औरैया का संतोषी माता मंदिर
जासं औरैया शहर के नरायनपुर स्थित संतोषी माता का सबसे पुराना मंदिर है। जनपद के प्रसिद्ध म

जासं, औरैया: शहर के नरायनपुर स्थित संतोषी माता का सबसे पुराना मंदिर है। जनपद के प्रसिद्ध मंदिरों में इसकी मान्यता है। यहां पर चैत्र व शारदीय नवरात्र में सुबह शाम भक्तों का सैलाब उमड़ता है। आसपास के क्षेत्रों से देवी भक्त पहुंचते हैं। मन्नतें मांगते हैं। मंदिर पर बच्चों के मुंडन आदि कई संस्कार होते हैं। नवरात्र में झंडा व जवारे चढ़ाने के साथ ही धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।
इतिहास:
मंदिर के इतिहास पर नजर डाली जाए तो वर्ष 1984 में इसकी नींव रखी गई थी। भक्तों ने मठ को भव्य रूप प्रदान किया। शहर ही नहीं जनपद के हजारों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। मंदिर के संरक्षक:
केदारनाथ दीक्षित हैं। दूर-दराज से आने वाले भक्तों में माता संतोषी के दर्शन को लेकर उत्साह देखने को मिलता है।
कैसे पहुंचें:
दिबियापुर रोड पर सहकारी संघ तिराहा से पूरब की तरफ आने वाले मार्ग से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। सुभाष चौक से महावीरगंज होते हुए मंदिर का रास्ता ज्यादा सुगम है। सुरान रोड से आने पर भी मंदिर तक पहुंच जा सकता है।
विशेषता:
देवी भक्तों का मानना है कि मां के दरबार से आज तक कोई भी भक्त निराश नहीं हुआ। यहां अरदास लगाने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। भक्तों की हर परेशानी मां की चौखट पर मत्था टेकने से दूर होती है।
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नवरात्र भर मां का तरह-तरह के पुष्पों से श्रृंगार किया जाता है। सुबह शाम महाआरती में देवी भक्त शामिल होते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। मंदिर में नौ दिन तक बच्चों के मुंडन, कर्ण छेदन आदि संस्कार होते हैं। अशोक दीक्षित, पुजारी
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यह मंदिर सिद्ध पीठ है। दूर-दूर से श्रद्धालु नवरात्र में मां के दर्शन के लिए आते हैं। साल में दोनों बार की नवरात्र में यहां भंडारे का भी आयोजन होता है। हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, मां के दरबार में लगाई गई अर्जी पूरी हुई हैं।
-हरिओम, भक्त
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