पितरों की शांति के लिए तिगरी धाम पर दीपदान कल, महाभारत काल से गंगा किनारे निभाई जा रही ये परंपरा
कल तिगरी धाम में पितरों की शांति के लिए दीपदान होगा। यह महाभारत काल से चली आ रही गंगा किनारे की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से पितरों को शांति मिलती है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दीपदान करने आते हैं और गंगा स्नान करते हैं।

जागरण संवाददाता, तिगरीधाम। दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीपदान की परंपरा कल यानी मंगलवार को तिगरीधाम पर गंगा किनारे निभाई जाएगी। इस दौरान गंगा तट पर भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में मारे गए सैनिकों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने भी दीपदान किया था। इस परंपरा को लेकर पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
इस बार कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान पांच नवंबर को है।
चार नवंबर की शाम को दीपदान की परंपरा निभाते हुए लोग अपनों को याद करेंगे। दीपदान की यह परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध में मारे गए सैनिक और योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की मौजूदगी में सर्वप्रथम दीपदान किया था।
उसके बाद से ही दीपदान की परंपरा चली आ रही है। जिनके परिवार के सदस्य उनके बीच अब नहीं हैं, उनके लिए दीपदान किया जाता है। उन्हीं दिवंगत आत्मों की शांति के लिए संबंधित परिवार के लोग करते हैं। सूर्यास्त होते ही दीपदान का सिलसिला शुरू होता है और यह देर रात तक जारी रहता है। श्रद्धालुओं की आंखों में अपने प्रियजनों की याद में आंसू छलक उठते हैं। इस दौरान गंगा घाट पर ऐसा दृश्य उत्पन्न होता है मानो आकाश के तारे धरती पर उतर आए हों।
खूब निभाई जाती मुंडन संस्कार की परंपरा
तिगरी मेला में मुंडन संस्कार की परंपरा भी बड़े धूमधाम से निभाई जाती है। लोग अपने बच्चों के मुंडन के लिए यहां आते हैं, जिससे पूरा परिवार और रिश्तेदार एकत्र होते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा घाटों पर मुंडन संस्कार होते हुए देखे जा सकते हैं। महिलाएं जत्थे में गीत गाती हुई घाट पर पहुंचती हैं और बच्चे के मुंडन के दौरान भी गीत गाए जाते हैं। इस अवसर पर तिगरीधाम की लोक संस्कृति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
मेला में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। चार नवंबर को दीपदान होगा। इसके लिए घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा। -गरिमा सिंह, मेला प्रभारी।

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