कद्दू की फसल के रोगों व नियंत्रण के बताए उपाय
संवाद सूत्रफफूंद कृषि विज्ञान केंद्र परवाह पर एक गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें किसानों को ...और पढ़ें

संवाद सूत्र,फफूंद : कृषि विज्ञान केंद्र परवाह पर एक गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें किसानों को कद्दू वर्गीय फसलों में आने वाली प्रमुख बीमारियों एवं कीटों की रोकथाम के उपाय बताए गए। विभिन्न कीटाणुओं से सुरक्षा के दवा के प्रयोग भी बताए गए।
सरपंच समाज कृषि विज्ञान केंद्र परवाह के पौध संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर झा ने बताया कि कद्दू वर्गीय फसलों में चूर्णिल आसिता का आक्रमण होने पर बेलों, पत्तियों व तनों में सफेद पर्तें चढ़ जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए कैराथिन नामक दवा एक लीटर पानी में, वेविस्टीन दो लीटर पानी में घोलकर 10-12 दिनों के अंतराल में शाम के समय छिड़काव कर दें। मृदुल आसिता बीमारी में पत्तियों की निचली सतह पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यदि गर्मियों के मौसम में बरसात हो जाए तो यह बीमारी बहुत अधिक फैलती है। इसकी रोकथाम के लिए डायथेन एम.-45 अथवा रिडोमिल नामक दवा को दो लीटर पानी में घोलकर शाम को छिड़काव करना चाहिए। मोजैक
से ग्रसित पौधे की पत्तियों पर पीले रंग की धारियां या धब्बे बन जाते हैं। पत्तियां छोटी रह जाती हैं, सिकुड़ने लगती हैं। इस रोग का फैलाव रस चूसने वाले कीटों से होता है। रोगग्रस्त पौधों की पहचान कर शीघ्रता से उखाड़कर गड्ढे में दबा देना चाहिए। वायरस के संवाहक सफेद मक्खी पर नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोरप्रिड नामक दवा 17.8एस.एल. एक लीटर में मिलाकर छिड़काव करें एवं पीले व नीले रंग के चिपकने वाला यंत्र से 10-12 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। एन्थ्रेक्नोज नामक बीमारी में हल्के भूरे धब्बे पत्तियों में आते हैं जो कि बाद में हरे भूरे रंग में परिवर्तित होकर पूरे पौधों में फैल जाते हैं। इस बीमारी की रोकथाम के लिए डायथेन एम 45 नामक दवा अथवा बेबिस्टीन नामक दवा को दो लीटर पानी में घोल बनाकर शाम के समय छिड़काव करें। लाल कद्दू भ्रंग नामक कीट के शिशु व वयस्क दोनों ही फसल को हानि पहुंचाते हैं। वयस्क कीट पौधों के पत्तों में टेढ़े-मेढ़े छेद करते हैं, जबकि शिशु पौधों की जड़ों, भूमिगत तने व भूमि से सटे फलों तथा पत्तों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी रोकथाम एमामेक्टिन बैंजोएट नामक दवा को 5 एस.जी.-10 ग्राम 15 लीटर पानी या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस.सी.-1 मिली दो लीटर पानी का शाम के समय छिड़काव करें। फल मक्खी व सफेद मक्खी एवं चेपा के बारे में भी जानकारी दी। फल मक्खी फलों में अंडे देती है, इसके शिशु फल के गूदे को भीतर ही भीतर खाकर सुरंग बना लेते हैं। स्पाइनोसेड 45 एससी नामक दवा 2 मिली मात्रा 10 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव 12-15 प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। सफेद मक्खी की रोकथाम
इमिडाक्लोप्रिड नामक दवा को 17.8 एसएल- 1 मिली या डाइमेथोएट 30 ईसी 2 लीटर पानी की दर से छिड़काव कर की जा सकती है।

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