डिप्टी कलेक्टर आदित्य सिंह का आइएएस बनने का सपना साकार
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जागरण संवाददाता, औरैया : जिले में तैनात डिप्टी कलेक्टर आदित्य सिंह का आइएएस बनने का सपना आखिरकार साकार हुआ। संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा-2020 में उन्होंने 92वीं रैंक हासिल की है। शुक्रवार को घोषित हुए नतीजे के बाद डीएम सुनील कुमार वर्मा ने ककोर मुख्यालय स्थित कार्यालय में उन्हें बधाई दी, उनका मुंह मीठा कराया। आदित्य सिंह को यह सफलता पांचवी बार की कोशिश में मिली है। इसके लिए उन्होंने पढ़ाई में जी-तोड़ मेहनत की। 10-12 घंटे तक पढ़ाई की।
मुजफ्फरनगर जिले के थिताबी गांव निवासी आदित्य सिंह पुत्र जितेंद्र कुमार की तैनाती डिप्टी कलेक्टर पद पर 15 अप्रैल 2021 को जिले में हुई। वह सदर तहसील में सेवारत हैं। कोरोना संक्रमण के कारण परीक्षा परिणाम कुछ माह देर से घोषित हुए हैं। आदित्य सिंह ने बताया कि कक्षा सात की तक की पढ़ाई उन्होंने गांव के एक स्कूल में की। इसके बाद आगे की पढ़ाई शहर के स्कूल में की थी। नोएडा के जेएसएस कालेज के उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले आदित्य किसान परिवार से जुड़े हैं। आदित्य सिंह ने बताया कि उन्होंने परीक्षा के लिए 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। वर्ष 2016 में पहली बार परीक्षा दी थी। इसके बाद फिर दो साल लगातार पढ़ाई की, तब डिप्टी कलेक्टर बने।
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धैर्य और कड़ी मेहनत से मिली सफलता : केशव
संवादसूत्र, बकेवर (इटावा): धैर्य के साथ ही कड़ी मेहनत से मंजिल तक आसानी से पहुंच सकते हैं। मैंने भी पीएच फार्मूला (पेशेंस और हार्ड वर्क) से यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2020 में 491वीं रैंक हासिल की। यह कहना है कि लखना कस्बे के मान खां मोहाल के सराफा कारोबारी अजय कुमार सिंह के बेटे कुमार केशव का। उनके चयन से मोहल्ले के लोग व स्वजन खुशी से झूम उठे। मिठाई बांटकर सबका मुंह मीठा कराया। उनकी उपलब्धि की हर कोई सराहना करता नजर आया।
कुमार केशव ने ने बताया कि प्राथमिक स्तर की शिक्षा लखना कस्बे में पाई। इसके बाद इंटरमीडिएट जनता विद्यालय इंटर कालेज बकेवर से प्रथम श्रेणी में पास किया। स्नातक हंसराज कालेज दिल्ली से करने के बाद तैयारी में जुट गए। बताया कि उनकी उपलब्धि के पीछे पीएच फार्मूले की भूमिका सबसे अहम है। इसके अलावा हर घड़ी-हर पल परिवार, पिता अजय कुमार सिंह वर्मा, मां गौरी रानी के साथ ही भाई कुमार कृष्णा का साथ रहा है। भाई भारतीय सीमा शुल्क मुंबई में सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं। वह युवाओं को यही संदेश देंगे कि लक्ष्य बनाकर तैयारी करने पर आसानी से सफलता पाई जा सकती है। उसके लिए उतनी ही मेहनत भी जरूरी है।