव के रहने वाले रामशंकर पाल पशुपालन भी करते हैं। वे बहुत ही साधारण हैं। लेकिन सोच और अपनत्व की मिसाल अलग है।
भरसेन गांव निवासी रामशंकर पाल खेती किसानी के साथ गोपालक भी हैं। उनके दो बेटे है और एक बेटी है। एक बेटा की दुर्घटना में मौत हो गई। शादी के बाद दूसरा बेटा और बेटी दिल्ली रहने लगें। वह घर में पत्नी सुनीता के साथ रहते हैं। उन्होंने बीते साल एक गाय को पाला जिसने बछिया को जन्म दिया था।
उस बछिया को स्नेह किया। अकेलेपन के बीच यह बछिया उनके जीवन का संबल बन गई। उसे बेटी की तरह पाला-पोसा। उसका लालन-पालन मानो सगी संतान की तरह किया जाता है। यही कारण है कि जब बछिया एक साल की हुई तो यह उत्सव किया।
बुधवार को आयोजित इस अनोखे जन्मदिन समारोह में ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल हुए। परंपरा और श्रद्धा के संग उत्सव का माहौल देखते ही बन रहा था। गांव की गृहणियों ने बछिया को तिलक लगाकर उसके पैर पूजे और मंगलकामना की। वहीं, रामशंकर ने केक काटकर बछिया को खिलाया। बारी-बारी से ग्रामीणों और बच्चों ने भी बछिया को दुलार किया। इसके बाद सभी को स्वल्पाहार और मिष्ठान वितरित किया गया। पूरे गांव में यह दृश्य चर्चा का विषय बना रहा।
बछिया जब एक साल की हुई तो रामशंकर ने जन्मदिन हर्ष उल्लास के साथ मनाया। केक काटकर बछिया को खिलाया। गृहणियों ने बछिया का तिलक लगाकर पैर पूजे। ग्रामीणों को स्वल्पाहार कराया। रामशंकर का कहना है कि घर में वह अकेले रहते है और घर में कोई बच्चा नहीं इसलिए बछिया को बेटी की तरह पालन पोषण किया है।
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