श्रीमद्भागवत विश्व का सबसे उदार पुराण
औरैया, जागरण संवाददाता : रविवार को तिलक शोध संस्थान के तत्वावधान में गीता ज्ञान गोष्ठी में हुए विद्
औरैया, जागरण संवाददाता : रविवार को तिलक शोध संस्थान के तत्वावधान में गीता ज्ञान गोष्ठी में हुए विद्वानों के बीच हुए विचार विनिमय में श्रीमद्भागवत को विश्व का सबसे उदार पुराण बताया गया।
अध्यक्ष डा. प्रेम नारायण शुक्ला ने श्रीमद्भागवत के प्रथम स्कंद की कथा में मंगलाचरण के परम सत्य की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने बताया कि अपने -अपने इष्ट को सभी सत्य मानते हैं। भागवत महापुराण जाति, धर्म, सम्प्रदाय एवं क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर एक निर्विवाद पुराण है, इसलिए यह पुराणों की सिरमौर है। वेदों का परिपक्व व सुमधुर फल है। अत: प्रमाणित है कि इसमें रस स्वरूप आनंद सुधा सिंधु भगवान श्रीकृष्ण की उपासना से जन्म जन्मान्तरों के वासनों का विनाश होता है। उन्होंने दृष्टान्त का हवाला देते हुए यह भी बताया कि सौनक ऋषियों ने सूत जी से छह प्रश्न किए थे। इन प्रश्नों में कल्याणप्रद मार्ग, शास्त्रों का सार, भगवान के अवतार, अवतारों का प्रयोजन एवं भगवान की मधुर लीलाओं के साथ भगवान के स्वधाम पधारने पर धर्म किसकी शरण में गया। इन प्रश्नों के उत्तर के लिए पांच ज्ञानेन्द्रिया, पांच कर्मेन्द्रिया, पंच प्राण सहित सबका विस्तार से वर्णन कर उत्तर दिया गया है। रमेश चन्द्र शर्मा ने सांख्य योग के बारे में कहा कि भले यह सजग, सावधान, साधक कर्दम ऋषि की कथा है, लेकिन वस्तुत: संख्या से सांख्य का मिलान ही सांख्य योग है। उनमें 24 तत्वों को प्राकृतिक बताते हुए कहा कि त्रिगुणात्मक तत्व सत, रज, तम से बने हैं। जबकि जीवन के चैतन्य तत्वों का संचालक मन है। उन्होंने गूढ़ भाव की व्याख्या करते हुए कहा कि अहंकार से त्रिगुणात्मक तत्वों में विकार आता है। जबकि पंच तन मात्राएं शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध पंच महाभूत क्षित, जल, पावक, गगन, समीर से एकाकार हो जाते हैं। यह शाश्वत है। इसलिए श्रीमद्भागवत पुराण सत्य, सनातन और उदार पुराण है। गोष्ठी में अशोक पोरवाल, राज कुमार शुक्ला, अशोक त्रिवेदी सहित कई लोगों ने श्रीमद्भागवत पुराण की उदारता पर अपने विचार व्यक्त किए।
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