UP के इस जिले में कछुआ संरक्षण के लिए बन रही हैचरी, यमुना के किनारे शुरू हुआ प्रोजेक्ट
उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के किनारे कछुआ संरक्षण के लिए एक हैचरी का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य कछुओं की आबादी को बढ़ाना और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। यह कछुओं को विलुप्त होने से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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जागरण संवाददाता, औरैया। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ संस्था की तरफ से यमुना नदी किनारे कछुआ का संरक्षण किया जा रहा है। जिसके तहत जनपद में पहली बार कछुआ संरक्षण हैचरी बनवाई गई है। जिसमें कछुआ के अंडों को संरक्षित करने के बाद जब उनके शवक निकलेंगे तो उन्हें नदी में छोड़ा जाएगा।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की तरफ से कई वर्षों से देश की प्रमुख नदियों गंगा, यमुना और चंबल नदी में जलीय जीव जंतुओं के संरक्षण का कार्य कर रही है। इनकी जनसंख्या की बढ़ोतरी के लिए लगातार प्रयासरत है और इससे नदियों की सफाई भी प्राकृतिक रूप से हो जाती है।
कछुआ संरक्षण की पहल
संस्था के स्टेट कोआर्डिनेटर हरिमोहन मीणा ने बताया कि जिले में पहली पर कछुआ संरक्षण की पहल की गई है। शहर के गूंज गांव में यमुना नदी के किनारे बनाया गया है। इस संरक्षण केंद्र में चित्रा इंडिका, इंडियन टेंट तुर्टल सहित अन्य प्रजातियां के कछुआ के अंडों को संरक्षित किया जाएगा। जब इनमें से शावक निकलेंगे। इन्हें यमुना नदी में छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पचनंदा क्षेत्र में पांच नदियों का संगम है।
जिस कारण चंबल से घड़ियाल कछुआ तथा डाल्फिन मछली बड़ी संख्या में यमुना में आ जाती है। जिनके संरक्षण की अति आवश्यक है। स्थानीय लोगों के साथ भी कम्युनिटी प्रोग्राम किया जा रहे हैं। जिसके तहत उन्हें कछुआ, डाल्फिन तथा घड़ियाल की संबंध में जानकारी दी जा रही है। अगर स्थानीय मछुआरों के जाल में कोई भी जलीय जंतु फंस जाता है। तो वह उन्हें बिना नुकसान किया छोड़ दें।
ऐसा पहली बार हुआ है कि जब इस संरक्षण केंद्र को जिले में खोला गया है। जिसमें जिला प्रशासन का सहयोग लगातार मिल रहा है। नमामि गंगे की जिला परियोजना अधिकारी साक्षी शुक्ला ने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ संस्था की तरफ से कछुआ संरक्षण यमुना के किनारे किया जा रहा है। इससे कछुआ और घड़ियाल आदि की संरक्षण होगा और संख्या बढ़ेगी। इससे नदी का ईको सिस्टम ठीक होगा और फ्लो आदि अच्छा होगा।
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