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    निस्तारित शिकायतें आती हैं दोबारा

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    Updated: Tue, 03 Sep 2013 06:23 PM (IST)

    औरैया, कार्यालय प्रतिनिधि : यहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अप्रैल से अगस्त तक पीडीएस में गड़बड़ी से जुड़ी 102 शिकायतें तहसील दिवस के माध्यम से आईं जबकि 70 शिकायती पत्र डीएम समेत अन्य अधिकारियों के दफ्तरों के माध्यम से डीएसओ कार्यालय पहुंचे।

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    जिला पूर्ति कार्यालय की मानें तो सभी मामले निस्तारित कर दिए गए, लेकिन सवाल उठता है कि जब वही फरियादी और वही मामले बार-बार आ रहे हैं तो इस तरह के निस्तारण का मतलब क्या है। फूड सिक्योरिटी बिल लागू होने पर किस तरह से समस्याएं और बढ़ेंगी इसका अंदाजा मौजूदा व्यवस्थाओं से लगाया जा सकता है। मौजूदा व्यवस्थाओं का आलम देखें तो गोदाम से दुकान तक राशन पहुंचने की निगरानी कराने की व्यवस्था है। यही नहीं एसएमएस के जरिए भी संबंधित गांवों को जानकारी भेजी जाती है कि उनके गांव में कितना आवंटन पहुंचा। इसके बावजूद स्थिति यह है कि औसत रूप से 20 फीसद गरीबों को खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है। वह भी तब जब प्रशासनिक बैठकों व नेताओं के भाषणों में भूख पर फिक्र खासी झलकती है, लेकिन इसमें जो कारण आड़े आ रहे हैं, उन्हें दूर करने में कोई फिक्रमंद नहीं दिखता। खाद्य सुरक्षा बिल लागू होने के बाद जब खाद्यान्न की मात्रा व कार्डो की संख्या बढ़ेगी तो निश्चित रूप से इस तरह की समस्याओं का और इजाफा होगा।

    केस हिस्ट्री एक- मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करने वाले दहगांव निवासी शिवनाथ पर अंत्योदय कार्ड है, तीन महीने से उन्हें राशन दूकान से खाद्यान्न नहीं मिल रहा है। ब्लाक से लेकर डीएसओ दफ्तर तक शिकायत की, लेकिन खाद्यान्न मिल पाने की सुनिश्चितता नहीं हुई। वह बताते हैं कि उनके पास खेती नहीं है। राशन कार्ड पर मिलने वाला खाद्यान्न ही उनके परिवार की भूख मिटाता है। फिलहाल वह मिलने वाली मजदूरी से ही काम चला रहा है।

    केस हिस्ट्री दो- कई बार शिकायत के बावजूद गांव हरपालपुर के बीपीएल व अंत्योदय कार्डधारकों में से कई को दो महीने से खाद्यान्न नहीं मिल रहा है। गांव के नरेश, छोटे, विशंभर ने बताया कि शिकायत के बाद जांच कराने की बात कही जाती है, लेकिन कब और कहां जांच होती है, उसका पता नहीं चलता।

    केस हिस्ट्री तीन- चालू वित्तीय वर्ष में अबतक आधा दर्जन दुकान चयन के झगडे़ के मामले अधिकारियों के चौखट तक पहुंचे और प्रशासनिक स्तर से सभी को निपटा देने का दावा भी ठोंका गया, लेकिन अभी भी उनसे जुड़ी शिकायतें अफसरों तक पहुंच रही हैं।

    इनसेट

    हर शिकायत पर होती कार्रवाई

    जिला पूर्ति अधिकारी दिलीप कुमार संसाधनों की कमी का रोना रोते हैं। हालांकि उनका कहना है कि किसी भी माध्यम से गड़बड़ी संबंधी जो भी शिकायतें आती हैं, उन पर कार्रवाई कर समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाता है। उनके अनुसार सभी गांवों में खाद्यान्न भेजने के साथ एसएमएस से ग्रामीणों को सूचना भी भेजी जाती है। इसका मकसद है कि ग्रामीणों को जानकारी हो और राशन डीलर गड़बड़ी न कर पाएं।

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