औरैया में 5.50 करोड़ ने बना स्टेडियम, ऊसर जमीन पर प्रतिभा निखार रहे युवा
औरैया में 5.50 करोड़ की लागत से स्टेडियम बना, पर ऊसर जमीन के कारण प्रतिभाएं प्रभावित हो रही हैं। बुनियादी ढांचे में निवेश के बावजूद, स्टेडियम का प्रभा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, औरैया। खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए मिनी स्टेडियम पर जोर दिया जा रहा है। युवा कल्याण विभाग की ओर से प्रयास धरातल पर दिख रहे। यहां संसाधनों व स्टाफ की कमी सबसे बड़ा रोना है। कोच व एक्सपर्ट दूर की बात है। बिधूना के बढ़िन स्थित इस स्पोर्ट्स स्टेडियम में खिलाड़ियों के भविष्य पर अव्यवस्थाओं का साया है।
स्टेडियम सिर्फ दो कोच के भरोसे चल रहा है। यहां न चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है और ना क्लर्क। पूरा दारोमदार दो प्रशिक्षकों पर है। इन्हीं में एक जिला क्रीड़ा अधिकारी हैं, जिन्हें कभी-कभी स्टेडियम का ताला तक खोलना पड़ जाता है।
5.50 करोड़ रुपये के बजट से स्टेडियम बना है। वर्ष 2024 में स्टेडियम का संचालन शुरू हुआ था। बावजूद ग्रामीण युवाओं को अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए ऊसर जमीन पर मेहनत करनी पड़ रही है। इनडोर गेम की सुविधा नहीं है। जिस वजह से कानपुर या अन्य शहरों की ओर युवा रुख करते हैं।
शुरुआती दौर क्रिकेट के कोच संजीव वर्मा और एथलेटिक्स के अमेरिका सिंह थे। संजीव जिला क्रीड़ा अधिकारी भी हैं। किसी कर्मचारी के न होने से सफाई, उपकरणों की सुरक्षा और दैनिक प्रबंधन आदि काम प्रभावित होते हैं। मौजूदा कोचों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रशिक्षण के दौरान स्कोर नोट करने के साथ खिलाड़ियों की निगरानी की है।
तकनीक, सुरक्षा और परफार्मेंस पर निगरानी नहीं हो पाती। स्टेडियम में क्रिकेट, फुटबाल, कबड्डी, वालीबाल, एथलेटिक्स सहित आउटडोर के कई खेलों के उपकरण रखे हैं। चौकीदार न होने से उनकी सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक मात्र स्टेडियम में एथलेटिक्स में नौनिहालों के हुनर को धार देने के लिए भी बड़ी मेहनत होती है।
अधिकारियों का कहना है कि एपीआरएनएसएस निर्माण प्रखंड इटावा कार्यदायी संस्था को स्टेडियम के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई थी। जिला क्रीड़ा अधिकारी संजीव वर्मा ने बताया कि इनडोर खेलों को लेकर प्रस्ताव शासन में दो से तीन दिन पहले भेजा गया है। अन्य सुविधाओं की दिशा में प्रयासरत हूं।
युवाओं की प्रतिक्रियाएं
ग्रामीण अंचलों में खेलकूद को बढ़ावा देने की मंशा के बावजूद सुविधा होते हुए नहीं मिलती। स्टेडियम अक्सर बंद रहता है। क्रिकेट मैदान भी पूरी तरह से तैयार नहीं है। जिसके चलते हम लोग प्रैक्टिस करने नहीं जा पाते। अनूप, लज्जानगर गांव
स्टेडियम का उपयोग मात्र प्रतियोगिता के समय किया जाता है। हम लोगों के लिए नहीं खोला जाता। 17 से दो दिवसीय खेलकूद होने वाले हैं। अब स्टेडियम खुला मिलेगा। हर दिन स्टेडियम को प्रैक्टिस के लिए खोला जाना चाहिए। हिमांशु, गांव कटैया
स्टेडियम की फील्ड अभी तैयार नहीं है। क्रिकेट के लिए प्लेन जगह चाहिए। खेलने योग्य पिच नहीं है। इस दिशा में ध्यान दिया जाना चाहिए। तभी समस्या दूर हो सकेगी। ऊसर भूमि या खाली खेत में क्रिकेट खेलने को हम युवा मजबूर होते हैं।
अरुण कुमार, गांव अहिलवारा
लाखों करोड़ों रुपये भले ही खर्च हो चुके हो लेकिन गांव के युवाओं की प्रतिभाओं को मिलने वाला प्लेटफार्म अब तक नहीं मिला। दायरा सीमित है। स्टेडियम होते हुए ऊसर भूमि पर खेलना मजबूरी है। अधिकारी इस दिशा में ध्यान नहीं देते। सनी, हरचंदापुर

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