चंबल पर्यटन मानचित्र पर छाया औरैया
जागरण संवाददाता औरैया ऐतिहासिक इटावा महोत्सव में चल रहा चंबल टूरिज्म कैंप इन दिनों चच

जागरण संवाददाता, औरैया : ऐतिहासिक इटावा महोत्सव में चल रहा चंबल टूरिज्म कैंप इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। इसमें जनपद औरैया के ऐतिहासिक स्थलों की तथ्यात्मक और प्रामाणिक जानकारी दी जा रही है। इसमें इको टूरिज्म को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। ताकि अपने आस-आस विश्व स्तरीय टूरिज्म का लुत्फ उठाया जा सके। आजादी से पहले संयुक्त प्रांत के इटावा शहर में सन 1910 से शुरू होई ऐतिहासिक नुमाइश की चर्चा प्रत्येक की जबान पर रहती है। आस-पास के जनपद के निवासियों के एक महीने तक चलने वाली यह नुमाइश सालाना बड़े जलसे में तब्दील हो गई है।
देश में इटावा महोत्सव का अपना अलग तरह का स्थान है। हर वर्ष नवंबर-दिसंबर के महीने में आयोजित होने वाली इटावा नुमाइश की तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। एक महीने तक चलने वाले इटावा महोत्सव में विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जिसमें मनोरंजन के साथ लोग खरीदारी करते हैं। एक महीने के दौरान देर रात तक बड़ी तादाद में नुमाइश मैदान पर तांता लगा रहता है। नवंबर-दिसंबर के महीने में हर वर्ष होने वाला आयोजन इस बार 31 जनवरी से 1 मार्च के तक आयोजित हो रहा है। कोरोना काल के दौरान लोगों को लंबे समय बाद कैद से निजात तो मिली है। ऐसे में इटावा महोत्सव के विकास प्रदर्शनी में लगी 'चंबल पर्यटन' प्रदर्शनी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। चंबल टूरिज्म कैंप पर जानकारी लेने वालों का देर रात तक जमावड़ा लगा रहता है। लंबे समय से दस्यु सरगनाओं की वजह से बदनाम रहे चंबल के बीहड़ों में 'चंबल फाउंडेशन' पर्यटन की खिड़की खोल रहा है। जिन स्थलों के बारे में लोगों की अब भी नजर नहीं पड़ी है। चंबल टूरिज्म रोमांच के साथ कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा।
इनसेट
विश्व मानचित्र में छाने को बेताब चंबल का इतिहास:
चंबल अब विश्व के साथ कदमताल करना चाहता है। जिसमें चंबल फाउंडेशन एक सेतु के रूप में विभिन्न सरोकारी और सकारात्मक कार्यक्रमों के जरिए जागरूकता ला रहा है। चंबल पर्यटन कैंप में विभिन्न मानचित्रों, तस्वीरों, जड़ी-बूटियों, दस्तावेजों आदि से जानकारी दी जा रही है। चंबल रीजन के तीन प्रदेशों के 7 जनपदों इटावा, औरैया, जालौन, बाह (आगरा) भिड, मुरैना और धौलपुर का पर्यटन मानचित्र भी लगाया गया है जिसमें सामाजिक-सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों पर फोकस के साथ स्थानीय खान-पान की भी जानकारी दी जा रही है।
औरैया के पर्यटन का सानी नही:
विश्नोई किसान पौधशाला, देवकली मंदिर, शेरगढ़ घाट, मंगला काली मंदिर, सेंगुर नदी, कुदरकोट, चौधरी राम प्रसाद पाठक स्मारक, अस्ता गांव, बलदेव सिंह की गढ़ी,जनमेजय नाग यज्ञ स्थल, सर्वाधिक दस्यु प्रभावित गांव-कैथोली, पूर्व बागियों से मुलाकात, भैसौल की हवेली, नील की कोठी, एशिया का पहला गोबर गैस प्लांट आदि प्रमुख हैं।
964 किमी. पद यात्रा की है तैयारी:
चंबल फाउंडेशन उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चंबल घाटी की बेहतरी के लिए जन सहयोग से विविध कार्यक्रम-प्रशिक्षण आयोजित करता रहता है जिसमें चंबल हेरिटेज वाक, चंबल मैराथन, चंबल यूथ फेस्टिवल, चंबल लिटरेरी फेस्टिवल, चंबल जन संसद, चंबल दीप पर्व, चंबल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, सुनील जाना स्कूल आफ फोटोग्राफी, अवाम का सिनेमा, चंबल संग्रहालय, चंबल बर्ड वाचिग एंड क्रोकोडाइल रिसर्च सेंटर, चंबल कैपिग, एडवेंचर्स स्पोटर्स,राफ्टिग एंड हाइकिग आदि प्रमुख हैं। बीहड़ देशी-विदेशी सैलानियों से गुलजार हो और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें। चंबल फाउंडेशन चंबल मैनीफेस्टो को लागू कराने की मुहिम के साथ 964 किमी की पदयात्रा कर चंबल नदी के विविध पहलुओं का अध्ययन करने जा रहा है।
पर्यटन से सुधरेगी जिले की आर्थिक सेहत
पीले सोने के लिए सुविख्यात सरसो के फूलों से सजी धजी घाटी, चंबल की वादियों में मिट्टी के स्पर्श को उकसाते पहाड़ों, भूतल के स्पर्श की तरंगे पैदा करते भरखों के बीच, बाजरे और तिल से लकदक खेत-खलिहानों और मचानों के बीच सुदूर रेतीली रश्मियों, डाल्फिनों की अंगड़ाई, दुर्लभ पक्षियों का कलरव, घड़ियालों की मौजमस्ती, विशाल कछुओं का तैरना, स्वच्छ पानी की धीमी मधुर आवाज, बागियों के ठिकाने, किले, मठ, मंदिर, धरोहरों तक तमाम ऐसे दृश्य हैं जो लोगों को नई जानकारी और ऊर्जा से लबरेज कर देती है। इससे इको टूरिज्म को बल मिलेगा और ग्रामीण पर्यटन से गांव-गिरांव की सेहत सुधरेगी।
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